नवादा मंडल कारा के विचाराधीन कैदी सूरज ने आईआईटी जेएएम किया क्रैक, देशभर में मिला 54वां रैंक

न्यूज डेस्क/जनपथ न्यूज
Edited by: राकेश कुमार
मार्च 25, 2022

कहते हैं इंसान का हौसला बुलंद हो तो वह कुछ भी कर सकता है, परिस्थितियां कैसी भी हो अगर लगन सच्ची है तो सफलता जरूर मिलती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हत्‍या के आरोप में जेल में बंद एक विचाराधीन युवा कैदी सूरज कुमार उर्फ कौशलेंद्र ने। सूरज ने जेल में रहते हुए जॉइन्ट एडमिशन टेस्ट फॉर मास्टर्स (आईआईटी जेएएम 2022) में सफलता प्राप्त की है। आईआईटी रुड़की द्वारा आयोजित इस परीक्षा में उसने ऑल इंडिया में 54वीं रैंक हासिल की है। बता दें कि आईआईटी जेएएम 2022 के लिए आवेदन की प्रक्रिया 25 अगस्त 2021 से शुरू की गई थी। ऑनलाइन आवेदन करने की लास्ट डेट 11 अक्टूबर 2021 थी। परीक्षा का आयोजन 13 फरवरी 2022 को किया गया था।

खास बात यह है कि सूरज ने यह सफलता जेल में रहते हुए सेल्फ स्टडी और बगैर किसी कोचिंग के पाई है। अब सूरज आईआईटी रूड़की में दाखिला लेकर आगे की पढ़ाई पूरी करेगा।

सूरज के परिजनों के अनुसार, सूरज की सफलता में जेल अधीक्षक अभिषेक कुमार पांडेय की अहम भूमिका रही और जेल प्रशासन ने भी सूरज की मदद की। तत्कालीन मंडल काराधीक्षक अभिषेक कुमार पांडेय की भरपूर सहयोग दिया है। जानकारी के मुताबिक, जेल के अंदर ही काराधीक्षक ने सूरज को परीक्षा के लिए किताबें और नोट्स समेत जरूरी मैटेरियल उपलब्ध करा दिए। सूरज जेल में रहते हुए ही तैयारी कर एक नई उपलब्धि कायम की है। सूरज ने जेल से पेरोल पर जाकर 13 फरवरी को एग्जाम दिया था।

सूरज कुमार उर्फ ​​कौशलेंद्र कुमार वारिसलीगंज के मोसमा गांव के अर्जुन यादव का बेटा है। गांव में हुए नाले के विवाद में एक व्यक्ति की मौत के मामले में सूरज का नाम था और उसे गिरफ्तार कर 19 अप्रैल 2021 को जेल भेज दिया गया। जेल आने पर वह टूट गया और इसी बीच उसे जेल अधीक्षक अभिषेक कुमार पांडेय का प्रेरक भाषण सुनने का अवसर मिला। इससे प्रभावित होकर सूरज उनसे मिला और जेल अधीक्षक ने उसकी हर संभव मदद की।

जेम क्वालीफाई करने के बाद सूरज कुमार ने स्थानीय मीडिया से मुखातिब होते हुए अपनी सफलता का श्रेय नवादा के तत्कालीन मंडल जेल अधीक्षक अभिषेक कुमार पाण्डेय तथा अपने बड़े भाई वीरेंद्र यादव को दिया है। सूरज कुमार ने अपने लिखित संदेश में कहा कि अगर अभिषेक पांडे सर का सहयोग नहीं मिला होता तो हम किसी भी कीमत पर आईआईटीएन नहीं बन सकते थे।

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