जनपथ न्यूज डेस्क
गौतम सुमन गर्जना
8 सितंबर 2023

भागलपुर : अगले लोकसभा चुनाव को नज़र में रखकर मोहन भागवत जी ने संविधान में दिए गए पिछड़े, दलितों और आदिवासियों के आरक्षण व्यवस्था का समर्थन किया है. उन्होंने कहा है कि जब तक समाज में भेदभाव है, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए. उनका यह भी कहना है कि हमने अपने सामाजिक व्यवस्था में अपने साथी मनुष्यों को पिछले दो हज़ार वर्षों से पीछे रखा है. हमने उनकी परवाह नहीं की. उनको समानता का अधिकार देने के लिए संविधान में दिया गया आरक्षण एक उपाय है. हम उसका पूरा समर्थन करते हैं. उनके अनुसार आरक्षण की व्यवस्था सिर्फ़ अधिकार देने के लिए ही नहीं है, बल्कि जिनको आरक्षण मिल रहा है, उनको सम्मान देने के लिए भी है.
आपको स्मरण होगा कि इसी मोहन भागवत जी ने 2015 में आरक्षण पर पुनर्विचार करने की ज़रूरत बताई थी. अभी दो दिन पहले इंडिया और भारत के सवाल पर भागवत जी ने संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत इंडिया के स्थान पर सिर्फ़ भारत के प्रयोग का निर्णय सुनाया था. उनके नियमन के बाद राष्ट्रपति जी ने विश्व नेताओं के लिए भोज का न्योता अंग्रेज़ी में ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ का प्रयोग किया है.
सवाल हिंदू राष्ट्र का भी है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात करते हैं. हिंदू समाज व्यवस्था जातिय भेदभाव आधारित है. उसी व्यवस्था के तहत देश की बड़ी आबादी न केवल पीछे छूट गई है,बल्कि आबादी के हिस्से को असपृश्य करार दे दिया गया है. इन सब विसंगतियों को दूर करने का प्रावधान हमारे संविधान में किया गया है. इसलिए जब तक मोहन भागवत जी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश को हिंदू राष्ट्र बनाने के संकल्प को तिलांजलि नहीं देते हैं, तब तक भागवत जी के बयान पर यक़ीन करना मुश्किल है. उनके बयान को अगले लोकसभा चुनाव में समाज के दलितों और वंचितों को केवल लुभाने के प्रयास के रूप में देखा जाएगा.

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