जनपथ न्यूज़ डेस्क
रिपोर्ट: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
एडिटर: राकेश कुमार
9 अप्रैल 2023

लोकसभा चुनाव में अभी करीब एक साल की देरी है, लेकिन बिहार में करीब सभी राजनीतिक दल अपने जातीय समीकरण को दुरुस्त करने में युद्ध स्तर पर जुटे हुए है। इसमें कोई शक नहीं है कि बिहार में चुनाव परिणाम को जातीय समीकरण प्रभावित करते रहे हैं। लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां एक बार फिर से जातीय समीकरण को सुधारने में जुटे हुए है। जदयू लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लोजपा (रामविलास) के दलित वोट बैंक के सेंधमारी करने में जुटी हुई है। इसके लिए सीएम नीतीश कुमार की पार्टी ने अपने ‘प्लान 13’ को एक्टिवेट कर दिया है। जदयू भीमराव अंबेडकर जयंती के दिन यानी 13 अप्रैल को कई कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है। माना जाता है कि जदयू इसी समारोह के जरिए दलितों को अपनी ओर आकर्षित करने में जुटी हुई है।

*जदयू का ‘प्लान 13’ एक्टिवेट*

जदयू ने 13 अप्रैल की संध्या प्रदेश के सभी पंचायतों में दीप प्रज्वलित कर प्रकाश उत्सव मनाने का निर्णय लिया है। जबकि 14 अप्रैल को सभी पंचायतों में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर जयंती व्यापक रूप से मनाएगी। पार्टी द्वारा बाबा साहेब के संदेश पत्र एवं स्टीकर को प्रत्येक अनुसूचित जाति मोहल्ला तक लगाने का अभियान चलाने का भी निर्णय भी लिया गया है। इस बावत भागलपुर जदयू के एक युवा नेता सुड्डू साईं कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भीमराव अंबेडकर के सपनों को साकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के विचारों को जनमानस तक पहुंचाने के लिए भीम संवाद का आयोजन करने का भी निर्णय लिया गया है। कहा जाता है कि जदयू इन कार्यक्रमों के जरिए दलित वर्ग से सीधे जुड़ना चाह रही है।

*चिराग को कमजोर करने की चाल*

बिहार की राजनीति पर नजदीकी नजर रखते हुए मेरा मानना है कि नीतीश की पार्टी इस रणनीति के जरिए न केवल चिराग पासवान की पार्टी को कमजोर करने में जुटी हुई है बल्कि इससे वह अपने वोट बैंक में भी इजाफा करेगी। सच यह है कि चिराग पासवान दलित नेता के रुप में उभरे हैं और दलित वर्ग के एक बड़े वर्ग पर इनकी मजबूत पकड़ है।

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