जनपथ न्यूज़ डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
22 अप्रैल 2023

हर आदमी को गिनना ही ‘जनगणना’ है, लेकिन जातीय जन-गणना को राज्य सरकार जाति आधारित गणना या सर्वे बता रही है। राज्य सरकार के दावे पर फैसला अब सर्वोच्च न्यायालय से होगा। सुप्रीम कोर्ट जिस केस की सुनवाई 28 अप्रैल को करेगा, उसमें एक और आधार इस जाति आधारित गणना की जातीय सूची से भी जुड़ा हुआ है। जनपथ न्यूज’ ने इस जातीय सूची और इसके कारण पर उठ रहे तमाम सवालों पर खबरों की सीरीज़ चलाई। कई खबरों पर सरकार ने तत्काल संज्ञान लेकर सुधार का रास्ता निकाला तो कई मुद्दों पर चुप्पी भी साध ली। जिन मुद्दों पर चुप्पी साधी गई, वह सुप्रीम कोर्ट तक अपील में हैं। अबतक की हर गतिविधि इस खबर में एक जगह पढ़ें।

*जातियों के कोड का ‘वायरल’ कन्फ्यूजन दूर किया*

जातीय जनगणना शुरू होने के पहले जातियों की एक सूची को खूब वायरल किया गया,जबकि वह सूची उसी समय करीब 20 दिन पुरानी थी। जनपथ न्यूज’ के पास भी यह सूची आई थी, लेकिन साथ ही यह जानकारी भी कि इसे अपडेट किया गया है। अपडेट सूची में मारवाड़ी जाति नहीं है। और भी कई बदलाव थे। जनपथ न्यूज़’ ने वायरल हो रही खबरों की आपाधापी से अलग रहते हुए पुष्ट सूची प्रकाशित की। कन्फ्यूजन दूर करने वाली इस सूची को देखकर राज्य के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले बिहारियों ने जातियों से संबंधित विसंगतियों को दूर कराने की अपील की।

*श्रीवास्तव,लाला,लाल…कायस्थ से बाहर होते-होते बचे*

जातियों की कन्फर्म सूची सामने आने के बाद सबसे बड़ा और चर्चित सवाल यही था कि प्रगणक को जाति के रूप में श्रीवास्तव,लाला या लाल बताने वाले किस जाति में दर्ज हो जाएंगे? यह सवाल इसलिए था,क्योंकि हिंदू (दर्जी) जाति के साथ कायस्थों की उपजाति श्रीवास्तव और प्रचलित टाइटल लाला और लाल को जोड़ दिया गया था। जनपथ न्यूज’ ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया और सरकार ने तत्काल संज्ञान लेते हुए प्रगणकों को सूचित किया कि श्रीवास्तव, लाल या लाला को कहीं नहीं रखा जाए। सभी कायस्थ खुद को कायस्थ लिखेंगे और हिंदू (दर्जी) जाति के साथ श्रीवास्तव, लाल या लाला को नहीं रखा जाए। प्रगणकों के पास जातियों की सूची भी अपडेट कराई गई।

*भूमिहार ब्राह्मण ने साजिश कहा,सरकार इसपर चुप*

सुप्रीम कोर्ट तक जो मामला पहुंचा है,उसमें भूमिहार ब्राह्मण समाज की अहम भूमिका है। जातीय जनगणना का मुखर विरोध इस जाति के लोग लगातार कर रहे थे। भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच के प्रखर नेता आशुतोष कुमार से भी जनपथ न्यूज’ ने इसपर बात की और इतिहास विशेषज्ञ डॉ. आनंदवर्द्धन, राजनेता डॉ. विजयेश कुमार और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. रत्नेश चौधरी से भी। सभी ने एक स्वर में कहा कि सरकार ने ‘भूमिहार’ नाम की नई जाति घोषित की है, जबकि इतिहास से वर्तमान तक ब्राह्मणों की उपजाति भूमिहार ब्राह्मण का अस्तित्व स्वीकार किया जाता रहा है। सरकार ने इस मुद्दे का कोई समाधान नहीं निकाला। सरकार का दावा है कि उसके रिकॉर्ड में हर जगह भूमिहार ही है,भूमिहार ब्राह्मण नहीं। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जातियों का नाम बदले जाने, नाम गायब किए जाने, उपजातियों को जाति बताकर समाज को बांटने जैसे ही मुद्दे उठाए गए हैं।

*किन्नर को जाति बताने का उठाया सवाल, निकला रास्ता*

जातियों की सूची का अध्ययन करने के क्रम में सामने आया कि पूरी दुनिया में किन्नरों को तीसरे श्रेणी के रूप में दर्ज किया जाता है, लेकिन बिहार की जातिगत जन-गणना की सूची में इसे एक जाति बताते हुए नंबर 22 का कोड निर्गत किया गया है। मुख्य धारा से अलग रहे किन्नरों को भी जनपथ न्यूज’ ने आवाज दी। किन्नरों के बारे में यह खबर सबसे पहले चलाई गई और सरकार से जवाब पूछा गया। बाद में सरकार ने खुद प्रगणकों तक संदेश दिया कि जो किन्नर अपनी जन्म की जाति लिखाना चाहें, वह वही लिखा सकते हैं। चूंकि किन्नरों को हाईकोर्ट द्वारा बीसी 2 में आरक्षण दिया गया है, इसलिए जो खुद को किन्नर जाति में दर्ज कराने के लिए तैयार होंगे, उन्हें ही यहां रखा जाए।

*जातियों से ज्यादा नई पीढ़ी के लिए सबसे खास कोड*

बिहार में हो रही जाति आधारित जन-गणना के सभी बिंदुओं की पड़ताल और आम लोगों से बातचीत में जनपथ न्यूज से युवाओं ने कहा कि जातियों से ज्यादा उनके लिए शैक्षणिक योग्यता का कोड मायने रखता है। इस गणना के जातीय कोड की खबर तो वायरल हुई, साथ ही लोगों ने शैक्षणिक योग्यता का फायदा बताने वाली खबर को भी तवज्जो दिया।

*मारवाड़ी संशय में थे, जातीय नेताओं ने रास्ता चुना*

जातीय जन-गणना को लेकर एक सूची पहले बनी थी, उसमें ‘मारवाड़ी’ जाति को कोड भी दिया गया था। फिर, मास्टर ट्रेनरों को संशोधित सूची मिली तो यह जाति गायब हो गई। ऐसे में मारवाड़ी समाज संशय में था- जाति क्या लिखाएं? ‘झंझट टाइम्स’ ने मास्टर ट्रेनरों से जानकारी लेने के साथ ही मारवाड़ी समाज के अग्रणी नेताओं से बात की। इसमें यह निष्कर्ष निकला कि मारवाड़ी संस्कृति है और बिहार में यह बनिया जाति के अंदर अग्रहरि वैश्य उपजाति हैं।

*धर्म सिख और जाति हिंदुओं की…जुगाड़ से रास्ता*

‘जनपथ न्यूज’ ने सिखों की आवाज उठाई थी, क्योंकि जातियों की बनाई गई सूची में धर्म के तहत हिंदू, मुस्लिम, इसाई के साथ सिख को रखा तो गया, लेकिन उनकी जातियों को नहीं लिखा गया। सिखों के लिए एक ही विकल्प रखा गया था कि वह धर्म तो सिख लिखाएं, लेकिन जाति हिंदू की दर्ज कराएं। 15 अप्रैल से जातीय जन-गणना के लिए निकले प्रगणकों को बताया गया है कि वह सिख धर्म के लोग अगर चाहें तो उनकी जाति ‘अन्य’ के रूप में दर्ज कर लें।

*दो पते वालों के लिए क्या विकल्प, क्या बेहतर*

बिहार के शहरों में बड़ी आबादी ऐसे लोगों की है, जो राज्य के किसी गांव से निकलकर यहां रह रहे हैं। ऐसे में भारी संख्या में लोगों का सवाल था कि वह क्या करें? जनपथ न्यूज’ ने जवाब में बताया कि गणना एक ही जगह की होगी। इसलिए,पहले तय कर लें कि किस पते पर कराना है। इसके बदलने का विकल्प नहीं मिलेगा। दो जगह गणना कराने का प्रयास करेंगे तो डाटा मैच करने के कारण बाद में कराई गई गणना का रिकॉर्ड नहीं चढ़ेगा।

*घर का मुखिया किस स्थिति में बदला जाएगा*

लोगों का सवाल था कि वह बाहर हैं और इस बीच प्रगणक आ गए तो क्या होगा? जनपथ न्यूज’ ने जातीय जन-गणना के मास्टर ट्रेनरों से बात कर यह स्पष्ट किया कि गणना के लिए 15 अप्रैल से पहुंचने वाले प्रगणक किसी को भी परिवार-प्रधान, यानी मुखिया मान सकते हैं। जो भी परिवार की पूरी जानकारी देकर फॉर्म पर हस्ताक्षर करने में सक्षम होगा, वह परिवार के मुखिया के रूप में दर्ज हो जाएगा। उसी के हिसाब से बाकी रिश्तेदारियों की जानकारी भरी जाएगी।

*बंगाली कायस्थों के लिए कुछ विकल्प नहीं निकला*

जैसे भूमिहार ब्राह्मणों की आवाज बनते हुए जनपथ न्यूज ने इसपर स्टोरी की, उसी तरह बंगाली कायस्थों को कायस्थ से अलग किए जाने पर भी। लेकिन, सरकार अडिग है कि बंगाली कायस्थ जाति पहले से ही अलग थी। उसे नहीं हटाया जाएगा, हालांकि खबर के असर स्वरूप प्रगणकों को निर्देश दिया गया कि बंगाली कायस्थ व्यक्ति अगर अपनी मर्जी से कायस्थ लिखाएं तो उसे ही दर्ज किया जाए।

*इसके अलावा,इन 4 सवालों का भी जवाब लिया गया*

• सवाल- मोगल और जाट की गणना नहीं होगी?
जवाब – मोगल और जाट का भी बिहार की जातियों की सूची में जिक्र नहीं है। उन्हें ‘अन्य’ में लिखा जाएगा।
• सवाल – जिन लोगों का घर 5 साल से बंद है, उनका क्या होगा?
जवाब-ऐसे घरों की पहले फेज में ही गिनती नहीं हुई होगी। ऐसे जिन मकानों पर नंबर नहीं चढ़े, उनकी गणना नहीं होगी। अगर कोई गणना कराना चाहते हैं तो अपना आधार, वोटर आईकार्ड दिखा कर करवा सकते हैं।
• सवाल- अबतक परिवर्तन के लिए कितने आवेदन आपके पास पहुंचे हैं?
जवाब-कुछ जातियों के परिवर्तन को लेकर आवेदन आए हैं। इसे देखा जा रहा है। बिहार में जातियों का कोड आयोग की अनुशंसा पर राज्य सरकार के निर्णय से हुआ है। बदलाव के लिए भी उतनी ही प्रक्रिया होगी।
• सवाल- जातीय जनगणना एप में क्या परेशानी आ रही है?
जवाब-पहले दिन समस्या आई थी। अब कहीं-कहीं यह परेशानी है। दरअसल, ट्रायल के लिए एप मिला तो प्रगणकों ने उसमें रफ डाटा सेव कर दिया। उसे हटाने में कही तकनीकी समस्या आई। डाटा रिमूव करने के बाद री-लॉगिन में दिक्कत हुई।

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