जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
21 जनवरी 2023

जातीय जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बिहार सरकार को बड़ी राहत मिली है। दरअसल जाति आधारित गणना पर रोक लगाने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले को सुनने तक से इंकार कर दिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने जाति आधारित गणना पर रोक लगाने वाली याचिका को पटना हाईकोर्ट में ले जाने को कहा। दरअसल, जाति आधारित गणना पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में तीन अलग-अलग याचिर दायर की गई थी। एक याचिका इसमें हिंदू सेना की भी है। इन्हीं पर आज सुनवाई होनी थी। जिसको सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट की बेंच इस बात से नाराज थी कि याचिका दायर करने वालों ने हाईकोर्ट के बजाय सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर दी है। कोर्ट ने कहा कि ये पब्लिसिटी के लिए दायर की गयी याचिका है। वे इस याचिका की सुनवाई नहीं कर सकते। कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले को पटना हाईकोर्ट जाने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में बिहार सरकार के जातिगत गणना कराने के फैसले को देश की अखंडता को तोड़ने वाला बताया गया है। हिंदू सेना के अलावा एक याचिका बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता ने भी याचिका दायर की है। इसमें बिहार सरकार के इस कार्य को असंवैधानिक बताया गया है। कहा गया है कि जाति आधारित गणना कराने का अधिकार सिर्फ केंद्र के पास है। ऐसे में अपनी मर्जी से अकेले ये राज्य सरकार नहीं करा सकती है। ये संविधान के खिलाफ है। याचिका में नीतीश सरकार के छह जून 2022 के नोटिफिकेशन को भी रद्द करने की मांग की गई है।

गौरतलब हो कि बिहार में पहले चरण की जाति आधारित गणना 7 जनवरी को शुरू हुई थी, जो कि सोमवार को खत्म हो जाएगी। पहले चरण में मकानों की गिनती की जा रही है। इसके बाद अप्रैल महीने में दूसरे चरण की गणना की जाएगी, जिसमें मकानों के अंदर रहने वाले लोगों की जातियों और अन्य जानकारी जुटाई जाएगी। जातीय गणना के लिए 500 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है। हालांकि यह बढ़ भी सकता है। पहले चरण में लोगों के घरों की गिनती शुरू की गई है। सरकारी स्तर पर मकानों को नंबर दिया जा रहा है। इस चरण में सभी मकानों को स्थायी नंबर दिया जाएगा।

वहीं, दूसरे चरण में जाति और आर्थिक जनगणना का काम होगा। इसमें लोगों के शिक्षा का स्तर,नौकरी (प्राइवेट, सरकारी, गजटेड, नॉन-गजटेड आदि), गाड़ी (कैटगरी), मोबाइल, किस काम में दक्षता है, आय के अन्य साधन, परिवार में कितने कमाने वाले सदस्य हैं, एक व्यक्ति पर कितने आश्रित हैं, मूल जाति, उप जाति, उप की उपजाति, गांव में जातियों की संख्या, जाति प्रमाण पत्र से जुड़े सवाल पूछे जाएंगे। बतातें चलें कि 18 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2020 को बिहार विधानसभा और विधान परिषद में जातीय जनगणना कराने से संबंधित प्रस्ताव पेश किया गया था। इसे भाजपा, राजद, जदयू समेत सभी दलों ने समर्थन दे दिया था। हालांकि, केंद्र सरकार इसके खिलाफ थी।

Loading