जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
21 जनवरी 2022

भागलपुर : साफ मन से इस बार बिहार की सत्ता में जदयू के साथ आये राजद को अब एहसास होने लगा है कि उसके साथ भी वही बर्ताव किया जा रहा है, जो नीतीश कुमार ने डेढ़ दशक तक भाजपा के साथ किया। जदयू अब राजद के नेताओं की कमियां खोज-खोज कर निकाल रहा है। उनके खिलाफ ऐक्शन का दबाव राजद पर डाल रहा है। शुरू में यह बात राजद को समझ में नहीं आई थी, लेकिन अब इसका शिद्दत से उसे एहसास होने लगा है.शायद यही वजह है कि नीतीश कुमार के झांसे में आकर राजद ने सुधाकर सिंह और कार्तिकेय सिंह को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिला दिया, लेकिन चंद्रशेखर के इस्तीफे के दबाव पर उसने चुप्पी साध ली है। और तो और, नीतीश कुमार को खरी-खोटी सुनाने वाले सुधाकर सिंह के खिलाफ कार्वाई की जदयू की मांग पर उसने महज औपचारिकता निभाई है।

*सुधाकर को सिद्दीकी के शो कॉज नोटिस पर उठ रहे सवाल*: राजद विधायक सुधाकर सिंह ने जब नीतीश कुमार को शिखंडी,नपुंसक, भिखमंगा जैसे अनगिनत अशोभनीय विशेषणों से नवाजना शुरू किया तो जदयू ने उनके खिलाफ ऐक्शन की मांग राजद नेतृत्व से की,जिसपर पहले तो राजद ने इस पर चुप्पी साधे रखी, बाद में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इतना भर कहा कि ऐसा बयान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सुधाकर के हमले इस पर भी नहीं रुके तो उन्होंने कार्रवाई का जिम्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर डाल दिया। उन्होंने कहा कि लालू जी के संज्ञान में सारी बातें हैं। वे दुखी हैं और इस तरह की बयानबाजी के लिए कार्रवाई पर निर्णय वही लेंगे। हालांकि अब राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी ने सुधाकर सिंह को शो कॉज नोटिस जारी किया है। उनसे 15 दिनों में अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा गया है। यहीं यह सवाल उठ रहा है कि तेजस्वी कार्रवाई का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास होने की बात कह कर मामले को टालते रहे तो अब महासचिव को इसका अधिकार कैसे मिल गया। दूसरा- शो कॉज देना भी तो था तो यह काम प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने क्यों नहीं किया। कहीं यह मामले को टालने की राजद की रणनीति तो नहीं।

*उपेंद्र कुशवाहा ने सुधाकर के बयान को बड़ा मुद्दा बनाया था*: सुधाकर सिंह के बयान को लेकर इस मामले को जदयू संसदीय बोर्ड के चेयरमैन उपेंद्र कुशवाहा ने सबसे पहले मुखर होकर उठाया। उन्होंने तेजस्वी के नाम पत्र लिख कर सुधाकर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। बाद में राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने भी ऐसी बयानबाजी पर चिंता जतायी और सुधाकर के पिता सच राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से इसे रोकने में पहल का आग्रह किया। तेजस्वी की चेतावनी और जदयू की आपत्ति के बावजूद नीतीश के खिलाफ रोज-रोज नये विशेषणों के साथ सुधाकर का हमला बोलना जारी रहा।

*सुधाकर सिंह के बाद अब चंद्रशेखर जयू के निशाने पर हैं*: जदयू के निशाने पर सुधाकर सिंह के बाद अब हिन्दू धर्मग्रंथों पर बेतुका बयान देने वाले शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर हैं। नीतीश कुमार के अलावा जदयू के कई छोटे-बड़े नेता उनसे माफी की मांग कर रहे हैं। उन पर इस्तीफे का दबाव भी दे रहे हैं। उधर चंद्रशेखर भी अपने स्टैंड पर अड़े हुए हैं। कैबिनेट मीटिंग में सुधाकर सिंह के ही अंदाज में उन्होंने नीतीश को अपनी स्टैंड दो टूक बता दिया था। सुधाकर पर तेजस्वी यादव ऊपरी तौर पर नाराज भी दिखे थे, लेकिन चंद्रशेखर पर उन्होंने साफ कर दिया है कि संविधान में बोलने के अधिकार के तहत उन्होंने अपनी बात रखी है। यह कोई एजेंडा नहीं है। यानी चंद्रशेखर को लेकर जदयू के दबाव के आगे राजद झुकती नजर नहीं आ रही।

*नीतीश का दांव अब बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है राजद*: माना यही जाता है कि नीतीश कुमार को समझना सबके बस की बात नहीं है। सच कहें तो किसी के बस की बात नहीं। उन्होंने 17 साल तक भाजपा को पिछलग्गू बना कर बिहार में रखा। उसे पनपने का मौका ही नहीं दिया। भाजपा ने भी खुद भी कभी उभरने की कोशिश नहीं की। भाजपा का बिहार में उभार पहली बार 2014 के लोकसभा चुनाव में हुआ, जब उसने और उसकी सहायता से सहयोगियों ने 40 में 39 सीटें जीत लीं। यह बिहार प्रदेश नेतृत्व का नहीं, बल्कि नरेंद्र मोदी के चेहरे का कमाल था। असेंबली इलेक्शन में भाजपा ने कभी ऐसे चेहरे के साथ उभरने की कोशिश ही नहीं की। अब ‌राजद के साथ भी नीतीश न केवल यही सलूक कर रहे हैं, बल्कि उसे भी आहिस्ता-आहिस्ता पीछे चलने का प्रशिक्षण दे रहे हैं. उनकी रणनीति को इसी से समझा जा सकता है कि जदयू सिर्फ राजद नेओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता रहा है.शुरू में अपने ही लोगों पर कार्रवाई के लिए मजबूर भी हुआ। राजद अब समझने लगा है कि महागठबंधन की छवि धूमिल करने वाले बयानवीर जदयू नेताओं पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही। उपेंद्र कुशवाहा ने भाजपा से मिलीभगत का आरोप तेजस्वी पर लगाया है। और भी ढेर सारे उनके बयान महागठबंधन को कमजोर करने वाले हैं। पर इस पर कार्रवाई नहीं हो रही। लेसी सिंह पर जदयू की विधायक बीमा भारती ने आरोप लगाया। उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन आरोपों पर राजद के दो मंत्री नप गये। तीसरे पर तलवार लटकी हुई है।

*सुधाकर को शो कॉज कहीं आरजेडी का आई वॉश तो नहीं है*: जिस तरह सुधाकर सिंह को राजद ने शो कॉज दिया है,उससे लगता है कि यह आई वॉश से अधिक कुछ नहीं है। इसलिए कि जब कार्रवाई का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष को है तो प्रधान महासचिव ने शो कॉज क्यों जारी किया। प्रदेश अध्यक्ष के रहते महासचिव को शो कॉज जारी करने का अधिकार किसने दिया। तीन दिन पहले तक सुधाकर सिंह का मामला जिस तरह टलता रहा,उससे एक आशंका यह भी है कि सुधाकर सिंह इस पत्र का जवाब ही नहीं दें। वह तर्क दे सकते हैं कि किसी भी तरह की कार्रवाई का अधिकार सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष को है। ऐसे में महासतचिव के पत्र का जवाब देने का कोई औचित्य नहीं। अगर ऐसा हुआ तो यह महज आरजेडी का आई वॉश सिद्ध होगा। यह भी साफ हो जाएगा कि जेडीयू के दबाव में अब राजद और झुकने को तैयार नहीं।

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