लंबे वक्त से चल रहे विवाद के बाद आखिरकार मंगलवार को आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने महागठबंधन से किनारा करने का आधिकारिक घोषणा कर दी है। साथ ही उन्होंने राजग में शामिल होने की अटकलों पर भी विराम लगाते हुए तीसरे मोर्चे के गठन का ऐलान किया है। अब उपेंद्र कुशवाहा यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के बीएसपी के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरेंगे।

दरअसल महागठबंधन में सीट बंटवारे की स्थिति साफ नहीं होने के कारण आरएलएसपी सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा काफी वक्त से नाराज चल रहे थे। कई बार उन्होंने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से मुलाकात कर इसे सुलझाने का प्रयास किया मगर सीट बंटवारे को लेकर बात नहीं बन पाई जिसके बाद उपेंद्र कुशवाहा से महागठबंधन से किनारा कर लिया।

इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी इसी वजह से महागठबंधन से किनारा कर एनडीए के दामन थाम लिया था।

पूर्व में केंद्रीय मंत्री रह चुके आरएलएसपी प्रमुख को 2007 में नीतीश कुमार के जदयू से बर्खास्त कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने फरबरी, 2009 में अपनी पार्टी राष्ट्रीय समता पार्टी का गठन किया. लेकिन 2009 के नवंबर में ही पार्टी का जेडीयू में विलय हो गया। हालांकि 2013 में 4 जनवरी को उन्होंने नीतीश सरकार पर विकास नहीं करने का आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया। जेडीयू से अलग होने के बाद 2013 में उन्होंने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का गठन किया और 2014 के लोकसभा चुनाव में राजग घटक दल के तौर पर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्होंने काराकाट संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल की और उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में स्थान मिला 2018 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वादा पूरा नहीं करने का आरोप लगाकर केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने महागठबंधन के दामन थाम लिया और उजियारपुर और काराकाट संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा मगर दोनों जगह उनकी हार हुई। बहरहाल बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में उन्होंने महागठबंधन से किनारा कर लिया है।

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