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भागलपुर में मच्छर भगाने के नाम पर ‘धुएं’ में उड़ाए गए लाखों रुपये… दिखावे के लिए किया जा रहा फॉगिंग…

जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
www.janpathnews.com
16 नवम्बर 2022

भागलपुर: बारिश के बाद ठंड ने दस्तक दे दी है। इससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। इतना ही नहीं शहर में डेंगू पीड़ितों की संख्या भी दिन व दिन बढ़ती जा रही है। नगर निगम का दावा है कि रोजाना फॉगिंग होती है, लेकिन लोगों को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है।

नगर निगम में 52 छोटी-बड़ी मशीनें, होता है लाखों खर्च : नगर निगम में मच्छरों को मारने के लिए 52 छोटी-बड़ी मशीन हैं। राेजाना 28900 हजार रुपये केवल छोटी मशीन से फॉगिंग पर व बड़ी मशीन पर 12 से 15 हजार रुपये तक खर्च होता है, जबकि पूरे माह में आठ से 10 लाख रुपये। छोटी मशीन से रोस्टर के अनुसार 12 से 17 वार्ड में फॉगिंग कराया जा रहा है। मशीनों के अलावा इसके लिए उपयोग में आनेवाली गाड़ी, स्टाफ पर अलग से खर्च आते हैं लेकिन नतीजा कुछ नहीं मिल रहा।

*अहम बातें…*

मच्छर के नाम पर लाखों रुपये धुएं में,
नगर निगम मुख्य मार्गों में रोजाना कराता है फाॅगिंग,
गली-मुहल्ले में दिखावे का होता है फॉगिंग और
एक दिन में 20 से 25 हजार रुपये तक आता है खर्च

*सड़कों पर दिखावे के लिए किया जा रहा फॉगिंग*

नगर निगम के कर्मियों की मानें तो मुख्य मार्ग में फॉगिंग हर दिन होता है। आदमपुर सीसी मुखर्जी लेन की सरिता देवी ने बताया कि सोमवार को दोपहर में फॉगिंग करने के लिए नगर निगम के स्टाफ आये थे, जो केवल सड़क पर आवाज करते और धुंआ उड़ाते निकल गये। बड़ा नाला तो ढक दिया गया, लेकिन नाला समय-समय पर साफ नहीं कराया गया। इससे शाम को चारों तरफ मच्छर का प्रकोप है। वहीं, मारूफचक की सपना कुमारी ने बताया कि उनका मोहल्ला वार्ड 41 में है। यहां कभी फॉगिंग कराते नहीं देखा। वार्ड 42 के महेशपुर मोहल्ले में पानी की निकासी नहीं है। निवर्तमान पार्षद सरयू प्रसाद साह ने बतााया कि सालोंभर जलजमाव की समस्या होती है। अब जब मलेरिया व डेंगू का प्रकोप बढ़ गया है तो ब्लिचिंग व फॉगिंग कराने की मांग की गयी। डेंगू का प्रकोप फैलने से पहले ही ब्लिचिंग व फॉगिंग कराने की मांग कर चुके हैं।
इस बारे में नगर निगम भागलपुर के कार्यालय अधीक्षक मो० रेहान ने बताया कि नगर निगम में 51 छोटी मशीनें है। अधिकतर मशीन ठीक है। एक बड़ी फॉगिंग मशीन है। एक छोटी मशीन पर एक दिन में कम से कम 1700 रुपये तक खर्च आता है, जबकि बड़ी मशीन पर 10 से 15 हजार रुपये तक खर्च आता है। इसे चलाने के लिए पर्याप्त कर्मचारी व संसाधन है। फॉगिंग लगातार हो रहे हैं, जिन इलाके में नहीं किया गया है, वहां भी कराया जायेगा।

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