जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
25 जनवरी 2023

भागलपुर : सर्जिकल स्ट्राइक पर कांग्रेस के पीएम फेस राहुल गांधी ने कभी सवाल उठाया था, लेकिन अब दिग्वजय सिंह उठा रहे हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग चुके हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने भी सितंबर 2019 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में हुए सर्जिकल स्ट्राइक पर सबूत मांगे थे। उन्होंने कहा था, ‘आज भी, मैं सबूत मांग रहा हूं। भारत सरकार सबूत दिखाए। बीजेपी झूठा प्रचार करती है इसलिए लोग इसके लिए पूछ रहे हैं। भाजपा राजनीतिक रूप से सर्जिकल स्ट्राइक का इस्तेमाल कर रही है। सेना सीमा पर लड़ रही है। अगर कोई मर रहा है, तो वह सेना के जवान हैं, और उन्हें इसका श्रेय दिया जाना चाहिए, भाजपा को नहीं।’ हाल ही बिहार के मंत्री सुरेंद्र यादव ने तो हद ही कर दी। उन्होंने बीजेपी को यह कह कर लपेट लिया कि वह चुनाव के वक्त सेना पर हमले कराती है। राम तो तकरीबन हर कथित धर्मनिरपेक्ष विपक्षी दल के निशाने पर हैं।

*धर्मनिरपेक्षता का लबादा ओढ़ रहे एक धर्म विशेष पर प्रहार*

आश्चर्य यह कि उल्टी-सीधी बतकही करने वाले सभी नेता हिन्दू नामधारी खुद को धर्मनिरपेक्ष बताने से चूकते नहीं। ऐसे धर्मनिरपेक्ष नेताओं से आप दूसरे धर्मों के बारे में कभी एक शब्द नहीं सुने होंगे। दरअसल अपने यहां कई दफा नेता कानूनन प्रतिबंधित आलोचना से भी परहेज नहीं करते। हिन्दू धर्म, हिन्दुओं के देवी-देवता, उनके धर्मग्रंथ ऐसे धर्मनिरपेक्ष लोगों के निशाने पर होते हैं।

*सलमान खुर्शीद ने आरएसएस को कट्टर मुस्लिम संगठन जैसा कहा*

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब- सनराइज ओवर अयोध्या : नेशनहुड इन ऑवर टाइम्स में हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और बोकोहराम जैसे कुख्यात आतंकी संगठनों से कर दी है। उन्होंने लिखा है कि- ‘हिंदुत्व का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए होता है, चुनाव प्रचार के दौरान इसका ज्यादा जिक्र किया जाता है। हिंदुत्व साधु-संतों के सनातन और प्राचीन हिंदू धर्म को किनारे लगा रहा है, जो कि हर तरीके से आईएसआईएस और बोको हरम जैसे जिहादी इस्लामी संगठनों जैसा है। कांग्रेस के ही एक आला नेता राशिद अल्वी ने कहा था कि- जयश्री राम का नारा लगाने वाले लोग निशाचर होते हैं। ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। खुर्शीद की किताब यूपी समेत 5 राज्यों के चुनाव से ठीक पहले आई थी। इस तरह के बयान के बावजूद बीजेपी यूपी जैसे बड़े राज्य में भरपूर सीटों के साथ सत्ता में आई थी। कांग्रेस और लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी की तरह एम-वाई (मुसलिम-यादव) में भरोसा रखने वाली समाजवादी पार्टी की हालत बीजेपी ने खस्ता कर दी थी।

*जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा था- गांधी अंग्रेजों के एजेंट थे*

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रह चुके मार्कंडेय काटजू भी विवादास्पद बयान के लिए चर्चित रहे हैं। उन्होंने एक बार कहा था- महात्मा गांधी अंग्रेजों के एजेंट थे। मार्कंडेय काटजू के पिता कैलास काटजू कभी ओड़िशा और बंगाल के राज्यपाल रहे थे। कुछ समय तक वे मध्यप्रदेश के सीएम और केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री भी रहे। जस्टिस काट्जू ने अपने ब्लॉग में लिखा था कि महात्मा गांधी अंग्रेजों के एजेंट थे, जिन्होंने भारत को नुकसान पहुंचाया। गांधी अंग्रेजों के ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति पर काम करते थे।

*कंगना रनौत ने कहा था- आजादी 1947 में नहीं, 2014 में मिली*

सच कहें तो सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, किसी की बोली पर कोई अंकुश नहीं रह गया है। बीजेपी से ताल्लुक रखने वाली कंगना रनौत तो 1947 में मिली आजादी को ही खारिज करती हैं। वह कहती हैं कि असली आजादी तो 1914 में मिली। इसे व्याकरण का व्यंजना मान सकते हैं। इसलिए कि 2014 में अर्से से कांग्रेस के कब्जे में रही देश की बागडोर बीजेपी के हाथ आयी थी। कंगना रनौवत ने कहा था कि भारत 1947 में आजाद नहीं हुआ। उस वक्त जो आजादी मिली, वह भीख थी। असली आजादी तो 2014 में मिली, जब नरेंद्र मोदी पीएम बने। उनके बयान के बाद विपक्ष ने खूब हंगामा मचाया। कुछ लोगों ने तो उनसे पद्मश्री वापस लेने की मांग कर दी थी। वह इसके लिए भी तैयार थीं, लेकिन शर्त रखा कि कोई यह साबित कर दे कि 1947 में आजादी के लिए कोई लड़ाई हुई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि 1857 में तो आजादी के लिए लड़ाई जरूर हुई थी,लेकिन 1947 में कौन-सी लड़ाई हुई थी। अगर कोई यह बता दे तो वे पद्मश्री लौटाने को तैयार हैं।

*राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं के अजब बोल*

राहुल गांधी ने एक बार कहा था कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व अलग-अलग हैं। बेजीपी और उससे जुड़ा आरएसएस नफरत फैला रहे हैं। उनकी इस बात पर बीजेपी के एमपी गिरिराज सिंह ने पलटवार किया था कि ‘विदेश के जरिये भारत को जानने-समझने की कोशिश कर रहे हैं। भारत को समझने के लिए भारतीय ज्ञान जरूरी है।’ पश्चिम बंगाल के एक नेता हन्नान मोल्ला ने कहा था कि तालिबान जो काम दूसरे देश में कर रहा है, वही काम आरएसएस भारत में कर रहा है।

*बिहार के नेताओं ने तो अपने कुबोल से कमाल ही कर दिया है*

बिहार के नेताओं ने तो इन दिनों अपने कुबोल से कमाल ही कर दिया है। कोई रामचरित मानस और मनुस्मृति जैसे हिन्दू धर्मग्रंथों को समाज में विभेद पैदा करने वाला बता रहा है, तो एक पूर्व मुख्यमंत्री पहले ही रामचरित मानस को काल्पनिक महाकाव्य बता चुके हैं। एक नेता ने राम जन्मभूमि को नफरत की जमीन ही करार दे दिया। कोई सवर्णों को अंग्रेजों का दलाल कह रहा तो एक नेता बीजेपी पर मलामत मढ़ रहे कि वह सेना पर हमले कराती है। खैरियत है कि बिहार का आम आदमी इन नेताओं के झमेले में अभी तक नहीं पड़ा है। संयोग यह भी इस तरह के ऊटपटांग बयान देने वाले टूटपुंजिये नेता नहीं हैं। ये सभी बिहार में जिम्मेवार पदों पर हैं। इनमें कई मंत्री हैं, एक पूर्व मुख्यमंत्री हैं और एक व्यक्ति तो बिहार की बड़ी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं।

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