गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
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असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स(एनआरसी) का दूसरा ड्राफ्ट जारी होने के बाद आर-पार की सियासत तेज हो गई है।बीजेपी जहां इसे लाने का क्रेडिट ले रही है, वहीं विरोध में विपक्ष एकजुट है।असम की तर्ज पर अब देश के दूसरे कई राज्यों में भी NRC की मांग शुरू हो गई है।
बीजेपी ने पश्चिम बंगाल, बिहार, दिल्ली और यूपी में NRC बनाने की मांग की है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या देश के अन्य राज्यों में भी इस प्रक्रिया को लागू किया जाएगा ?
केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी ने देश में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की पहचान के लिए NRC की प्रक्रिया लागू करने की मांग की है । पश्चिम बंगाल में प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष और प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने तो दिल्ली में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने राजधानी में, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और अर्जित शाश्वत चौबे ने बिहार में और नरेश अग्रवाल ने यूपी में एनआरसी की मांग की है।
भाजपा के युवा नेता अर्जित शाश्वत चौबे ने असम की तरह बिहार में NRC की मांग करते हुए कहा है कि बिहार में अवैध रूप से काफी संख्या में बांग्लादेशी रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि असम के बाद अब बिहार से घुसपैठियों को निकालने की बारी है। बिहार में रहने वाले घुसपैठियों के खिलाफ भी कानून के मुताबिक कारवाई की जाएगी।
गौरतलब हो कि सोमवार को एनआरसी का दूसरा ड्राफ्ट जारी किया गया है। इसके तहत 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 677 लोगों को वैध नागरिक मान लिया गया है। जबकि करीब 40 लाख लोग अवैध पाए गए हैं।उन्होंने कहा कि एक तरह से सरकार ने उन्हें भारतीय नागरिक नहीं माना है।

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