गौतम सुमन गर्जना
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भागलपुर : बिहार के भागलपुर जिले के पीरपैंती में एक तरफ एक बाप था, जो बेटे को बचाने के लिए उसे जीते जी चिता में लिटा चुका था। दूसरी तरफ एक मां, जो बेटी को न्याय दिलाने के लिए उसके दुष्कर्मी के झूठे यमराजों से लड़ने को तैयार थी। बेटी के साथ हुए दुराचार उसे दिन-रात कचोट रही थी। उसकी लाडली बिटिया जिस टीचर के यहां पढ़ने जाती थी, उसी ने घिनौना काम किया था और कागजों में इस करतूत की सजा पाए बिना ही वह मर चुका था। मां ने ठान लिया था कि चाहे जो हो जाए, बेटी को न्याय दिलाना है। भागलपुर के चौंकाने वाले मे पीड़िता की मां ने जनपथ न्यूज (www.janpathnews.com) को चार साल की पूरी आप बीती सुनाई।
गौरतलब हो कि चार साल पहले दुष्कर्म करने के आरोपित शिक्षक ने बीते दिन आत्मसमर्पण कर दिया था और उसने खुद को मृत घोषित करने के लिए हर हथकंडे अपना रखे थे और उसमें वह सफल भी हो गया था। केस बंद हो चुका था, लेकिन उसके मृत होने की सच्चाई तो पीड़िता की मां को पता ही थी। लिहाजा, उसने पंचायत से लेकर प्रखंड और न्यायायल तक की चौखट को एक कर दिया। इस दौरान गांव वालों ने भी मदद के नाम पर उससे मुंह मोड़ लिया था। आखिर में उसकी मेहनत रंग लाई और केस रिओपन हो गया? बेटी के साथ गलत करने वाला जो आरोपी पंचतत्व में विलीन हो चुका था, उसे मां की जिद्द, मजबूत हौंसलों ने कोर्ट में आने को विवश कर दिया।
लोगों ने नहीं दिया साथ-केस बंद करने का बनाया गया दबाव : अब इशीपुर बाराहाट थानाक्षेत्र के मधुरा सिमानपुर निवासी शिक्षक नीरज मोदी जेल में है। उस पर 14 अक्टूबर 2018 को दुष्कर्म का केस दर्ज किया गया था। दुष्कर्म पीड़िता की मां ने केस को रिओपन कराने की पूरी दास्तां बताई। उन्होंने बताया कि हम लोग मजदूरी करते हैं, बच्ची के पिता दूसरे राज्य में कमाते हैं। दुष्कर्मी शिक्षक की चाल के बाद गांव में किसी ने मेरा साथ नहीं दिया। गांव वालों ने केस लड़ने में कोई मदद नहीं की उल्टे ही कई लोग केस खत्म करने दबाव बना रहे थे। कुछ लोग तो रुपये का प्रलोभन दे रहे थे, उनका कहना था कि केस को दबा ही रहने दो तो तुम्हें दुष्कर्मी शिक्षक से रुपये दिला देंगे। फिर मैंने किसी की बाट नहीं जोही और अकेले ही इस लड़ाई में कूद गई। शिक्षक किसी भी बच्चे के पिता के समान होता है। अगर वह अपने बच्चों के साथ ऐसा कुकृत्य करे तो सजा मिलनी ही चाहिए।
वो जिंदा था, मिले फांसी की सजा-पीड़िता की मां : दुष्कर्म पीड़ित छात्रा की मां ने बताया कि आरोपित के पिता ने उसका मृत्यु प्रमाण पत्र लगाकर केस बंद करा दिया था। यह जानकारी ही हमको नहीं थी। कई दिनों बाद कोर्ट में वकीलों से पूछने पर पता चला कि केस बंद हो चुका है क्योंकि शिक्षक की मृत्यु हो चुकी है। उसके बाद मैं ग्राम पंचायत से लेकर प्रखंड कार्यालय तक गई। वार्ड सदस्य, मुखिया और पंचों ने लिखित में दिया कि उन्हें शिक्षक की मृत्यु की जानकारी नहीं है। गलत मृत्यु प्रमाण पत्र लगाया गया है। उसके बाद बीडीओ को आवेदन दिया। बीडीओ ने जांच की तो शिक्षक जीवित मिला। फिर बीडीओ ने दुष्कर्मी शिक्षक का मृत्यु प्रमाण रद्द कराते हुए पंचायत सचिव से उसके पिता पर प्राथमिकी दर्ज कराई। उस प्राथमिकी की काॅपी मैंने कोर्ट में दी। कोर्ट ने केस रिओपन करते हुए जांच के बाद कुर्की का आदेश दे दिया, जिस पर उस शिक्षक ने आत्मसमर्पण कर दिया।
इस आत्मसमर्पण से स्वजनों के चेहरों पर न्याय की संतुष्टि झलक रही थी। पीड़िता की मां का कहना है कि मेरी बिटिया को न्याय मिले, टीचर की करतूत से उसका दोष भी सिद्ध ही हो चुका है, नहीं तो वो मरने की नौटंकी न करता, इन जैसे कुकर्मियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए।