जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 26 अक्टूबर :: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज मन की बात में कहा कि आज विजयादशमी यानि दशहरे का पर्व है, इस पावन अवसर पर आप सभी को ढ़ेरों शुभकामनाए। दशहरे का ये पर्व, असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है। साथ ही, ये एक तरह से संकटों पर धैर्य की जीत का पर्व भी है। आज, आप सभी बहुत संयम के साथ जी रहे हैं, मर्यादा में रहकर पर्व, त्योहार मना रहे हैं, इसलिए, जो लड़ाई हम लड़ रहे हैं, उसमें जीत भी सुनिश्चित है। पहले, दुर्गा पंडाल में, माँ के दर्शनों के लिए इतनी भीड़ जुट जाती थी – एकदम, मेले जैसा माहौल रहता था, लेकिन, इस बार ऐसा नही हो पाया । पहले, दशहरे पर भी बड़े-बड़े मेले लगते थे, लेकिन इस बार उनका स्वरुप भी अलग ही है ।

उन्होंने ने कहा कि कोरोना के इस संकट काल में, हमें संयम से ही काम लेना है, मर्यादा में ही रहना है । साथियो, जब हम त्योहार की बात करते हैं, तैयारी करते हैं, तो, सबसे पहले मन में यही आता है, कि बाजार कब जाना है? क्या-क्या खरीदारी करनी है? त्योहारों की ये उमंग और बाजार की चमक, एक- दूसरे से जुड़ी हुई है। लेकिन इस बार जब आप खरीदारी करने जायें तो ‘Vocal for Local’ का अपना संकल्प अवश्य याद रखें। बाजार से सामान खरीदते समय, हमें स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी है। साथियो, त्योहारों के इस हर्षोल्लास के बीच में Lockdown के समय को भी याद करना चाहिए। आइए इन उत्सवों में खुशियां बांटे, हम!

प्रधानमंत्री ने कहा कि साथियो, हमें अपने उन जाबाज़ सैनिकों को भी याद रखना है, जो, इन त्योहारों में भी सीमाओं पर डटे हैं। भारत-माता की सेवा और सुरक्षा कर रहें हैं। हमें उनको याद करके ही अपने त्योहार मनाने हैं। मैं उन परिवारों के त्याग को भी नमन करता हूँ जिनके बेटे-बेटियाँ आज सरहद पर हैं।
हर वो व्यक्ति जो देश से जुड़ी किसी- न-किसी जिम्मेदारी की वजह से अपने घर पर नहीं है, अपने परिवार से दूर है – मैं, ह्रदय से उसका आभार प्रकट करता हूँ। आज जब हम Local के लिए Vocal हो रहे हैं तो दुनिया भी हमारे local products की fan हो रही है।स्वास्थ्य की दृष्टि से ये body friendly fabric है, all weather fabric है और आज खादी fashion statement तो बन ही रही है। खादी की popularity तो बढ़ ही रही है, साथ ही, दुनिया में कई जगह, खादी बनाई भी जा रही है । हमें घर में एक दीया, भारत माता के इन वीर बेटे-बेटियों के सम्मान में भी जलाना है। मैं, अपने वीर जवानों से भी कहना चाहता हूँ कि आप भले ही सीमा पर हैं, लेकिन पूरा देश आपके साथ हैं, आपके लिए कामना कर रहा है। ओहाका में खादी कैसे पहुँचीं ये भी कम interesting नहीं है। उन्होंने, मेक्सिको के ओहाका में ग्रामीणों को खादी का काम सिखाया, उन्हें प्रशिक्षित किया और आज ‘ओहाका खादी’ एक ब्रांड बन गया है। शुरू में लोग खादी को लेकर संदेह में थे, परन्तु, आख़िरकार, इसमें लोगों की दिलचस्पी बढ़ी और इसका बाज़ार तैयार हो गया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि साथियो, दिल्ली के Connaught Place के खादी स्टोर में इस बार गाँधी जयंती पर एक ही दिन में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी हुई। इसी तरह कोरोना के समय में खादी के मास्क भी बहुत popular हो रहे हैं।
देशभर में कई जगह self help groups और दूसरी संस्थाएँ खादी के मास्क बना रहे हैं। यू.पी. में, बाराबंकी में एक महिला हैं – सुमन देवी जी। सुमन जी ने self help group की अपनी साथी महिलाओं के साथ मिलकर खादी मास्क बनाना शुरू किया। धीरे-धीरे उनके साथ अन्य महिलाएँ भी जुड़ती चली गई, अब वे सभी मिलकर हजारों खादी मास्क बना रही हैं।

उन्होंने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियो, जब हमें अपनी चीजों पर गर्व होता है, तो दुनिया में भी उनके प्रति जिज्ञासा बढती है। जैसे हमारे आध्यात्म ने, योग ने, आयुर्वेद ने, पूरी दुनिया को आकर्षित किया है। हमारे कई खेल भी दुनिया को आकर्षित कर रहे हैं। हमारे local products की खूबी है कि उनके साथ अक्सर एक पूरा दर्शन जुड़ा होता है । आजकल, हमारा मलखम्ब भी, अनेकों देशों में प्रचलित हो रहा है। अमेरिका में चिन्मय पाटणकर और प्रज्ञा पाटणकर ने जब अपने घर से ही मलखम्ब सिखाना शुरू किया था, तो, उन्हें भी अंदाजा नहीं था, कि इसे इतनी सफलता मिलेगी। अब तो, इसकी, World Championship शुरू की गई है, जिसमें, कई देशों के प्रतिभागी हिस्सा लेते हैं। अमेरिका में आज, कई स्थानों पर, मलखम्ब Training Centers चल रहे हैं। बड़ी संख्या में अमेरिका के युवा इससे जुड़ रहे हैं, मलखम्ब सीख रहे हैं। आज, जर्मनी हो, पोलैंड हो, मलेशिया हो, ऐसे करीब 20 अन्य देशो में भी मलखम्ब खूब popular हो रहा है। लेकिन संभवतः, नई पीढ़ी के हमारे युवा साथी, मलखम्ब से उतना परिचित ना हों। आप इसे इन्टरनेट पर जरूर search करिए और देखिये। भारत में तो प्रचीन काल से कई ऐसे खेल रहे हैं, जो हमारे भीतर, एक असाधारण विकास करते हैं | हमारे Mind, Body Balance को एक नए आयाम पर ले जाते हैं।

उन्होंने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों, कुछ ही दिनों बाद वल्लभ भाई पटेल जी की जन्म जयन्ती 31 अक्टूबर को हम सब “राष्ट्रीय एकता दिवस” के तौर पर मनाएंगे। साथियों, आज हमें अपनी वाणी, अपने व्यवहार, अपने कर्म से हर पल उन सब चीजों को जो हमें “एक” करे, जो देश के एक भाग में रहने वाले नागरिक के मन में, दूसरे कोने में रहने वाले नागरिक के लिए सहजता और अपनत्व का भाव पैदा कर सके।सिखों के पवित्र स्थलों में “नादेड़ साहिब” और “पटना साहिब” गुरुद्वारे शामिल है। हमारे सिख गुरुओं ने भी, अपने जीवन और सद्कार्यों के माध्यम से एकता की भावना को प्रगाढ़ किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 31 अक्टूबर को हम “वाल्मीकि जयन्ती” भी मनाएगे। मै महर्षि वाल्मीकि को नमन करता हूँ। 31 अक्टूबर को भारत की पूर्व-प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी को हमने खो दिया। मै आदरपूर्वक उनको श्रद्धांजलि देता हूँ। उन्होंने कहा कि आप सबसे एक वेबसाइट देखने का आग्रह करता हूँ ekbhart.gov.in (एक भारत डॉट गव डॉट इन)। इसमें national intergration की हमारी मुहिम को आगे बढ़ाने के कई प्रयास दिखाई देंगे। अभी, आगे और भी कई पर्व आने वाले हैं। अभी ईद है, शरद पूर्णिमा है, वाल्मीकि जयन्ती है, फिर धनतेरस, दिवाली, भाई दूज, छ्ठी मैया की पूजा है, गुरुनानक देव जी की जयंती है। कोरोना के संकट काल में, हमें संयम से ही काम लेना है, मर्यादा में ही रहना है।

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