वकील के साथ पुलिस की कार्रवाई का मामला तूल पकड़ा, सीजेएम द्वारा एसएचओ संजय सिंह सहित 4 पुलिस अधिकारियों को एक सप्ताह के अंदर शोकॉज दाखिल करने का दिया गया सख्त निर्देश……….

राकेश कुमार, जनपथ न्यूज
अगस्त 7, 2021

पूर्णिया: पूर्णिया सीजेएम कोर्ट द्वारा वकील गिरफ्तारी मामले में एसएचओ संजय सिंह सहित 4 पुलिस अधिकारियों से मांगे गए
शोकॉज का अगर पुलिस अधिकारियों द्वारा सटीक जबाब नही दिया जाता है तो कोर्ट कोई सख्त निर्णय ले सकती है और आपको बता दे की सीजेएम द्वारा दिए गए समय एक सप्ताह का समय समाप्त होने वाला है।

बताते चले की बीते 17 जुलाई को पूर्णिया के वकील सैदुल हक के घर पर पुलिस ने दो बार छापेमारी की थी और उनके साथ धक्कामुक्की की गई थी।वकील के एक पुत्र सादाब अनवर और उनकी नाबालिग पुत्री नाजिया फरहत को सहायक थाना पुलिस व किशनगंज पुलिस ने रात भर इस इस थाने से उस थाने घुमाती रही थी।

चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के कोर्ट ने के हाट सहायक थाना केस नम्बर 645/2021 मामले में चार पुलिस अधिकारियों से सात दिनों के अंदर शोकॉज मांगा है।जिन अधिकारियों से यह जबाब मांगे गए हैं उनमें से 1-सहायक थाना प्रभारी एरेस्टिंग ऑफिसर-संजय सिंह 2- आईओ -प्रेम शंकर सिंह ,3–
एएसआई -अब्दुल मन्नान तथा 4–एसआई पुष्पलता कुमारी एसएचओ महिला थाना ,किशनगंज हैं।

आपको बताते चलें कि पूर्णिया सीजेएम कोर्ट में वकील एवं उनके बच्चों को 18 जुलाई के दिन कोर्ट में जेल भेजने और रिमांड लेने के लिए हाजिर किया तो कोर्ट ने एक वकील को कटघरे में देखकर कोर्ट चकित रह गया।कोर्ट ने पहले उन्हें कटघरे से निकलवाया और हथकड़ी खुलवाई और वकील सैदुल हक से सारी बातों की जानकारी ली।पुलिस से भी पूछताछ की। वकील सैदुल हक ने कोर्ट को बताया के कैसे 17 जुलाई की शाम पुलिस सहायक थाना प्रभारी संजय सिंह के नेतृत्व में छपेमारी करने आई। उन्हें कोई नही मिला लेकिन सभी जबरदस्ती करने लगे कि कहां छुपा कर रखे हो बच्चे को ? मैंने मना किया कि हमलोगों ने छुपा कर नहीं रखा है फिर भी पुलिस जबरदस्ती धक्का-मुक्की करने लगी उसके बाद मैंने कहा कि मैं वकील हूं और मैंने पूछा की आपके पास सर्च वारंट हुई तो दिखाइए। इस पर मुझ पर सभी गुस्सा गए और मेरे साथ धक्का-मुक्की करने लगे और उसके बाद चले गए। फिर लगभग रात्रि के 8:00 बजे लगभग 50 पुलिसकर्मी जिसमें महिला पुरुष दोनों पुलिसकर्मी थे आए और हमलोगों को घेर लिया तथा मेरे साथ और मेरे परिवार के साथ मारपीट करने लगे। उन्होंने मेरी बच्ची के साथ भी मारपीट की और मेरे बेटे के साथ मारपीट की गई और हम लोगों को जबरदस्ती घसीट कर गाड़ी में बैठा लिया गया। रात भर इस थाने से उस थाने घुमाते रहे ।मेरी बच्ची का की पिटाई के कारण कई जगह से कपड़े फट गए बाद में पुलिस ने उसके कपड़े को फेंक दिया और दूसरा कपड़ा मेरी बच्ची को पहनाया। हमलोग डर से सहमे हुए थे और अब हुजूर आपके सामने हम लोगों को लाया गया है।

वकील सैदुल हक ने कोर्ट को यह भी बताया कि मेरे साला की पत्नी ने किशनगंज में अपने पति पर एक केस दर्ज किया है जिसमें अपने दोनों बच्चों का अपहरण करने का आरोप अपने पति पर तथा मुझ पर लगाया है, जिसका केस नम्बर कोचाधामन थाना 1149/21 है। जबकि मेरे साले ने किशनगंज कोर्ट में लिख कर दिया है कि बच्चे बच्ची मेरे पास सुरक्षित है और मैं इसे अपने पास ही सुरक्षित रखा हूँ। फिर भी मुझ पर यह कार्रवाई की गई। कोर्ट ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पुलिस को फटकार लगाई तथा तत्काल ही वकील सैदुल हक, उनकी बेटी नाजिया फरहत तथा बेटे शादाब फरहत को रिहा कर दिया और पुलिस से सप्ताह दिनों के अंदर जवाब मांगा कि आपने किस आधार पर इनकी गिरफ्तारी की, आपके पास इन्हें गिरफ्तार करने का कोई पुख्ता कारण नहीं था। आपका सर्च वारंट भी सही नहीं था। कोर्ट ने पुलिस से यह भी कहा है कि सप्ताह दिन के अंदर तो जवाब दे ही साथ में नाबालिग बच्ची नाजिया फरहत के फाड़े गए कपड़े को कोर्ट में हाजिर करें। उन्होंने पुलिस पर यह भी आरोप लगाया कि आप लोगों ने इसे कैसे साथ में रखा जबकि लड़की नाबालिग है और जुवेनाइल का मामला है ।

बताते चलें कि इसी मामले में पूर्णिया बार एसोसिएशन के कई सदस्यों ने मिलकर वकील पर अमानवीय कृत्य पुलिस द्वारा करने को लेकर एसपी और आईजी से भी शिकायत की थी जिसके बाद पुलिस ने भी समय मांगा है। पूर्णिया एसपी एवं आईजी से बार एसोसिएशन के वकीलों ने आग्रह किया था कि पुलिस अधिकारियों पर केस किया जाए लेकिन केस नहीं हुआ है, यह भी बड़ा मामला है।

पीड़ित अधिवक्ता सैदुल हक ने बताया कि 8 अगस्त को पटना बिहार स्टेट बार काउंसिल की बैठक इसी मामले को लेकर रखी गई है जिसमें बैठक के बाद निर्णय लिया जाएगा कि आगे क्या किया जाना है और इसके खिलाफ इस अमानवीय पुलिसिया कार्यवाही के खिलाफ क्या कदम उठ उठाने हैं।

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