जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
17 जनवरी 2023

सुप्रीम कोर्ट से भाजपा नेता को नहीं मिली राहत

भाजपा नेता सह पूर्व मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शाहनवाज हुसैन के खिलाफ अब बलात्कार का मुकदमा चलेगा। शाहनवाज हुसैन पर एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में भाजपा नेता को राहत देने से इंकार कर दिया है।

विदित हो कि पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोप लगाने वाली महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया था कि दिल्ली पुलिस शाहनवाज के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कर उसपर कार्रवाई करे। हाईकोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ शाहनवाज हुसैन सुप्रीम कोर्ट चले गये थे।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर तात्कालिक तौर पर स्टे लगा दिया था। लेकिन सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है, जिसमें सैयद शाहनवाज हुसैन को राहत देने से इनकार कर दिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने से इंकार कर दिया। यानि दिल्ली पुलिस को शाहनवाज हुसैन के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कर छानबीन शुरू करनी होगी।

*क्या है पूरा मामला?*

दरअसल 2022 में दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन के खिलाफ रेप का एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिया था। शाहनवाज पर 2018 में ही एक महिला ने रेप का आरोप लगाया था। महिला ने जून 2018 को पहली बार शिकायत दर्ज करायी थी। चार साल बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। शाहनवाज हुसैन इस आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये थे।

*महिला का गंभीर आरोप*

सैयद शाहनवाज हुसैन के खिलाफ आरोप लगाने वाली महिला ने जून 2018 में ही शिकायत दर्ज कराई थी। उसने आरोप लगाया था कि भाजपा नेता ने 2018 के अप्रैल में उसे अपने छतरपुर स्थित फार्महाउस पर बुलाया था। वहां कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर उसे पिला दिया, जिससे वह अचेत हो गई थी। महिला ने आरोप लगाया था कि नशे की हालत में उसके साथ दुष्कर्म किया गया था। आरोप लगाने वाली महिला ने शाहनवाज हुसैन के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (रेप करने), धारा 328 ( किसी व्यक्ति के खाने-पीने के सामान में नशाली पदार्थ मिलाने), धारा 120बी (आपराधिक साजिश रचने), धारा 506 (धमकी देने) एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी।

हालांकि, दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इंकार कर दिया तो महिला ने दिल्ली के मेट्रोपोलिटन कोर्ट के सामने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत एप्लिकेशन दायर की थी। इसमें दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गयी थी। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने इस मामले में चार जुलाई 2018 को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के सामने रिपोर्ट दायर किया था। दिल्ली पुलिस का कहना था कि जांच में महिला की ओर से लगाए गए आरोपों की पुष्टि नहीं हो पाई है। लेकिन दिल्ली के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने एफआईआर का निर्देश दिया था।

*हाईकोर्ट से भी नहीं मिली राहत*

इसके बाद सैयद शाहनवाज हुसैन ने दिल्ली हाईकोर्ट मे अर्जी लगायी। हाईकोर्ट ने 13 जुलाई 2022 को निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दिया था। हाईकोर्ट में शाहनवाज हुसैन के वकील ने कहा था कि भाजपा नेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का फैसला पूरी तरह गलत है, क्योंकि शिकायतकर्ता और शाहनवाज हुसैन के भाई के बीच कुछ विवाद चल रहा है। इसी विवाद में शाहनवाज को भी घसीटा जा रहा है। वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता ने जिस तारीख और समय में रेप होने का आरोप लगाया है, उस दिन भाजपा नेता रात 9.15 बजे तक घर से नहीं निकले थे, तो 10.30 बजे तक छतरपुर कैसे पहुंच सकते हैं। इस मामले में शिकायत करने वाली महिला कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) पेश कर कहा गया कि महिला भी रात 10.45 तक द्वारका में थी, तो 10.30 में छतरपुर में उसके साथ रेप कैसे हो गया।

लेकिन सैयद शाहनवाज हुसैन को इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली थी। उनके दलील पर हाईकोर्ट ने कहा था कि पुलिस कमिश्नर को महिला की ओर से जो शिकायत भेजी गई, वह एक संज्ञेय अपराध की गंभीरता को दर्शाती है। हाईकोर्ट ने कहा था कि मामले में पुलिस एसएचओ को शिकायत मिलते ही एफआईआर दायर करनी चाहिए थी। दिल्ली हाईकोर्ट की जज जस्टिस आशा मेनन ने पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में लापरवाही दिखायी है। हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया था कि वह मामले की एफआईआर दर्ज करे और जांच पूरी होने के बाद उसे सीआरपीसी की धारा 173 के तहत तीन महीने के अंदर निर्धारित प्रारूप में रिपोर्ट पेश करे।

*सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली*

सैयद शाहनवाज हुसैन ने दिल्ली हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि शाहनवाज हुसैन का 30 साल लंबा राजनीतिक कैरियर रहा है और एफआईआर दर्ज होने से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने शाहनवाज हुसैन को राहत देने से इंकार कर दिया। लिहाजा, दिल्ली पुलिस को सैयद शाहनवाज हुसैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच-पड़ताल करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच में यदि शाहनवाज निर्दोष साबित होते हैं तो बच सकते हैं।

Loading

You missed