नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रहे देश की आर्थिक व्यवस्था को बहाल रखने हेतु 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का एलान इस बात का सूचक है कि नागरिकों की हर छोटी बड़ी जरूरत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निगाह है। यह कहना है देश के जाने माने रणनीतिकार एवं आर्थिक नीति के सलाहकार डॉ. कृष्ण झा का। उन्होंने कहा कि इस पैकेज में प्रधानमंत्री ने एमएसएमई और कुटीर उद्योग से लेकर मिडिल क्लास और किसान का कुछ इस तरह ख्याल रखने की कोशिश की है कि अर्थव्यवस्था का ईकोसिस्टम फिर से चल पड़े।
कोरोना की वजह से जारी लॉकडाउन और उससे पैदा हुई परेशानियों को रेखांकित करते हुए डॉ. कृष्ण कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक से अधिक पत्र लिखकर आर्थिक पैकेज की मांग की थी। हालांकि मांग से भी भारी भरकम आर्थिक पैकेज दिये जाने से उत्साहित डॉ. झा ने कहा कि यह आर्थिक पैकेज कितना बड़ा है इसे इसी से जाना जा सकता है कि पाकिस्तान के सालाना बजट का छह गुणा और उसकी कुल जीडीपी का 83 फीसदी है। विश्व में जीडीपी के लिहाज से भारत का राहत पैकेज पांचवां सबसे बड़ा पैकेज है।
उल्लेखनीय है कि 17 मई को लॉकडाउन 3 की मियाद खत्म होने के बाद 18 मई से लॉकडाउन 4 चलेगा। हालांकि जान और जहान दोनों का ख्याल रखते हुए इस लॉकडाउन में काफी कुछ बदला बदला नजर आयेगा। लॉकडाउन 4 के ऐलान के पहले ही देश के तमाम सेक्टर्स के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज के जरिए प्रधानमंत्री अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना चाहते हैं। झा ने कहा कि प्रधानमंत्री के संबोधन में आत्मनिर्भर बनने और लोकल के लिए वोकल वाली बात का खासा महत्व है। उन्होंने कहा कि वक्त आ गया है कि स्वदेशी को अपनाया जाय।
कृष्ण कुमार ने कहा कि इस पैकेज का मकसद है कि तमाम सेक्टर फिर से अपनी रफ्तार पकड़ें जिससे मांग के साथ-साथ रोजगार भी बढ़े। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक ध्यान ग्रामीण भारत पर देने की जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी ने 20 लाख करोड़ के इस पैकेज से अर्थव्यवस्था को ईकोसिस्टम को मजबूत बनाने की कोशिश की है। यह पैकेज नये बदलाव का वाहक बनेगा। हमें इस चीनी वायरस से सतर्कता पूर्वक नियमों का पालन करते हुए बचना भी है और आगे भी बढ़ना है। हम लड़ेंगे भी और जीतेंगे भी।