जनपथ न्यूज़ स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन देने में सुल्तानगंज ब्लॉक में बड़ा गडबड़झाला सामने आया। बड़े बेटे ने सरकारी राशि की लूट के लिए चाल चली और नौ साल में करीब 11 लाख रुपए डकार लिए। उसने अपनी मृत स्वतंत्रता सेनानी मां सुदामा देवी को जीवित बता एक दूसरी महिला को विभाग के सामने खड़ा कर दिया। अफसरों ने भी नियम ताक पर रखा और हर छह माह में जीवित प्रमाण पत्र लिये बगैर ही पेंशन देते रहे। मामला मंगलवार को तब खुला, जब उसके छोटे भाई ने ही शिकायत कर दी। मामला खुलने के बाद भी बीडीओ प्रभात रंजन को आवेदन का इंतजार है। उनका कहना है कि जांच होगी। इसके बाद दोषी पर कार्रवाई होगी।
:सुल्तानगंज में अफसरों की मिलीभगत से सरकारी पैसे में लगाई सेंध, छोटे भाई को चला पता तो खोल दी पोल
अफसर बगैर जीवित प्रमाण-पत्र मांगे देते रहे पेंशन
सुल्तानगंज के वार्ड-14 में गली-1 में रहने वाले गौरीशंकर कुशवाहा के स्वतंत्रता सेनानी पिता जागेश्वरी कोइरी थे। उनकी प|ी सुदामा देवी भी स्वतंत्रता सेनानी थीं। केंद्र और राज्य सरकार उन्हें पेंशन दे रही थी। सुदामा देवी का निधन 27 दिसंबर, 2001 को हो गया। उनके निधन के बाद ही पेंशन बंद हो जाती। ऐसे में सुदामा देवी के बेटे गौरीशंकर कुशवाहा ने चाल चली। उसने अपनी मां के निधन के बाद एक महिला कुसमी देवी को विभाग के सामने पेश कर दिया। उसने यह कहा कि यही उसकी मां सुदामा देवी है। इस गड़बड़ी में विभागीय अफसरों ने भी साथ दिया और हर छह माह में बिना जीवित प्रमाण पत्र लिए ही 9 साल यानी 2010 तक पेंशन जारी करते रहे।
पेंशन का दस्तावेज दिखाते राजेंद्र कुशवाहा।
नौ साल तक लगातार लेते रहे पेंशन
प्रखंड प्रशासन के मुताबिक स्वतंत्रता सेनानी को पेंशन राज्य और केंद्र सरकार दोनों ही अपने मदों से देती हैं। 2001 से 2010 तक राज्य सरकार पेंशन के लिए हर माह 2000 रुपए देती रही। केंद्र सरकार से मिलने वाली पेंशन की राशि औसतन 8000 रुपए थी। ऐसे में 9 साल में राज्य सरकार के खजाने से 2,16,000 रुपए और केंद्र के खजाने से भी इस बीच 8.64 लाख रुपए डकार लिए। गौरीशंकर कुशवाहा ने स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर कुसमी देवी को पेश कर कुल 10.80 लाख का फटका लगाया।
ऐसे खुला मामला
मुंगेर में रहने वाले गौरीशंकर कुशवाहा के छोटे भाई राजेंद्र प्रसाद कुशवाहा को बड़े भाई के इस धोखे की भनक मिली। पड़ोसियों ने गौरीशंकर का पूरा कारनामा बता दिया। राजेंद्र ने बताया, जब ब्लॉक से पेंशन के दस्तावेज निकाले तो भाई के कारनामे सामने आ आए। इसके बाद उन्होंने डीआईजी, डीएम, एसएसपी, बीडीओ, सुल्तानगंज थाना, सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा कोषांग को आवेदन दिया है।
इस सवाल का नहीं है अफसरों के पास जवाब
पेंशनर्स के लिए नियम है कि हर छह माह में उन्हें अपना जीवित प्रमाण पत्र पेश करना होता है। परं एक बार भी अफसरों ने सुदामा देवी का जीवित प्रमाण पत्र नहीं मांगा। इतना ही नहीं, 15 अगस्त और 26 जनवरी के समारोह में भी बुलाने को अफसरों ने किसी को नहीं भेजा। यहां जीवित होने का प्रमाण ं मिल सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया। अब उनके पास कोई जवाब नहीं है।
आवेदन मिलने पर करवाऊंगा जांच