नारी शक्तियों को किया गया सम्मानित
जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना (भोपाल), 13 अक्टूबर ::
महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम कर रहा सामाजिक संगठन दीदीजी फाउंडेशन के सौजन्य से
नवरात्रि के अवसर पर 11 नारी शक्तियों को किया गया सम्मानित।
आदि शक्ति माँ दुर्गा की पूजा का पर्व शारदीय नवरात्र के अवसर पर दीदीजी फाउंडेशन के सौजन्य से मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के आकृति ग्रीन सोसाइटी में नारी रत्न सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें समाज में अलग-अलग क्षेत्र में उत्कृष्ट काम कर रही 11 महिला शक्तियों को सम्मानित किया गया।
सम्मानित होने वाली महिला शक्तियों में ज्योति घोष, दीपाली झोकरकर, निशा तंबोली, उर्मिला शर्मा, सुजाता पाथ्चे, संतोषी सूर्यवंशी, श्रद्धा तिवारी,
सुदेशना मिश्रा, अनंतिका मिश्रा,
प्रीटी, रंगोली श्रीवास्तव हैं।
दीदीजी फाउंडेशन की संस्थापक और अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय-राजकीय सम्मान से अंलकृत डॉ० नम्रता आनंद ने कहा कि महिलाएं आज पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में उनसे कदम से कदम मिलाकर काम कर रही हैं। उन्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। बस उनके हौसलों को पंख देने की जरूरत है और इसी उद्देश्य से दीदीजी फाउंडेशन ने “नारी रत्न सम्मान” का आयोजन किया।
उन्होंने ने कहा कि महिलायें अब हर क्षेत्र में अपना नाम रोशन कर रही हैं। आज के समय में महिलाएं किसी भी पैमाने पर पुरुषों से कम नहीं हैं। आदि काल से ही महिलाएं सशक्त रही है, यही वजह है कि देश की आधी आबादी साहित्य, सांस्कृतिक, राजनीतिक, समाजसेवा, शिक्षा, व्यवसाय आदि सभी क्षेत्रों में खुद को स्थापित कर चुकी हैं ।अलग- अलग क्षेत्रों में काम करने वाली महिलायें आज अपने दम पर समाज में फैली कुरीतियों को मिटाकर और पुरुषों के साथ हर कदम पर साथ चलकर इतिहास रच रही हैं। वे आगे बढ़ रही हैं और अपनी उपलब्धियों से देश का गौरव बढ़ा रही हैं। नारी सशक्तिकरण के बिना मानवता का विकास अधूरा है। यह जरूरी है कि हम स्वयं को और अपनी शक्तियों को समझें। जब कई कार्य एक समय पर करने की बात आती है तो महिलाओं को कोई नहीं पछाड़ सकता। यह उनकी शक्ति है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए।
डॉ० नम्रता आनंद ने कहा कि अब जरूरत है महिलाओं को सशक्त बनाने की, अब हर किसी को जगना होगा और सबको जगाना होगा, बहुत खो लिया नारी ने, अब उसे उसका हक दिलाना होगा, स्त्रियों को खुद इसकी शुरुआत करनी होगी, स्त्रियों को खुद स्वयं को आगे बढ़ाना होगा, उम्मीद है जल्द हीं हालात बदलेंगे, उम्मीद है अब वक्त करवट लेगा और नहीं रहेगी किसी स्त्री के चेहरे पर शिकन।
उन्होंने महिलाओं का आह्वान करते हुये कहा कि तोड़ के पिंजरा जाने कब उड़ जाऊँगी मैं, लाख बिछा दो बंदिशे फिर भी आसमान में जगह बनाऊंगी मैं, हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ ,भले ही रूढ़िवादी जंजीरों से बांधे है दुनिया ने पैर मेरे फिर भी इसे तोड़ जाऊँगी मैं किसी से कम नहीं सारी दुनिया को दिखाऊंगी जो हालत से हारे ऐसी नहीं मैं लाचारी हूँ हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ,।
डॉ० नम्रता आनंद ने सभी को नवरात्र की बधाई देते हुये कहा कि नवरात्रि का पर्व सही अर्थ में स्त्रीत्व का आनंदोत्सव है। किसी भी समाज में स्त्री के अस्तित्व और उसके सामर्थ्य के प्रति कृतज्ञता को प्रदर्शित करता ऐसा त्योहार देखने को नहीं मिलता।a

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