जनपथ न्यूज़:- बिहार के हाजीपुर में भगवापुर प्रखंड की जहांगीरपुर पटेढा पंचायत के बसंत पटेढा गांव में मुंबई के कल्याण से लौटे पांच युवकों से परिजनों व ग्रामीणों ने बात करने से इन्कार कर दिया. सभी उन्हें अपने नजदीक भी नहीं आने दे रहे थे. इसका कारण था मुंबई से दानापुर होते हुए यहां तक आने के दौरान कहीं भी उनकी कोरोना वायरस की जांच न होना था. इसकी सूचना सीएचसी को दी गयी. काफी देर तक जब मेडिकल टीम नहीं पहुंची तो इसकी सूचना सिविल सर्जन को दी गयी.
बाद में सीएस के निर्देश पर पहुंची टीम ने उनकी जांच की. जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद लगभग पांच घंटे से अधिक समय तक चला हाइप्रोफाइल ड्रामा खत्म हुआ.
मिली जानकारी के अनुसार बसंत पटेढा गांव निवासी सबीर आलम का पुत्र इमतेयाज आलम, रोशन अली का पुत्र इमरान, रमेश सिंह का पुत्र विशाल कुमार, राजेश साह का पुत्र मनीष कुमार व मो रफीक का पुत्र सबरे आलम मुंबई के कल्याण में रहते थे. पांचों ट्रेन से मुंबई से दानापुर व ऑटो से अपने घर पहुंचे.

इस दौरान उनकी कहीं भी कोरोना वायरस की जांच नहीं की गयी. घर पहुंचते ही परिजनों ने बिना जांच के उन्हें घर में प्रवेश से रोक दिया.
जानकारी होने पर ग्रामीण भी जुट गये. प्रखंड प्रमुख बैद्यनाथ चौधरी ने इसकी सूचना भगवानपुर सीएचसी को दी. डॉक्टर के नहीं आने पर इसकी सूचना सराय थाने की पुलिस को दी गयी तथा सदर अस्पताल में उनकी जांच कराने की मांग की. लगभग पांच घंटे के बाद सीएचसी प्रभारी के नेतृत्व में पहुंची टीम ने पांचों युवकों की जांच की.इस संबंध में सीएचसी प्रभारी धर्मशिला सिन्हा ने बताया कि कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की जांच के लिए कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं करायी गयी है. सीएचसी में किसी दूसरे डॉक्टर के नहीं रहने की वजह से ओपीडी खत्म होने के बाद जांच की गयी.

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