जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
23 जनवरी 2023

बिहार में कभी जदयू के राजद नेताओं पर हमलावर होने की खबरें सामने आ रही थीं हालांकि, अपने नेताओं की तरह नीतीश कुमार के तेवर तल्ख तो नहीं थे, लेकिन उनके अंदाज में भी सख्ती का संदेश जरूर छिपा हुआ था। राजद विधायक सुधाकर सिंह और कार्तिकेय सिंह को मंत्री पद से हटा कर आरंभ में ही नीतीश कुमार ने राजद पर हावी होने की शुरुआत कर दी थी। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के हिन्दू धर्मग्रंथों पर दिए बयान पर भी नीतीश के स्वर नरम नहीं थे। सुधाकर सिंह के रुक-रुक कर आ रहे बयानों की शब्दावली भी नीतीश को रास नहीं आई थी। उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर तो नहीं की, लेकिन राजद नेतृत्व पर उनके खिलाफ कार्रवाई का जिम्मा सौंप कर उन्होंने उसे कठघरे में खड़ा तो कर ही दिया था। चंद्रशेखर के बयान पर तो उन्होंने अपनी पार्टी के हल्ला ब्रिगेड को बोलने की खुली छूट दे दी थी। ललन सिंह, अशोक चौधरी, नीरज कुमार और उमेश कुशवाहा ने हल्ला बोल भी दिया था। उपेंद्र कुशवाहा समेत जदयू के अन्य नेताओं की चेतावनी ने सुधाकर को शो काॅज देने पर राजद को मजबूर कर दिया।

*अब महागठबंधन में हालात बदल गए हैं*

महागठबंधन में अब हालात बदल चुके हैं। चंद्रशेखर को जिस तरह जदयू नेताओं ने जलील किया था, अब उसी अंदाज में राजद नेता तेजस्वी यादव ने जदयू नेता और पूर्व एमएलसी के बलियावी के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। राजद के शीर्ष नेतृत्व पर भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाने वाले उपेंद्र कुशवाहा के बारे में अनपेक्षित बातें बोलने के लिए नीतीश कुमार को राजद ने मजबूर किया है। इससे यही लगता है कि राजद अब दबने वाला नहीं है। वह भी जदयू को करारा जवाब देने के लिए तत्पर है। और तो और, नीतीश के बारे में ‘शिखंडी’, ‘नपुंसक’ और ‘हाईटेक भिखमंगा’ और ‘टेकुआ’ की तरह सीधा करने बयान देने वाले सुधाकर सिंह की बोलती शो-काॅज के बावजूद बंद नहीं हुई है। इन सबको किस रूप में देखा जाना चाहिए। यही न कि तेजस्वी ब्रिगेड किसी भी हाल में अब जदयू के ताने या आरोप सुनने को तैयार नहीं हैं।

*17 साल में बिहार बर्बाद हो गया- सुधाकर सिंह*

सुधाकर सिंह ने किसानों की एक सभा में बेहिचक कहा कि 17 साल में बिहार बर्बाद हो गया। सामान्य आदमी को भी यह समझने में देर नहीं लगेगी कि ये 17 साल किस सीएम का कार्यकाल था। समझने में चूक हो रही हो तो सुधाकर के बिना किसी का नाम लिए इन इशारों को देखें- पिछले 17 साल में दुनिया में बहुत कुछ बदल गया, लेकिन नहीं बदली तो सिर्फ बिहार की तकदीर। 17 साल में एक व्यक्ति ने 4 बार कुर्सी छोड़ी.एक ही व्यक्ति ने 17 साल में 4 बार गठबंधन बदला। एक ही व्यक्ति एक ही पद पर बैठा रहा, सिर्फ गठबंधन बदलता रहा। क्या अब भी आप नहीं समझ पाए! तो लीजिए, हम ही बता देते हैं। बिहार में 17 साल से नीतीश कुमार का शासन रहा है। उन्होंने ही कभी भाजपा तो कभी राजद के साथ 4 बार पाला बदला है। 4 बार कुर्सी नीतीश कुमार ने ही छोड़ी है। एक ही आदमी कुर्सी पर बैठता रहा, सिर्फ उसका गठबंधन बदला.क्या अब भी किसी को यह संदेह है कि पहले सुधाकर जो बोल रहे थे, शो-काॅज के बाद उनकी शब्दावली भले बदली है,पर तेवर वैसे ही तल्ख नहीं हैं..?

*कृषि पर खर्च बढ़ा, पर उत्पादन घट गया*

यह बात भी सुधाकर सिंह ने बिना किसी का नाम लिए कही। उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में कृषि रोड मैप के नाम पर सरकारी खजाने से 3 लाख 10 हजार करोड़ निकाले गए। लेकिन अनाज का उत्पादन बढ़ने के बजाय घट गया। बिहार की सरकार में बैठे लोग कह रहे कि भ्रष्टाचार नहीं है तो इससे बड़ा झूठ कोई और नहीं हो सकता है। बिहार के मुख्यमंत्री सिर्फ ये साबित कर दें कि किसानों से धान खरीद में भ्रष्टाचार नहीं हो रहा है तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा।

*और अंत में सुधाकर ने नाम भी ले लिया*

आखिर में सुधाकर ने खुद रहस्य से पर्दा हटा दिया। उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के नाम पर नीतीश कुमार गठबंधन बदलते रहे। नीतीश कुमार को बिहार के विकास की नहीं, अपनी कुर्सी की चिंता है। अब कोई यह कहे कि महागठबंधन में तनातनी नहीं तो आश्चर्य ही होगा। लेकिन इस तनातनी की एक खासियत है। यह महागठबंधन तोड़ने के लिए नहीं है, बल्कि यह महागठबंधन में अपने दल की दबंगता साबित करने के लिए है।

*अब तक महागठबंधन में जेडीयू की चली है*

महागठबंधन में सबसे बड़ा दल राजद पार्टनर जरूर है, लेकिन अभी तक नीतीश कुमार अपने काम के अंदाज से दूसरे नंबर की पार्टी के नेता होने के बावजूद स्वयं को सुपर साबित करते रहे हैं। ब्यूरोक्रेसी में नियुक्तियां हों या अन्य फैसले, अब तक होता वही रहा है, जो नीतीश चाहते रहे हैं। डीजीपी की नियुक्ति हो या सरकार के सलाहकारों का बने रहना, राजद ने कभी कोई आपत्ति नहीं की। नीतीश ने पसंद नहीं किया तो राजद ने दब कर अपने दो मंत्री हटा लिए और एक को पार्टी विरोधी एक्ट के लिए शो-काॅज भी जारी करा दिया। ट्रांसफर-पोस्टिंग नीतीश कुमार अपनी मर्जी से करते रहे। पांच महीने में मीडिया में पहली बार की तरह इस बार कोई खबर नहीं आई कि ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए राजद-जदयू में तनातनी है।

*राजद के दबाव में उपेंद्र के खिलाफ बोले नीतीश?*

समाधान यात्रा पर निकले सीएम नीतीश ने उपेंद्र कुशवाहा पर चुप्पी तोड़ी। गया में मुख्यमंत्री ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा एक दल से दूसरे दल में आते-जाते रहे हैं। वह तो दो-तीन बार बाहर छोड़कर गए, फिर खुद आए। सबको अपना-अपना अधिकार है। सुधाकर के शो काॅज के अंदाज में सीएम ने कहा कि सुना है, अभी वे एम्स में इलाज कराने गए हैं, आएंगे तो पूछ लेंगे। भाजपा के साथ उपेंद्र कुशवाहा के जाने पर सीएम ने ये बातें कही थीं। उनकी बातों से स्पष्ट है कि उपेंद्र के आने-जाने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। उन्होंने उस उपेंद्र कुशवाहा के बारे में ये बातें कहीं, जिन्होंने डिप्टी सीएम की बात से कम, लेकिन नीतीश के बारे में कहे जा रहे अपशब्दों को लेकर राजद से पंगा ले लिया है।

कुशवाहा के बारे में नीतीश के ऐसे बोल साफ करते हैं कि कुर्सी के लिए वे अपनों को शहीद करने से पीछे नहीं हटेंगे। दूसरा, इसे राजद का दबाव भी माना जाना चाहिए। भाजपा से राजद के शीर्ष नेताओं की मिलीभगत की बात कह कर उन्होंने राजद के दिग्गज नेता और डिप्टी सीएम तेजस्वी से दुश्मनी मोल ली है।

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