महज गणेश परिक्रमा करने वालों की पार्टी बनकर रह गई है जदयू : आरसीपी सिंह

*पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने अपने सैकड़ो सर्मथकों के साथ जदयू से शनिवार को ही दे दिया है इस्तीफा*
*अपने 7 जन्मों में भी पीएम नहीं बन सकेंगे सीएम नीतीश*
जनपथ न्यूज डेस्क, पटना
आलेखाकार: गौतम सुमन गर्जना, भागलपुर
9 अगस्त 2022
भागलपुर/पटना : पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने अपने सैकड़ों सर्मथकों के साथ शनिवार को ही जदयू से इस्तीफा दे दिया है। तत्पश्चात उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के नाम भेजे पत्र में कहा है कि वे पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा देते हैं। उनके साथ जदयू के शिक्षा प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष डॉ० कन्हैया सिंह व व्यावसायिक प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष उपेन्द्र विभूति ने भी अपने पद से इस्तीफा दिया था। इसके साथ ही आरसीपी सिंह ने नया संगठन बनाने का संकेत भी दिया और कहा कि एक बड़ी साजिश के तहत उन पर आरोप लगाया गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने सभी कार्यकतार्ओं से भी साथ चलने का आह्वान किया।
आरसीपी सिंह ने कहा कि जदयू अब डूबता हुआ जहाज है और इसमें अब कुछ भी नहीं बचा है, ऐसे में अब भला जदयू का झोला उठाकर क्या करूंगा ?
भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रह चुके आरसीपी सिंह ने यहां तक कह दिया कि, उन्हें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि जिस जदयू नाम के बगीचे को हरा-भरा रखने के लिए मैंने खून-पसीना बहाया, वह जदयू नाम का बगीचा अब सिर्फ गणेश परिक्रमा करने वालों की ही पार्टी बनकर रह गई है। आरसीपी सिंह ने इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लिए बिना कहा कि राज्यसभा टिकट काटे जाने से पहले उन्होंने बात तक नहीं की। उनके साथ किसी तरह की कोई कटसी भी नहीं निभाया गया, कम से कम बता तो दिया जाता कि इस बजह से आपका टिकट काटा जा रहा है।
आरसीपी सिंह ने कहा कि बार-बार यह कहा जा रहा था कि राज्यसभा में आरसीपी सिंह के दो टर्म पूरे हो चुके हैं, तो मैं पूछता हूं कि यह नियम तो और लोगों पर भी लागू होती है। सीएम नीतीश का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि खुद कितने टाइम से सीएम रह रहे हैं, यह तो सब देख और जान रहे हैं। नियम तो सभी पर बराबर लागू होना चाहिये, ये नियम अकेले मुझपर ही आखिर क्यों थोंपा गया।
आरसीपी सिंह ने कहा कि उन्होंने सारी बातों पर सोच-विचार कर फैसला किया है, जिसे कभी बदला नहीं जा सकता। फिलहाल उन्होंने मीडिया के माध्यम से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है और फिर इसके तुरंत बाद पार्टी को पत्र भी उन्होंने भेज दिया। उन्होंने बताया कि वे पिछले कई महीनों से देख रहे हैं कि जदयू में अब कुछ नहीं बचा हुआ है। पार्टी में एक कार्यक्रम तक नहीं होने की बात करते हुए उन्होंने बताया कि पिछला कार्यक्रम मैंने पिछले वर्ष 4 जुलाई को किया था। इसके बाद पार्टी कार्यकतार्ओं तक का क्या हाल बनाकर रखा गया, यह किसी से छिपा हुआ नहीं है।
आरसीपी सिंह ने कहा कि बिना कुछ सोचे-समझे पार्टी ने मुझे पत्र भेज दिया, जबकि मुझसे व्यक्तिगत रूप से पूछा भी जा सकता था। लेकिन पार्टी ने ऐसा इसलिये नहीं किया कि जदयू में काम करने वालों को कभी कोई तरजीह नहीं दी जाती।
*नीतीश सात जन्मों में नहीं बन सकते प्रधानमंत्री*
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने कहा है कि इस तरह की कुत्सित राजनीति के बलबूते सीएम नीतीश अपने सात जन्मों में भी कभी प्रधानमंत्री नही बन पाएंगे।
उन्होंने कहा है कि जिसके खुद के घर शीशे के हों वह दूसरे के घरों में पत्थर नही मारा करते।
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने कहा कि जदयू डूबता हुआ अब वो जहाज है, जो कभी भी और किसी भी समय डूबकर खत्म हो सकती है। उन्होंने कहा कि जो भी कार्यकर्ता इस डूबते हुए जहाज को छोड़ना चाहते हैं, जल्द छोड़ दें। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी उनपर आरोप लगाए गए थे, क्या कर लिए..?
उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि जदयू का झोला ढोने से कोई फायदा नहीं होने वाला है, मुझे देख लीजिये और सबक सीखिये कि आज मेरी इमेज को किस तरह जान-बुझकर खराब करने की कोशिश की जा रही है। जालसाज लोगों को अब यही सब काम बचा हुआ है।
2013-2022 के बीच इतनी संपत्ति उन्होंने कैसे बनाई के सवाल पर उन्होंने जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि उनकी एक बेटी आईपीएस और दूसरी अधिवक्ता है.2010 से ही दोनों बेटियां इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करती आ रही हैं और फिर उनके पिता भी सरकारी नौकरी में थे। मेरे पिता ने अपनी पूरी संपत्ति हमारी दोनों बेटियों के नाम कर दी थी। आरसीपी सिंह ने कहा कि जमीन की खरीदगी कई टुकड़ों में हुई थी, इनमें कुछ मामला जमीन के बदले जमीन का भी है। उन्होंने कहा कि शहर की तुलना में गांव की जमीन सस्ती होती है। जमीन खरीद में उनके बैंक अकाउंट से एक रुपये का भी लेन-देन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे ऊपर जो भी आरोप लगाये जा रहे हैं वो निराधार हैं मेरे नाम से न कोई जमीन है, न ही मेरे अकाउंट से पैसे का ट्रांसफर हुए हैं। उन्होंने खुद को जमीन का आदमी बताते हुए कहा कि आज तक वे जहां भी रहे हैं, पूरी गरिमा के साथ काम को प्राथमिकता दी है। कोई बता दें कि उन्होंने किसी का कभी चाय तक पिया है। जदयू के लोग खिचड़ी पकाते रहते थे,तब इन लोगों को मैं हमेशा कांटा लगता था। उन्होंने अंत में यही कहा कि इस तरह साजिश करने से उनका मनोबल टूटने वाला नहीं है,वे अंदर से काफी मजबूत हैं।