जनपथ न्यूज़ पटना :- बिहार (Bihar) में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव (Assembly Elections) होने हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 को लेकर तमाम पार्टियों ने अभी से अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। इसी कड़ी में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में जेडीयू (JDU) और बीजेपी (BJP) गठबंधन की सरकार ने शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने 43 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा ठोक दिया है। रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी ने विधानसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव के फॉर्मूले पर ही एनडीए में सीट बंटवारे की मांग की है। विधानसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी ने 17-17 जबकि एलजेपी ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा था। एलजेपी के मुताबिक 243 सीटों वाली विधानसभा में सौ-सौ सीटों पर बीजेपी और जेडीयू और 43 सीटों पर एलजेपी का दावा बनता है। एलजेपी सांसद और रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस के उस कथन पर कि जदयू एवं भाजपा बिहार की कुल 243 सीटों में से 100-100 और एलजेपी 43 सीटों पर चुनाव लडे़गी।
एलजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी पारस पासवान के बयान का समर्थन किया है। पारस पासवान के बयान का समर्थन करते हुए रामविलास पासवान ने कहा कि एलजेपी कितनी सीटों पर विधान सभा चुनाव लड़ेगी, यह अधिकारिक रूप से तय नहीं है। हालांकि लोजपा सांसद पशुपति कुमार पारस के 42 सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी के सात सांसद हैं। औसतन एक क्षेत्र में छह-सात विधायक होते हैं। इसलिए उसी फॉर्मूले पर पारसजी ने सीटों की संख्या का आकलन कर बयान दे दिया था।
लोजपा के 42 सीट पर दावे के बाद जदयू फिलहाल अपना पत्ता नही खोल रही है, लेकिन इतना जरूर कह रही है कि बिहार में बड़े भाई की भूमिका में जदयू होगी और इसीकारण जदयू का सबसे ज्यादा सीट पर भागीदारी सुनिश्चित होना चाहिए। जेडीयू इस बात का भी जिक्र कर ही है कि खुद अमित शाह ने कहा है कि बिहार में चेहरा नीतीश कुमार का ही होगा। जदयू और लोजपा के बीच बीजेपी परेशान है, क्योंकि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में जदयू को 17 सीटें दी थी जबकि जदयू के सिटिंग सांसद मात्र दो थे। बीजेपी को उम्मीद है कि विधानसभा में नीतीश कुमार बड़ा दिल दिखाएगें और बीजेपी को बराबर सीट ऑफर करेगें। बहरहाल अभी बीजेपी नेता केवल यह कह रहे है कि सीट शेयरिंग का मुद्दा दिल्ली में बैठे आला नेता तय करेंगे।
वैशाली में भाजपा के मंच से अमित शाह ने नीतीश के नाम का एलान शायद यही संदेश देने के लिए किया कि विपक्ष जहां अभी सीट और नेतृत्व जैसे सवालों को लेकर उलझा हुआ है। ऐसे में फिलहाल इतना तो कहा ही जा सकता है कि चुनावी जंग से पहले राजग बिहार के मतदाताओं तक संदेश पहुंचाने में बाजी मारता दिखाई दे रहा है।