जनपथ न्यूज

संवाददाता: गौतम सुमन गर्जना
8 सितंबर 2022

भागलपुर : क्या यह सत्य है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था का आकार इंग्लैंड (ब्रिटेन) की अर्थव्यवस्था के आकार से बड़ा हो चुका है। भाजपा के लोग इसको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की उपलब्धि के रूप में पेश कर रहे हैं। हमारे देश के अर्थशास्त्री पहले से ही इसका अनुमान लगा रहे थे। उनके मुताबिक़ तो 2019 में ही हमारी अर्थ व्यवस्था का आकार ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के आकार से बड़ी हो जानी चाहिए थी। इसका एक बड़ा कारण तो ब्रिटेन की आबादी के मुक़ाबले हमारे देश की आबादी बहुत बड़ा होना है। ब्रिटेन की आबादी, जहां सात करोड़ से भी कम है। वहीं, हमारी आबादी एक सौ पैंतीस करोड़ के आसपास है। लेकिन क्या हमारे देश की अर्थव्यवस्था का आकार सचमुच ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था से बड़ा हो गया और क्या इससे हमारे देश की आर्थिक हालत भी ब्रिटेन से बेहतर हो चुकी है…? असल सवाल तो यह है।

किसी भी देश के नागरिकों की आर्थिक हालत कैसी है, इसका अनुमान उस देश के लोगों के
प्रति व्यक्ति आय के आधार पर लगाया जाता है। जहां तक ब्रिटेन का सवाल है वहाँ प्रति व्यक्ति आय पैंतालीस हज़ार डॉलर से उपर है। जबकि हमारे देश में यह प्रति व्यक्ति दो हज़ार डॉलर के आसपास है। यह आँकड़ा ही बता रहा है कि समृद्धि के मामले में ब्रिटेन के समक्ष हम कहीं नहीं ठहरते हैं। लज्जित करने वाली इस हक़ीक़त को छुपा कर भाजपा प्रचार माध्यमों का इस्तेमाल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि की चकाचौंध पैदा कर जनता को भ्रमित करने का अभियान चला रही है।

जबकि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भारत में कुपोषण के शिकार पाँच वर्ष से कम आयु वाले दस लाख बच्चे हर साल मरते हैं। उसके मुताबिक़ कुपोषण के मामले में दक्षिण एशिया में भारत की हालत अत्यंत चिंताजनक है। इस मामले में हमसे बेहतर हालत बांग्लादेश और नेपाल की है। भाजपा लज्जित करने वाली इस सच्चाई पर परदा डाल कर प्रचार माध्यमों के ज़रिए विकास का झूठा ढोल पीट कर जनता को गुमराह करने का अभियान चला रही है, जो कतई उचित नहीं है। ज़रूरत है इस अभियान की असलियत से लोगों को रूबरू कराने की।

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