जनपथ न्यूज़ पटना :- बिहार में बाढ़ से लोगों का हाल बेहाल है. हर तरफ यहां पानी ही पानी है. अपनी जान बचाने के लिए लोग भी सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए हुए हैं. इस बाढ़ ने किसी को नहीं छोड़ा, एक ओर जहां लोगों की जिंदगी बेपटरी हो गयी, उनके आशियाने उजड़ गए, वहीं इस बाढ़ ने बिहार की सड़कों और पुलों को भी नहीं बख्शा.
बाढ़ और बारिश से राज्य में 20 जिलों की ग्रामीण सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं, वहीं बड़ी संख्या में पुलों को भी नुकसान पहुंचा है. अभी भी सैकड़ों सडकें पानी में डूबी है. ग्रामीण कार्य विभाग के मुताबिक 20 जिलों के करीब डेढ़ हजार सडकें अब तक क्षतिग्रस्त हुई हैं. सबसे ज्यादा उत्तरी बिहार के रोड और पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं. बाढ़ में टूट कर बह जाने वाले रोड में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से बनी सडकें हैं. इसे लेकर ग्रामीण विकास विभाग ने सभी जिलों से जहां जहां की सडकें और पुलों को बाढ़ से नुकसान पहुंचा है, उसकी रिपोर्ट मांगी है. जैसे ही बाढ़ का पानी घटेगा, उन टूटे रोड और पुलों की मरम्मती का काम शुरू किया जायेगा.
मालूम हो कि बाढ़ के तेज बहाव में जगह-जगह सड़कों का कटाव हुआ है, कहीं-कहीं तो पानी के साथ सडकें भी बह गयी, रोड पर बड़े-बड़े गड्डे भी हो गये हैं. कई सडकें तो ऐसी भी थी जिनका हाल ही में निर्माण हुआ था, लेकिन बाढ़ में वो भी टूट गए. ऐसे में इन सड़कों का फिर से निर्माण किया जायेगा.
इसके साथ ही बिहार के अन्य जगहों पर भी जहां-जहां लोग खस्ताहाल सड़कों से परेशान हैं, उसके दिन भी बदलने वाले हैं. पथ निर्माण विभाग ने बिहार के 11 जिलों में सड़कों की मरम्मत के लिए 265 करोड़ की योजनाओं को मंजूरी दी है. इन जिलों में दरभंगा, मुजफ्फरपुर, छपरा, लखीसराय, सहरसा, पूर्णिया, पश्चिमी चंपारण, मुंगेर, मधेपुरा, बांका और भागलपुर शामिल हैं. इन योजनाओं के तहत करीब 76 किलोमीटर लंबी सड़कों को चौड़ा और मजबूत बनाया जायेगा. इसके अलावे चार पुलों का भी निर्माण होगा.
पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव ने आज कहा कि तीन जिलों में पथों के मेंटेनेंस के लिए 313.57 करोड़ रूपए खर्च किए जाएँगे. विभागीय निविदा समिति ने ओपीआरएमसी के तहत योजनाओं को मंजूरी दे दी है. सात वर्षों तक पथों के रख-रखाव की जिम्मेवारी संबंधित संवेदक पर पूर्णियां के लिए 127.74 करोड़, किशनगंज के लिए 106.51 करोड़ और अररिया के लिए 79.31 करोड़ रूपए खर्च किए जाएँगे.
इन सड़कों के मरम्मत और पुलों के निर्माण से लोगों के आने जाने में भी काफी सहूलियत होगी. बहरहाल, अब देखना है कि बिहार में इन सड़कों और पुलों का निर्माण तय समय पर हो पाता है या फिर ये भी सरकारी लेट-लतीफी के भेंट चढ़ जायेंगे.