कोरोना वायरस के चलते इन दिनों दुनिया में बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिल रहा है. एक छोटे से वायरस ने लोगों के बीच एक लकीर खींच दी है. हर कोई एक दूसरे से सामाजिक दूरी बनाकर रख रहा है. बदलाव का ये सिलसिला फिलहाल रूकता दिखाई नहीं दे रहा है. आने वाले समय में और भी बड़े बदलाव नजर आने की पूरी संभावना है. इसी बीच बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने ये दावा कर खलबली मचा दी कि इस बार चुनाव डिजिटल तरीके से हो सकता है. सुशील मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते चुनाव प्रचार के तौर तरीकों में डिजिटल तकनीक का अधिक इस्तेमाल होगा. राजनीतिक पार्टियां बड़ी बड़ी रैलियां न करके मोबाइल और टेलीविजन के जरिए वोट की अपील करती नजर आएंगी. इसके बाद उन्होंने कहा कि हो सकता है कि इस बार वोट का तरीका भी बदल जाए. मतदाता बूथ पर न जाकर डिजिटल तरीके से घर बैठे ही मतदान करें. बीजेपी नेता के इस बयान पर बिहार में सियासी घमासान शुरू हो गया है. वंचति समाज पार्टी चुनाव अभियान समिति के प्रमुख ललित मोहन सिंह ने कहा कि अगर ऐसा करने की कोशिश की गई तो इस बार बिहार में बड़ा जनआंदोलन खड़ा कर देंगे. उन्होंने कहा कि ये आंदोलन शांतिपूर्ण नहीं होगा. ललित सिंह ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए से ये स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूं कि किसी भी तरह से बिहार में ये खेल होने नहीं दिया जाएगा. अगर किसी ने डिजिटल चुनाव कराने चेष्टा की तो ऐसा आंदोलन करेंगे कि 1977 आंदोलन की यादें ताजा हो जाएंगी. बिहार की डबल इंजन की सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना संकटकाल में भी सरकार लूट की कहानी को पूरा बिहार जान गया है. उन्होंने नितीश सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि बिहार में क्वारंटाइन के लिए प्रति व्यक्ति 2450 रूपये जो जारी किए जा रहे हैं उनमें प्रति व्यक्ति 1200 रूपये से ज्यादा का घोटाला हो रहा है.

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