जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
23 मार्च 2023
भागलपुर : आंध्र प्रदेश के मूल निवासी कुदरू पालेम रमैया यानी केपी रमैया बिहार के चर्चित प्रशासनिक पदाधिकारी (आईएस) रहे। प्रशासनिक पदाधिकारी से लेकर सियासत तक में उन्होंने अपनी पारी खेली। लेकिन केपी रमैया भागलपुर के बहुचर्चित सृजन घोटाले की जांच में जाकर फंस गए। भागलपुर के डीएम रहे केपी रमैया पर सृजन घोटाला मामले में गंभीर आरोप हैं और उनकी संलिप्तता भी इस घोटाले में पाई गई है। रमैया के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी है और वो कई वर्षों से फरार चल रहे हैं। केपी रमैय्या को अब भगोड़ा घोषित कर दिया गया है। चलिये आज सोनभद्र एक्सप्रेस के जरिये जानते हैं इस आइएएस अधिकारी केपी रमैया के बारे में…
*वीआरएस लेकर जदयू से बने थे उम्मीदवार*
भागलपुर में जब किसी डीएम की चर्चा होती है तो आज भी लोग केपी रमैया को जरुर याद करते हैं। लेकिन सृजन घोटाले ने उनकी छवि एक अपराधी की बना दी। केपी रमैया का कद कुछ ऐसा रहा कि वो नौकरी में रहने के दौरान ही वीआरएस लेकर सत्ताधारी दल जदयू का दामन थाम बैठे थे। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रमैय्या को जदयू की सदस्यता दिलाई थी और लोकसभा चुनाव तक पार्टी ने उन्हें लड़ाया। उस दौरान वे सासाराम से उम्मीदवार बनाए गए थे।
*बड़े पदों पर रहे केपी रमैया*
केपी रमैया ने 2014 में वीआरएस लेकर नौकरी छोड़ दी थी और जदयू ज्वाइन कर लिया था। खुद सीएम नीतीश कुमार ने रमैया को पार्टी में ज्वाइन कराया था। इसके बाद रमैया को सासाराम से प्रत्याशी बनाया गया। हालाकि तब रमैया चुनाव हार गए थे। रमैया 1986 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। 1989 में वो पहली बार भभुआ के एसडीओ बनाए गए थे। बेगूसराय व पटना में भी वो डीएम पद पर कार्यरत रहे। सियासत में आने से पहले वो एससी-एसटी विभाग के प्रधान सचिव भी रहे। वो महादलित आयोग के भी सचिव थे।
*भागलपुर मे डीएम रहकर उलझे केपी रमैया*
बिहार के भागलपुर में अरबों के हुए सृजन घोटाले की जांच जारी है। तब केपी रमैया 2003-04 में भागलपुर के डीएम हुआ करते थे। सीबीआई की ओर से दर्ज प्राथमिकी में रमैया फरार हैं। सीबीआई ने 18 मार्च 2020 को जिन 28 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था,उनमें केपी रमैया भी शामिल थे।
*चार्जशीट में रमैया पर आरोप*
चार्जशीट में बताया गया है कि डीएम रमैया ने ही सृजन संस्था को घोटाले का जाल बिछाने में शह दे रखी थी। उन्होंने सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं को अधिकृत पत्र जारी कर दिया कि सरकारी योजनाओं के पैसे सृजन में जमा किया जाए ताकि इन्हें प्रोत्साहित किया जा सके। 20 दिसंबर 2003 को यह पत्र लिखा गया, जिसका पत्रांक 1136 था. इस पत्र के जारी होने के बाद ही कई बीडीओ ने सृजन के खाते में राशि जमा की थी।