जनपथ न्यूज डेस्क/पटना

Reported by: गौतम सुमन गर्जना, भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
9 अगस्त 2022

भागलपुर/पटना : लालू प्रसाद यादव का जब भी नाम लिया जाता है तो सहसा ही चारा घोटाले की बात सामने आ जाती है। लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक जीवन में चारा घोटाला एक ऐसा दाग रहा है, जिसमें उन्हें सजा हुई, जेल जाना पड़ा और वे चुनाव लड़ने से भी वे वंचित हो गए लेकिन लालू प्रसाद यादव की राजनीति को चारा घोटाले में जो इतना बड़ा झटका लगा, उसके सूत्रधार नेताओं में जिनका नाम अग्रणी है, उसमें जदयू के मौजूदा राष्टीय अध्यक्ष ललन सिंह सर्वोपरि हैं।

ललन सिंह उन नेताओं में शामिल रहे, जिन्होंने न केवल सबसे पहले लालू प्रसाद यादव की चारा घोटाले की फ़ाइल खोली, बल्कि उसे लेकर आंदोलन किया और उनके खिलाफ कोर्ट कचहरी जाने वालों को सबूत मुहैया कराया।

यहां तक कि भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी, जिस चारा घोटाला के नाम पर लालू प्रसाद यादव पर दशकों तक हमलावर रहे, जो जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार लालू यादव का कैदी नंबर बताकर उन पर निशाना साधते रहे, कहा जाता है कि उन सबको चारा घोटाला का शुरूआती सबूत ललन सिंह ने ही दिया था।

संयोग से वर्षों बाद 9 अगस्त 2022 को जब नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा दिया और अब राजद संग नई सरकार बना रहे हैं, तो उसमें भी ललन सिंह की अहम भूमिका मानी जाती है। ललन सिंह जब नीतीश कुमार के साथ राबड़ी आवास पहुंचे तो उनका तेजस्वी ने जिस गर्मजोशी से स्वागत किया, उसे देखकर ऐसा लगा कि सारे गिले-शिकवे भुलाकर तेजस्वी अब ललन सिंह के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं।

दरअसल, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के तुरंत बाद नीतीश कुमार ने 10 सर्कुलर रोड स्थित राबड़ी आवास पहुंचकर राजद के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की.नीतीश कुमार का राबड़ी देवी सहित तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव ने गर्मजोशी से स्वागत किया। नीतीश के साथ जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी मौजूद रहे। तेजस्वी ने नीतीश और ललन सिंह का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। वहीं, लालू-राबड़ी परिवार के सदस्यों से मुलाकात के बाद जदयू नेता नीतीश कुमार ने राजद के तेजस्वी यादव से कहा कि 2017 में जो हुआ, उसे वे भूल जाएं और एक नया अध्याय शुरू करें। तेजस्वी यादव ने पहले ही बिना शर्त नीतीश कुमार को समर्थन देने की घोषणा कर रखी है।

नीतीश कुमार अपने आधिकारिक आवास से अकेले ही राजभवन गए। उन्होंने वहां राज्यपाल फागू चौहान से मुलाकात की और अपना इस्तीफा पत्र उन्हें सौप दिया। इसके पहले जदयू के विधायकों और सांसदों की सुबह 11 बजे से बैठक हुई। उसमें नीतीश कुमार ने सभी को बताया कि कैसे उनके दल जदयू को कमजोर करने की भाजपा की ओर से साजिश रची गई। इसके लिए वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान ही सबसे पहले चिराग पासवान को पेश कर जदयू की सीटों को कम करने की कोशिश की गई। बाद में आरसीपी सिंह की मदद से जदयू में सेंधमारी की कोशिश की गई।
मुख्यमंत्री नीतीश ने मंगलवार दोपहर 3.45 बजे के आसपास राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार ने राज्य में नई सरकार बनाने के फार्मूले से भी राज्यपाल को अवगत करा दिया है। वे अब बुधवार को यानी आज नए सिरे से राज्यपाल से मिलकर उन्हें नई सरकार में शामिल होने वाले राजनीतिक दलों और विधानसभा सदस्यों के समर्थ का पत्र सौंपेंगे।

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