जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
22 फरवरी 2023

भागलपुर : 2024 लोकसभा चुनाव में एक साल से ज्यादा का समय बचा है, लेकिन विपक्षी दल एकता मजबूत करने की कोशिशें तेज कर रहे हैं। एक ओर जहां बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कांग्रेस से ‘जल्द से जल्द’ एकता पर फैसला लेने की अपील कर रहे हैं। वहीं, खबर यह भी है कि कांग्रेस चुनाव के बाद गठबंधन पर विचार कर रही है। हालांकि,कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन पार्टी 2009 के फॉर्मूले पर गठबंधन बनाने के मूड में नजर आ रही है।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस का मानना है कि 2024 चुनाव से पहले विपक्षी एकता तैयार करना मुश्किल हो सकता है। साथ ही भाजपा विरोधी होने का दावा कर रहे पार्टियों के एक वर्ग को चुनाव के बाद साथ लाया जा सकता है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि एक गढ़ में एक से ज्यादा दलों के वर्चस्व ने कुछ पार्टियों को आपस में प्रतिद्वंदी बना दिया है। ऐसे में चुनाव से पहले राज्यों में गठजोड़ बनाना चुनौती भरा होगा।

*क्या होगी कांग्रेस की रणनीति..?*

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे में कांग्रेस के रणनीतिकार 2009 मॉडल की मदद लेने की सोच रहे हैं। जहां पार्टी विपक्ष के नेतृत्व वाली ‘प्रगतिशील सरकार’ को ध्यान में रखते हुए राज्य विशेष गठबंधन की तैयारी करती है। खास बात है कि 2004 में कांग्रेस की रणनीति चुनाव से पहले गठबंधन की थी, जिसकी मदद से अटल बिहारी वाजपेयी की नेतृत्व वाले एनडीए को पीछे छोड़ दिया गया था।

एक कांग्रेस नेता बताते हैं कि, ‘केरल में सीपीएम और कांग्रेस लड़ेंगे, तेलंगाना में कांग्रेस, बीआरएस के साथ नहीं जा सकती, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम के साथ नहीं जा सकती। ये परेशानियां बनी रहेंगी। ऐसे में चुनाव से पहले हमारी महत्वकांक्षाओं को इस सच्चाई के हिसाब से तैयार किया जाना चाहिए।’

*मददगार भी हो सकते हैं राज्य*

रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि राज्यवार गठबंधन की मदद से राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की संख्या कम करने की कोशिश की जा सकती है। उन्होंने इसके लिए झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, तमिलनाडु में द्रविड़ मुन्नेत्र कझगम, महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शिवसेना, केरल में यूडीएफ, बिहार में जेडीयू-आरजेडी के साथ का हवाला दिया।

कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि पार्टी से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि तेलंगाना में सीएम के चंद्रशेखर राव के साथ जुड़कर अपनी पहचान सरेंडर कर दे। हालांकि, यहां भी एक विकल्प यह हो सकता है कि कांग्रेस उन राज्यों में सीटें छोड़ दे, जहां वह मजबूत नहीं है।

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