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मैं भागलपुर का सांसद बना पर शिक्षक बने रहने में ज्यादा गर्व अनुभव करता हूं

जनपथ न्यूज़  भागलपुर. पद्मश्री से नवाजे गए पूर्व सांसद व कुलपति डॉ. रामजी सिंह को अपना मूल नाम आजादी के आंदोलन की बलि चढ़ाना पड़ा था। उनका मूल नाम रामचंद्र था। भारत छोड़ो आंदोलन में जमालपुर स्कूल की पढ़ाई छोड़कर शामिल हुए रामचंद्र के सामने स्कूल ने आंदोलन के लिए माफी मांगने की शर्त रख दी।
रामचंद्र का विद्रोही मन नहीं माना। नाम बदलकर रामजी सिंह रख लिया और हाईस्कूल मोकामा में नामांकन लिया। जमालपुर के इंदुख गांव में जन्मे रामजी सिंह ने इंटर की पढ़ाई आरडी एंड डीजे कॉलेज मुंगेर और एमए की पढ़ाई पटना विवि से की। उन्होंने बताया कि गांधी के विचारों को जीना उनकी आदत में शुमार है। गांधी के विचारों के प्रसार के लिए ही टीएमबीयू में पीजी गांधी विचार विभाग की स्थापना की। उस समय गांधी विचार की पढ़ाई कराने वाला यह एशिया का अकेला केन्द्र था।
आचार्य विनोबा द्वारा कहलगांव के शारदा पाठशाला की स्थापना में योगदान दिया। 1980 से 12 वर्षों तक गांधी विचार विभाग के संस्थापक अध्यक्ष रहे। जेपी आंदोलन में बढ़चढ़ कर भाग लिया और 1974 में मीसा एक्ट में दो माह जेल में रहे। 92 वर्षीय डॉ. रामजी सिंह भागलपुर से सांसद रहे, लेकिन खुद को राजनीतिज्ञ नहीं, शिक्षक मानते हैं। पद्म श्री मिलने पर कहा- भले मैं भागलपुर से जनता पार्टी से 1977 में सांसद चुना गया था। तब कांग्रेस के भागवत झा आजाद को 1 लाख 79 हजार वोट से हराया था। लेकिन मैं खुद को शिक्षक बने रहने में गर्व अनुभव करता हूं। लगभग 40 वर्षों तक शिक्षक के रूप में विश्वविद्यालयों में सेवा दे चुका हूं।
मैंने सभी धर्म और विचारधारा के लोगों को एक समान देखा
मैंने सभी धर्म और विचारधारा के लोगों को एक समान देखा। राजस्थान के जैन विवि. में वाइस चांसलर रहते हुए लगभग 2002 में अमेरिका के शिकागो में हुए पार्लियामेंट ऑफ वर्ल्ड रिलिजन में जैन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। अमेरिका में एक पत्रकार ने मुझसे पूछा था कि स्वामी विवेकानंद जिस धर्म सम्मेलन में आए थे, तब जैन धर्म को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया था। क्या आपका भी विरोध नहीं होगा? इस पर मैंने कहा था कि मैं जैन धर्मावलंबी नहीं हूं। मैं जैन धर्म का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। मैंने सबसे पहले जैनिज्म से पीएचडी की। फिर हिंदुइज्म से पीएचडी की। तीसरी पीएचडी गांधी विचार पर किया।
अब तक का सफर
जन्म- 1927 { जन्म स्थल- इंदुख जमालपुर, पिता- हरि प्रसाद सिंह माता- शंकुतला देवी
स्कूली शिक्षा- जमालपुर हाईस्कूल, हाईस्कूल मोकामा
इंटर- आरडी एंड डीजे कॉलेज मुंगेर
एमए- पटना विवि
पीएचडी- जैन दशर्न पर टीएमबीयू से 1966, 1973 में हिन्दू दर्शन, 1983 में गांधीवाद पर डीलिट
1953 में जीडी कॉलेज बेगूसराय में दर्शनशास्त्र के शिक्षक रहे
1956 में पीबीएस कॉलेज बांका के संस्थापक प्राचार्य

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