पटना के गांधी मैदान में 15वीं बार झंडा फहराकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के पहले सीएम श्रीकृष्ण सिंह उर्फ़ श्रीबाबू को पीछे छोड़ा
राकेश कुमार, जनपथ न्यूज
अगस्त 16, 2021
पटना के गांधी मैदान में तिरंगा झंडा फहराते ही नीतीश कुमार की झोली में एक नया रिकॉर्ड आ गिरा।
15 अगस्त 2021 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15वीं बार तिरंगा झंडा फहराया और बिहार के पहले सीएम श्रीकृष्ण सिंह उर्फ़ श्रीबाबू को पीछे छोड़ दिया। इससे पहले करीब 14 बार तिरंगा झंडा फहराने का रिकॉर्ड श्रीकृष्ण सिंह के पास ही था। सबसे ज्यादा बार गांधी मैदान में तिरंगा फहराने वाली लिस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का भी नाम शामिल है। राबड़ी देवी भी बतौर मुख्यमंत्री 8 बार तिरंगा फहरा चुकी हैं।
बिहार के पहले मुख्यमंत्री रहे श्रीकृष्ण सिंह ने साल 1950 में राज्य की सत्ता संभाली थी। हालांकि उससे पहले श्रीकृष्ण सिंह बिहार के प्रीमियर हुआ करते थे। उस समय प्रीमियर का दर्जा मुख्यमंत्री के समकक्ष हुआ करता था। बिहार के प्रीमियर और मुख्यमंत्री रहते हुए श्रीकृष्ण सिंह ने 14 बार झंडा फहराया।
श्रीबाबू और नीतीश कुमार के बाद राबड़ी देवी का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है। राबड़ी देवी भी 8 बार बतौर मुख्यमंत्री पटना के गांधी मैदान में झंडा फहरा चुकी हैं। वहीं लालू यादव भी 7 बार तिरंगा फहरा चुके हैं। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा भी मुख्यमंत्री होने के नाते 6 बार तिरंगा फहरा चुके हैं।
भले ही नीतीश कुमार करीब 15 सालों से ज्यादा समय से बिहार के मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हों लेकिन अभी भी सबसे लंबे समय तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड श्रीकृष्ण सिंह के पास ही है। श्रीकृष्ण सिंह करीब 3 सालों तक बिहार के प्रीमियर रहे और उसके बाद वे लगातार 11 सालों तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे। श्रीकृष्ण सिंह 11 जनवरी 1961 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। हालांकि नीतीश कुमार का कार्यकाल कभी इतना लंबा नहीं रहा।
नीतीश कुमार ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ 3 मार्च 2000 को ली थी लेकिन 7 दिनों के भीतर ही उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद साल 2005 में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार कुमार की पार्टी जदयू ने लालू यादव की पार्टी राजद को कड़ी पटखनी दी थी। जिसके बाद नीतीश कुमार साल 2005 में 24 नवंबर को मुख्यमंत्री बनाए गए। उसके बाद वे 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में जदयू को मिली जीत के बाद फिर से मुख्यमंत्री बनाए गए लेकिन साल 2014 के लोकसभा चुनावों में जदयू को मिली करारी हार के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी जगह जीतन राम मांझी को बिठा दिया।