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मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर जीकेसी की प्रस्तुति अभिव्यक्ति

*मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर जीकेसी की प्रस्तुति “अभिव्यक्ति”*
*हिंदी साहित्य में मील का पत्थर हैं मुंशी प्रेमचंद : राजीव रंजन प्रसाद*
*आम जिंदगी की हकीकत से रूबरू कराने वाली मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ आज भी लोकप्रिय : राजीव रंजन प्रसाद*
जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना (नयी दिल्ली), 31 जुलाई :: ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) महान इतिहासकार और कहानीकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती 31 जुलाई के अवसर पर वर्चुअल कार्यक्रम “अभिव्यक्ति ” का आयोजन करने जा रहा है।
जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्टीय प्रभारी दीपक कुमार वर्मा और कला संस्कृति प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष श्रुति सिन्हा ने बताया कि हिदी कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती 31 जुलाई के अवसर पर वर्चुअल कार्यक्रम अभिव्यक्ति का आयोजन संध्या सात बजे से किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम को जीकेसी कला- संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय महासचिव पवन सक्सेना और राष्ट्रीय सचिव श्वेता सुमन होस्ट करेंगी।
जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि मुंशी प्रेमचंद हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। हिन्दी भाषा को जानने वाले हर व्यक्ति का उनसे गहरा नाता है। अपनी कहानियों के जरिए उन्होंने लाखों-करोड़ों लोगों के दिलो पर अमिट छाप छोड़ी। मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य में एक मील का पत्थर हैं और बने रहेंगे।आम जिंदगी की हकीकत से रूबरू कराने वाली उनकी कहानियां आज भी लोकप्रिय है।
पवन सक्सेना ने कहा हिन्दी साहित्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले मुंशी प्रेमचंद सभी रचनाएं समाज का आईना है। मुंशी प्रेमचंद ने साहित्य की विभिन्न विधाओं को अपनी लेखनी से समृद्ध किया। मुंशी जी हमारे समाज के लिए साहित्य और सांस्कृतिक के मिसाल है सच्चे मार्गदर्शक है। जब भी साहित्य की बात आती है तब उनकी रचित हिंदी साहित्य के लेख और पद्य सामाजिक वातावरण की याद दिलाती है।उनके साहित्य भाषा और लेखनी मानव जीवन को उच्च विचार के प्रति सदा प्रेरित करती है।
श्वेता सुमन ने बताया कि मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानियां बहुत ही सरल और आम आदमी की भाषा में बहुत ही सुलगते मुद्दो पर है। मुंशी प्रेमचंद की सहज-सुगम लेखनी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी अपने रचनाकाल में थी। उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में नवीन मूल्यों की स्थापना की।
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