By Janpath News Desk
जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना
13 मार्च, 2024
भारत ने नागरिकता संशोधन कानून को अधिसूचित कर दिया है। कानून लागू होने पर तीन देशों यथा पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश से भारत आए गैर मुस्लिम प्रवासी को नागरिकता मिलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इस कानून के लागू होने से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए, गैर मुस्लिम प्रवासी (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने का रास्ता साफ हो गया है।
केन्द्र सरकार ने पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाया है। इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार है। आवेदक मोबाइल फोन से भी आवेदन कर सकते है। आवेदकों को वह साल बताना होगा, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था। आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जायेगा। पात्र विस्थापितों को सिर्फ पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। नागरिकता देने का अधिकार केन्द्र सरकार के पास होगा।
अधिसूचना के अनुसार निदेशक के अतिरिक्त पैनल में सात अन्य सदस्य भी रहेंगे। इन सदस्यों में इंटेलिजेंस ब्यूरो, विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरपीओ), राज्य सूचना विज्ञान अधिकारियों और राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश के पोस्ट मास्टर जनरल या नामित एक डाक अधिकारी को रखा जायेगा। इसके अतिरिक्त संबंधित राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के प्रधान सचिव (गृह) या अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) और क्षेत्राधिकार मंडल रेलवे प्रबंधक के एक प्रतिनिधि को समिति में आमंत्रित किया जायेगा। अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि समितियों के लिए अध्यक्ष सहित एक प्रतिनिधि भी होगा जो नायब तहसीलदार या जिला कलेक्टर के कार्यालय के समक्ष पद से नीचे का नहीं होगा। समिति में कुछ विशेषज्ञ सदस्य होंगे इन सदस्यों के सामने नागरिकता लेने के लिए आवेदन करने वालों को ख़ुद उपस्थित होना होगा।
भारतीय नागरिकता पाने के इच्छुक लोगों को आवेदन करने की तारीख से पहले देश में कम-से-कम 12 महीने तक रहना अनिवार्य होगा। इसके बाद ही वे आवेदन करने के लिए पात्र होंगे। इन 12 महीनों से ठीक पहले के आठ वर्षों के दौरान भी आवेदको द्वारा देश में कम-से- कम छह साल बिताया गया हो, तभी नागरिकता प्राप्त करने के लिए पात्र होंगे।
अभी तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत पंजीकरण या देशीयकरण द्वारा भारतीय नागरिकता दी जाती है, उनमें गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, एमपी, यूपी, दिल्ली एवं महाराष्ट्र शामिल है।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के लागू होन पर कहा है कि इस अधिसूचना के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक और प्रतिबद्धता पूरी की है। उन देशों में रहने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों के लिए हमारे संविधान के निर्माताओं के वादे को साकार किया है।
धारा 6 बी के तहत नागरिकता के लिए वे आवेदन नहीं कर सकते है जो शख्स भारतीय मूल का हो, संबंधित व्यक्ति का विवाह भारतीय नागरिक से हुआ हो, भारतीय नागरिक की नाबालिग संतान होने पर, माता पिता भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत होने पर, संबंधित व्यक्ति के माता पिता में से कोई एक स्वतंत्र भारत का नागरिक रहा हो, संबंधित व्यक्ति भारत के प्रवासी नागरिक कार्डधारक के रूप में पंजीकृत हो।
नागरिकता संशोधन कानून के अन्तर्गत धारा 6बी के तहत पंजीकरण के लिए आवेदक द्वारा केन्द्र सरकार की ओर से अधिसूचित जिलास्तरीय समिति अधिकार प्राप्त समिति को प्रस्तुत किया जायेगा। नामित अधिकारी की अध्यक्षता वाली जिलास्तरीय समिति आवेदन के साथ आवेदक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज का सत्यापन करेगी।