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अंखफोड़वा कांड की जांच काफी टफ’

बिहार की पहली महिला आईपीएस मंजरी जरुहार बोली- लालू यादव उम्मीद बन कर आए

जनपथ न्यूज़ डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
17 जुलाई 2023

भागलपुर अंखफोड़वा कांड की चर्चा देश भर ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी हुई। इस कांड पर फिल्म भी बनी, जिसमें महिला आईपीएस की स्टोरी से दुनिया रूबरू हुई। लेकिन हकीकत में इस कांड की जांच कर रही आईपीएस मंजरी जरुहार के लिए मामले में इंक्वायरी कर रिपोर्ट सौंपना काफी मुश्किल था।

*भागलपुर कांड काफी खराब और घिनौना था*

रांची में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचीं रिटायर आईपीएस मंजरी जरुहार ने एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में कहा कि- भागलपुर ब्लाइंडिंग मामले में उन्हें यह जांच करनी थी कि किसने ब्लाइंडिंग किया। चूंकि यह आरोप पुलिस वालों पर ही लगे थे, ऐसे में अपने लोगों की जांच का काम बहुत टफ था। अपने ही फोर्स के खिलाफ लिखना और उन्हें आरोपित बनाना, यह काफी टफ था। लेकिन हमने जो सही था, वही लिखा, क्योंकि जो कांड था, वो बहुत खराब था, बहुत घिनौना था।

*लालू यादव के कार्यकाल में कोई कठिनाई नहीं हुई*

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में पुलिस अधिकारी के रूप में काम करने के संबंध में भी मंजरी जरुहार ने अपनी बातें रखीं। उन्होंने बताया कि लालू प्रसाद यादव मसीहा बनकर आए। उनसे लोगों को काफी उम्मीद थी। मंजरी जरुहार ने बताया कि लालू प्रसाद महिलाओं का काफी सम्मान करते थे, उनके कार्यकाल में उन्हें कोई कठिनाई नहीं हुई।

*पहले खुद को सशक्त करें, तभी आगे बढ़ पाएंगे*

बिहार की पहली महिला आईपीएस अधिकारी रहीं मंजरी जरुहार ने युवाओं को सलाह दी है कि वे पहले अपने को सशक्त करें, तभी वे आगे बढ़ पाएंगे। उन्होंने कहा कि यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि महिला हैं, तो काम नहीं कर पाएंगी। काम सीखना चाहिए, रूल्स-रेगुलेशन जानेंगे, तभी कनीय अधिकारी भी उनका सम्मान करेंगे।

*परिवार में बड़ा हादसा हुआ, बाद में आईपीएस बनीं*

मंजरी जरुहार बताती हैं कि परिवार में एक बड़ा हादसा हो गया, जिसके बाद उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी करने का निर्णय लिया। पटना से दिल्ली आ गईं, जिसके बाद दूसरी बार में सफलता मिली। आईपीएस अधिकारी के रूप में चयन हुआ।

*क्या है अंखफोड़वा कांड*

बिहार में अंखफोड़वा कांड को अक्टूबर 1979 से जुलाई 1980 के बीच भागलपुर पुलिस ने ही अंजाम दिया था। पुलिस ने साइकल के स्पोक, नाखून काटने में इस्तेमाल होने वाले नाई के धारदार औजार और जूट के बोरे सिलने वाली मोटी सुई टकुआ से 33 अंडर ट्रायल अपराधियों की आंखों को फोड़ डाला। इतना ही नहीं उसके बाद आंखों में सिरिंज से एसिड डाला। कई मामलों में पुलिस वालों ने एसिड डालना तब तक जारी रखा,जब तक अपराधी पूरी तरह से अंधे नहीं हो गए। इसी एसिड कांड को कहा गया ‘गंगाजल’। बाद में इस पर फिल्म भी बनी।

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