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2 कन्या और 3 महिलाओं ने शरीर पर स्थापित किए कलश, बिना हिले-डुले नौ दिनों तक करेंगी साधना

जनपथ न्यूज़ अररिया. बिहार के अररिया जिले के कुर्साकांटा के दुर्गा मंदिरों में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा हुई। इनमें से एक खास है-कपरफोड़ा स्थित मां दुर्गा मंदिर। इसकी स्थापना 1934 में बिलटू विश्वास ने भलुआ नदी के किनारे की थी। मंदिर में वैष्णवी पद्धति से पूजा होती है।
बिलटू विश्वास के बाद मंदिर की पूजा अर्चना की जिम्मेदारी पुत्र महावीर विश्वास, लक्ष्मी विश्वास, रघु विश्वास व युक्तिनाथ विश्वास ने संभाली। निजी दुर्गा मंदिर होने के कारण परिवार के लोग बारी-बारी से यहां पूजा करते हैं। इस वर्ष दुर्गा पूजा की बारी पूर्व मुखिया सह मुखिया प्रतिनिधि राकेश विश्वास कर रहे हैं। मंदिर में इस साल दो कन्याएं और तीन महिलाएं विशेष रूप से शक्ति की आराधना कर रही हैं। इन्होंने अपने शरीर पर कलश स्थापित किया है और बिना हिले-डुले नौ दिन ऐसे ही रहेंगी।
एक वर्ष पूजा नहीं होने पर परिवार के लोगों को हो गया था चेचक
दुर्गा मंदिर की स्थापना के बाद एक वर्ष मंदिर में पूजा अर्चना नहीं की गई। जिसके परिणाम स्वरूप विश्वास परिवार चेचक के चपेट में आ गया। जिससे परिवार के तीन लोगों की अकाल मृत्यु हो गई। साथ ही दर्जनों मवेशी की अज्ञात बीमारी से ग्रसित होने से मौत हो गयी।
तत्पश्चात महात्मा लटेस्वर महाराज के द्वारा विश्वास परिवार को मंदिर में लाकर प्रतिमा स्थापित करा कर पूजा पाठ करने का संकल्प कराया गया। तभी से लेकर अब तक विश्वास परिवार के द्वारा ही मंदिर में पूजा पाठ कराया जा रहा है। जिन भक्तों की मनोकामना पूर्ण हुई है, उनके द्वारा प्रतिमा को स्थापित किया गया है।
दुर्गा मंदिर कपरफोड़ा परिसर में श्रद्धालु भक्तों द्वारा पीठ के बल पर लेटे सीने पर विधि विधान व वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कलश स्थापित किया गया है। साधिकाओं से मिली जानकारी अनुसार शरीर पर कलश स्थापना के बाद दस दिनों तक केवल गंगा जल व नारियल के पानी का सेवन किया जाता है।

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