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क्यों तैराक मानवी वर्मा केआईवाईजी 2025 बिहार में कर्नाटक का गौरव बनकर उभरीं!

मानवी खेलो इंडिया एथलीट हैं और यह उनका तीसरा खेलो इंडिया यूथ गेम्स था

जनपथ न्यूज़ स्पोर्ट्स डेस्क
11 मई 2025

गया, 11 मई: युवा तैराकी सनसनी मानवी वर्मा ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 बिहार में तैराकी प्रतियोगिता में कर्नाटक का दबदबा कायम रखने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने बिपार्ड स्विमिंग पूल में तीन स्वर्ण और एक रजत पदक जीतकर कर्नाटक द्वारा जीते गए कुल 33 पदकों, जिसमें 17 स्वर्ण शामिल हैं का वर्चस्व स्थापित करने में बड़ा योगदान दिया।

यह मानवी का तीसरा खेलो इंडिया यूथ गेम्स था और इस 16 वर्षीय खेलो इंडिया एथलीट ने हर साल बेहतर प्रदर्शन किया है। 2022 में उन्होंने 200 मीटर इंडिविजुअल मेडले में कांस्य पदक जीता था। 2023 में वह 200 मीटर मेडले और 100 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक में रजत पदक विजेता रहीं। और इस साल, उन्होंने 100 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक, 50 मीटर बटरफ्लाई और 200 मीटर मेडले में स्वर्ण पदक, तथा 50 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक में रजत पदक जीता। अपने प्रदर्शन में लगातार सुधार के बारे में पूछे जाने पर मानवी ने कहा, “सच कहूं तो इसका जवाब सिर्फ ट्रेनिंग, ट्रेनिंग और ट्रेनिंग है। जितना ज़्यादा आप ट्रेनिंग करते हैं, उतने ही ज़्यादा आप बेहतर होते जाते हैं।”
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मानवी बेंगलुरु के पदुकोण-द्रविड़ सेंटर फॉर स्पोर्ट्स एक्सीलेंस में स्थित डॉल्फिन एक्वाटिक्स अकादमी में प्रशिक्षण लेती हैं, जो खेलो इंडिया से मान्यता प्राप्त है। 2023 के नेशनल गेम्स, गोवा में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था और 200 मीटर मेडले व 50 मीटर बटरफ्लाई में खेल रिकॉर्ड बनाए थे। उन्होंने वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है, जहाँ उनके प्रदर्शन ने भविष्य के लिए उम्मीदें जगाईं। भले ही उनका ध्यान फिलहाल तैराकी पर है, लेकिन मनवी पढ़ाई को भी जारी रखना चाहती हैं। उन्होंने कहा, “अभी तो मैं तैराकी में करियर बनाना चाहती हूं, लेकिन साथ ही पढ़ाई भी करना चाहती हूं। फिलहाल मेरी प्राथमिकता तैराकी है।”

उनकी इस यात्रा में परिवार का बड़ा योगदान रहा है। मानवी का परिवार दस साल पहले दिल्ली से बेंगलुरु आ गया था। उनकी मां रमा वर्मा ने उनके करियर को आकार देने में बड़ी भूमिका निभाई। रमा कहती हैं, “मैंने कभी अपने बच्चों को टीवी देखने की इजाजत नहीं दी। मैं चाहती थी कि वे कोई खेल अपनाएं। बचपन में उसने कई खेल खेले और हर खेल में वह अच्छी थी। उसमें प्रतियोगिता का स्वभाव था। आखिरकार उसने तैराकी को चुना।” मानवी खुद भी अपने माता-पिता के योगदान को अच्छी तरह समझती हैं। उन्होंने कहा, “जब आप बच्चे होते हैं, तो आपको ज्यादा कुछ नहीं पता होता। आप पूरी तरह अपने माता-पिता पर निर्भर होते हैं। वे आपके हित में सोचते हैं। मेरे माता-पिता भी ऐसे ही हैं। उन्होंने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया है।”

50 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक में चौथे स्वर्ण से चूकने के बावजूद मानवी का रवैया बेहद संतुलित रहा। उन्होंने कहा, “हर किसी का सपना होता है कि वह हर इवेंट में स्वर्ण जीते। लेकिन मैं ज्यादा नहीं सोचती। मैं बस हर रेस को अच्छे से तैरने की कोशिश करती हूं। अगर मैं जीतती हूं तो बहुत अच्छा, और अगर नहीं जीतती, तो भी ठीक है।”

इन शब्दों में मानवी ने परिणाम से अधिक प्रक्रिया पर ध्यान देने का जज्बा दिखाया—जो उन्हें भविष्य में और आगे ले जा सकता है।

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