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हमारे समूहिक स्वाभिमान का प्रतीक है संविधान गौरव दिवस : विजय कुमार सिन्हा

जनपथ न्यूज़ डेस्क

हमारी डबल इंजन की सरकार ने संवैधानिक मूल्यों को धरातल पर उतारा : विजय कुमार सिन्हा

एक हैं तो सेफ हैं का ही संदेश देता हमारा संविधान* : विजय कुमार सिन्हा

संविधान दिवस की पहल का विरोध करने वाले संविधान के मूल्यों के विरोधी : विजय कुमार सिन्हा

बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने भारत के संविधान के अंगीकृत होने के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर कहा कि इस वर्ष का संविधान दिवस अपने आप में विशेष गौरव का भाव समेटे हुए है । इसलिए हम इसे ‘संविधान गौरव दिवस’ के रूप में मना रहे हैं ।

श्री सिन्हा ने आगे कहा कि भारत का सनातन समाज हमेशा से नियम, कायदे और मर्यादा की परिसीमा में चलने वाला समाज है । इसीलिए बाबा साहेब के निर्देशन में संविधान सभा के हमारे पुरखों ने संविधान के रूप में जो धरोहर सौंपी उसके मूल्य आज 75 साल बाद भी सुरक्षित और संरक्षित हैं । जबकि हमारे पड़ोसी देशों समेत दुनिया के अधिकांश देशों के अनुभव बताते इतने लंबे समय तक संविधान की भावनाएं शायद ही स्थिर रह पाती हैं ।

श्री सिन्हा ने कहा कि हमारा संविधान हमें विविधता के बीच एक रहने का संदेश देता है । उसी भावना को व्यक्त करते हुए हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का मंत्र देश के नागरिकों को दिया है । उनके नेतृत्व और मार्गदर्शन में देशभर में हमारी डबल इंजन की सरकार संविधान की मूल भावना के अनुरूप जनसरोकार के लिए काम में जुटी है । मोदी जी के नेतृत्व में ही GST के जरिये देश का आर्थिक एकीकरण हुआ, 370 के निरसन के साथ वास्तविक राजनीतिक एकीकरण संभव हुआ और सबका साथ सबका विकास के भाव के साथ सामाजिक एकीकरण हो रहा है । हमारी NDA सरकार संविधान के प्रति कितना आदर और सम्मान रखती है इसका प्रमाण यह है कि मोदी जी के नेतृत्व में ही 2015 से हर 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने की पहल हुई ।

श्री सिन्हा ने कहा कि हमें तो ताज्जुब होता है कि आपातकाल के जरिए देश के ‘लोकतंत्र का चीरहरण’ करने वाले लोगों को आज लोकतंत्र और संविधान खतरे में नज़र आ रहा है । हमारे संविधान बनाने वालों के साथ अपना नेम और सरनेम जोड़ने वाले ऐसे लोग आरक्षण पर खतरे की बात करते हैं , जिन्होंने केंद्रीय शिक्षण संस्थानों को अल्पसंख्यक संस्थाओं का दर्जा देकर इन्होंने बड़े पैमाने पर पिछड़ों- अतिपिछड़ों को आरक्षण के लाभ से वंचित किया । सुप्रीम कोर्ट के बार-बार आदेश के बावजूद ‘समान अचार संहिता’ लागू करने और ‘तीन तलाक’ को समाप्त करने से मुंह चुराते रहे । इनके साथ आज आपातकाल के विरोध में राजनीति करने वाले वो लोग हैं जिन्होंने या तो कांग्रेस के नक्शेकदम पर चलते हुए जनपेक्षाओं का गला घोंटा है या फिर अपनी जमीर से समझौता किया है । बिहार में राजद और लालू परिवार ने न केवल संवैधानिक मूल्यों की हत्या की बल्कि बिहार को 15 वर्ष के जंगलराज के दौरान ‘अघोषित आपातकाल’ में रहने को विवश किया । यही वो लोग हैं जिन्होंने 2015 में संविधान दिवस मनाने की पहल का विरोध भी किया था ।

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