जनपथ न्यूज डेस्क
भागलपुर/पटना
Reported by: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
6 मार्च 2023

टेलीफोन का ईजाद करने वाले अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनकी यह खोज बिहार के नीतीश कुमार को सीएम से सुशासन बाबू बनाने में कितनी बड़ी भूमिका निभाएगी। यही नहीं,उनकी पलटी मार राजनीति में भी इसकी बड़ी भूमिका हो सकती है, इस पर भी किसी का ध्यान शायद ही गया होगा। नीतीश कुमार के जीवन में वक्त और हालात बदलने वाले इस फोन की महत्ता कितनी है,यह हाल के कुछ फोन कॉल से समझी जा सकती है। नीतीश के फोन कॉल का मतलब कुछ वैसा ही है,जैसे किसी शख्स को अचानक कोरामिन मिल जाना, सुपर पावर भी कह सकते हैं। हालांकि कई बार कुछ कॉल नीतीश के तमतमाने की वजह भी बन जाते हैं।

*छात्र जीवन से ही रहा है नीतीश को फोन प्रेम*

छात्र राजनीति से सक्रिय राजनीति तक फोन और नीतीश के बीच अन्योनाश्रय संबंध रहा है। फोन के टोन से उनका मन कभी खुश हो जाता है तो कई बार चेहरा तमतमा जाता है। बाकी कई दफा तो यह पलटी मारने का माध्यम भी बनता रहा है। पिछले एक महीने में नीतीश जी को बीजेपी नेताओं के आने वाले फोन अभी चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। अगर फोन अमित शाह जैसे बीजेपी नेता का हो तो कहना ही क्या। ऐसे में नीतीश जी के फोन प्रेम पर किसी जिज्ञासु का शोध स्वाभाविक और बेहद वाजिब ही कहा जाएगा।

*जब भी कहीं दिखता फोन, नंबर डायल कर देते*

विदित हो कि नीतीश कुमार को फोन के टोन से जवानी के दिनों से ही लगाव रहा है।राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में जब वे कहीं बाहर जाते थे, तो अपने साथ फोन डायरेक्ट्री लेना कभी नहीं भूलते। जहां भी उन्हें फोन मिलता,जेब से डायरेक्ट्री निकालते और दो-चार नंबर डायल कर ही लेते थे। वह नीतीश जी का शुरुआती संचार प्रेम था। अब तो यह प्रेम परवान चढ़ गया है। एक फर्क तब और अब में जरूर आया है। अब वे अमूमन दूसरों को खुद फोन नहीं करते। दूसरों के फोन ही अब उन्हें आते हैं। होना भी ऐसा ही चाहिए, क्योंकि अब वे सीएम जो हैं।

*भाजपा नेताओं के फोन पर इतराते हैं नीतीश*

नीतीश जी को सबसे खुशी तब होती है या वे राहत महसूस करते हैं, जब उन्हें भाजपा के किसी बड़े लीडर का फोन आ जाए। फोन अगर अमित शाह या पीएम नरेंद्र मोदी का हो तो कहना ही क्या। नीतीश जी को किसका फोन आया, यह बताने में उनको मजा भी खूब आता है। परहेज सिर्फ इतना ही करते हैं कि फोन करने वाले से उनकी क्या बात हुई,यह किसी को नहीं बताते। लेकिन किसने फोन किया, इसे तपाक से बता देते हैं।

*जब अमित शाह ने महीनों बाद किया था फोन*

फागू चौहान को जब बिहार के गवर्नर पद से हटाया गया और नये राज्यपाल की नियुक्ति हुई तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नीतीश जी को फोन किया। नीतीश जी ने मीडिया को तपाक से बता दिया कि अमित शाह ने उन्हें राज्यपाल बदलने की जानकारी दी थी। अमित शाह जन्मदिन पर उन्हें बधाई देते हैं तो नीतीश जी यह भी जाहिर कर देते हैं कि उनको अमित शाह ने फोन किया था। पीएम मोदी ने बधाई दी तो इसे भी उन्होंने सबको बताया। इसमें उनकी चालाकी होती है या मन की पारदर्शिता का भाव होता है, यह तो वे ही जानें, लेकिन फोन की बात से विरोधी जरूर परेशान हो जाते हैं।

*नीतीश के कामकाज में भी झलकता है फोन प्रेम*

सुशासन बाबू का फोन प्रेम उनके कामकाज में भी झलकता है। जनता दरबार में उनके लिए फोन के बिना सब सूना होता है। फरियादी ने इधर शिकायत की, उधर नीतीश ने ऑफिसर को फोन लगा दिया। कभी प्रेम से, कभी व्यंग्य में तो बाज दफा हड़काने के अंदाज में वे ऑफिसरों से फोन पर बात करते हैं। वैसे तो हर आदमी के लिए अब फोन जीवन का जरूरी उपकरण हो गया है, पर नीतीश जी के लिए इसके खास मायने हैं। तमिलनाडु में जब बिहार के लोगों पर जुल्म की खबर आयी तो वहां के सीएम ने फोन पर ही नीतीश जी को पहले अपनी सफाई दी। पुलिस महकमे को भी उन्होंने हिदायत दे रखी है कि सारे थानों के फोन दुरुस्त रखे जाएं।

*भाजपा नेताओं के फोन की फ्रिक्वेंसी बढ़ गयी है*

भाजपा का साथ छोड़ कर जब नीतीश जी ने अपने धुर विरोधी राजद से रिश्ते बनाए तो लगा कि अब फोन की कहानी खत्म हो जाएगी। नई सरकार के मुखिया बने तो लगा कि अब अमित शाह या किसी बड़े नेता का फोन नीतीश जी को नहीं आएगा। लेकिन कुछ ही महीने बाद अमित शाह का फोन आ ही गया नीतीश जी को। अमित शाह से फोन पर बात की जानकारी तो उन्होंने सार्वजनिक की, पर बात क्या हुई, इसे आदतन वे पचा गये। सिर्फ इतना भर कहा कि अच्छी बातचीत हुई। अमित शाह ने बिहार में राज्यपाल बदले जाने की जानकारी फोन पर ही नीतीश को दी थी। शाह के साथ पीएम मोदी के फोन से भी नीतीश जी को तब बेहद खुशी हुई, जब जन्मदिन पर दोनों नेताओं ने कॉल किये। राजनाथ सिंह कैसे पीछे छूटते। उन्होंने भी हाजीपुर में गलवान के शहीद सैनिक के पिता के मसले पर नीतीश को फोन कर दिया। नीतीश ने खुद इसकी भी जानकारी सार्वजनिक की और राजनाथ की इच्छा के अनुकूल मामले की जांच के आदेश दे दिये।

*विरोधियों को हड़काने के काम आता है फोन कॉल*

नीतीश जी के लिए फोन संपर्क बढ़ाने-साधने का साधन तो है ही, वे इसका सर्वाधिक इस्तेमाल अपने विरोधियों को हड़काने में करते हैं। अभी आरजेडी से उनके रिश्तों में थोड़ी खटास आ गयी है। अपने सबसे बड़े सहयोगी आरजेडी के नेता तेजस्वी की बात काटने में उन्हें संकोच नहीं होता। इस बीच बीजेपी नेताओं के नीतीश को फोन की फ्रिक्वेंसी भी बढ़ गयी है। बीजेपी नेताओं के फोन नीतीश को ताकत देते हैं। इससे उनकी हैसियत का भी अंदाजा लगता है। फोन के टोन से बिहार में सियासी सरगर्मी भी बढ़ गयी है। भविष्य में नीतीश जी के फोन की घंटी क्या गुल खिलाएगी, देखना दिलचस्प होगा।

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