चनपटिया नगर पालिका चेयरमैन और कार्यपालक अधिकारी की मिलीभगत,नही लाने दे रहे अविश्वास प्रस्ताव
चनपटिया नगर पंचायत कार्यपालक अधिकारी ने विशेष सचिव नगर विकास और आवास को पत्र लिख कर अविश्वास प्रस्ताव पर स्पष्ट मार्गदर्शन देने की अपील की है।हालांकि ये उनका दूसरा पत्र है इसके पहले भी वो सचिव से मार्गदर्शन मांग चुके है।पत्र का जवाब संयुक्त निदेशक और उपनिदेशक , नगर पालिका नगर प्रशासन ने विधि विभाग के परामर्श से क्रमशः 09/07 और 28/07 को कार्यपालक अधिकारी , चनपटिया को संसुचित कर दिया । जिसमें बिहार म्युनिसिपल एक्ट 2007,के सेक्शन 25 का हवाला देकर मार्गदर्शन उपरोक्त अधिकारियों ने दिया था। जवाब मिलने के बाद भी उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव को अनुमति नही दी और फिर दूसरी आदिनांक स्पष्ट मार्गदर्शन अप्राप्त का हवाला देकर पुनः पत्र भेजकर कार्यपालक अधिकारी, चनपटिया सिर्फ समय की बाध्यता को पार करना चाहते है।आपको बता दें कि बर्तमान मुख्य पार्षद के पक्ष में सिर्फ चार पार्षद हैं वहीं उनके विरोध में 11 पार्षद अपना पत्रक पहले ही कार्यपालक अधिकारी को सौप चुके हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 5 वर्षो में अविश्वास प्रस्ताव लाने के सिर्फ तीन अवसर है।जिसमे 2 साल बाद पहली बार प्रस्ताव लाया जा सकता है।चौथे साल में दूसरी बार लाया जा सकता है और 5वें साल के पहले हाफ यानी 6 महीने पहले तीसरी बार लाया जा सकता है। कार्यपालक अधिकारी इसी समयावधि को पार करने के लिए ही अविश्वास प्रस्ताव में देरी कर रहे हैं और बार बार विशेष सचिव को पत्र लिख रहे है जिससे कि इस समयावधि को पार किया जा सके और अविश्वास प्रस्ताव न ला कर मुख्य पार्षद की कुर्सी बचाई जा सके।
हालांकि ये मामला मुख्य सचिव ,बिहार सरकार के संज्ञान में आया है और मामलों की वस्तुस्थिति से वो अवगत हो रहे है।
ज्ञात हो कि पटना नगर निगम में अविश्वास लाया गया है और आज तो वोट भी पड़ रहे है।जब प्रदेश की राजधानी में ऐसा हो रहा है तो साफ है कि ये समय चनपटिया नगर पंचायत के लिए भी अनुकूल है पर मुख्य पार्षद और कार्यपालक पदाधिकारी की मिली भगत से ऐसा नही हो पा रहा है।
इस बाबत जब अन्य पार्षदो से बात की गई तो उन्होंने कार्यपालक अधिकारी और मुख्य पार्षद पर आरोप लगाए की भ्रस्टाचार के मामलों को दबाने के लिए मुख्य पार्षद को बचाया जा रहा है इसके खिलाफ हम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
ईओ के पत्र का जवाब चाहे जो भी आये पर ये नियमानुसार ये समय अविश्वास प्रस्ताव लाने का उपयुक्त समय है और ऐसे में अविश्वास को मंजूरी ना देना कार्यपालक अधिकारी को संदेह के घेरे में तो खड़ा करता ही है।

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