बिहार के मतदाता अब प्रजातंत्र का वास्तविक लाभ उठाना एक चुके हैं।
जनपथ न्यूज डेस्क
Rwported by: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
7 नवंबर 2022
बिहार में हुए दो विधानसभा उपचुनाव की गिनती के बाद दोनों क्षेत्र का चुनावी परिणाम आखिरकार आ गया। मोकामा में राजद की नीलम देवी तो गोपालगंज में भाजपा की कुसुम देवी ने जीत दर्ज की। नीलम देवी ने अपनी जीत लगभग 16 हजार से अधिक मतों से सुनिश्चित की तो कुसुम देवी कांटे की टक्कर में 2000 मतों के मामूली अंतर से जीत हासिल की। मतलब जिसकी जो सीट थी, उसे आम जनता ने लौटा दिया और एक-एक से मैच ड्राॅ रह गया। दोनो उपचुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने स्वास्थ्य कारणों से प्रचार करने नहीं गए। इस दो क्षेत्रीय उपचुनाव में महागठबंधन की ओर से डिप्टी सीएम तेजश्वी यादव ने कमान संभाल रखी थी। इसके साथ ही जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, संसदीय दल के नेता उपेंद्र कुशवाहा और दर्जनों मंत्रियों ने प्रचार किया था। जबकि भाजपा ने 40 स्टार प्रचारकों के साथ बिहार कोटे के सभी केंद्रीय मंत्रियों से लेकर सभी विधायक समेत एमएलसी और कई राष्ट्रीय नेताओं को चुनाव प्रचार में झोंक रखा था। भाजपा की ओर से इस दौरान आर्थिक संसाधनों का भी खूब उपयोग किया गया और फिर अंतिम समय में लोजपा रामविलास के राष्ट्रीय नेता सह सांसद चिराग पासवान को भी अपने समर्थन में खूब कूद फांद भाजपा ने कराई लेकिन मोकामा में अनन्त सिंह की पत्नी सह राजद प्रत्याशी नीलम देवी ने लगभग 17 हजार मतों के भारी अंतर से भाजपा प्रत्याशी सोनम सिंह को पटकनिया दे डाली। इसके पूर्व भाजपा इस सीट को पीएम नरेंद्र मोदी से जोड़ कर उनके नेत्तृत्व में चुनाव लड़ने का खूब प्रचार-प्रसार किया पर आखिरकार इसका कोई फायदा नहीं हुआ। गोपालगंज में भाजपा की कुसुम देवी से राजद के मोहन गुप्ता महज 2000 के मामूली मतों के अंतर से हार गए लेकिन वे हार कर भी जीत गए। उन्हें हराने के लिये दिवंगत विधायक सुभाष सिंह के सहानुभूति को तो भुनाया ही गया, इसके साथ-साथ यहां पर भी मोदी के नाम पर वोट मांगी गई। मोहन जी गुप्ता के बारे में अनर्गल अफवाह फैलाया गया, खास कर चुनाव के दिन यह अफवाह फैलाकर कि कोर्ट ने गुप्ता का नामांकन ही रद्द कर दिया है और यही अफवाह चुनाव जीत रहे मोहन गुप्ता की हार का कारण बन गया। अब भाजपाई खुशी मनाए या मातम पर नीतीश-तेजस्वी की जोड़ी भाजपा की भारी फौज पर भाड़ी पड़ गई, इस चुनाव का यही संदेश है।
इसके साथ ही इस चुनाव का एक यह भी संदेश है कि बिहार की जनता प्रजातंत्र का वास्तविक लाभ उठाना सीख चुकी है और अब वह भावना में बैठकर नहीं बल्कि विवेकशील होकर मतदान करते हैं। बहरहाल बिहार के मतदाताओं की विवेकशीलता यदि इसी तरह बरकरार रहे तो निश्चित रूप से 2024 और 2025 के चुनाव में बिहार से भाजपा का सूपड़ा साफ हो जाएगा या तय है।