जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
2 फरवरी 2023
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 7 साल पहले सूबे में पूर्ण शराबबंदी कानून को लागू कर दिया था। शराबबंदी को लेकर कई बार नीतीश कुमार के ऊपर सवाल उठाए जा चुके हैं। पूर्ण शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब की बड़ी खेप पहुंचने से लेकर होम डिलीवरी तक के आरोप नीतीश कुमार को झेलने पड़े हैं। महागठबंधन की सरकार में शामिल कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा से लेकर जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने शराबबंदी को विफल करार दे दिया है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने भी शराब बंदी कानून की समीक्षा की बात कही थी। अब राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष और बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने भी शराबबंदी पर सवाल उठाकर नीतीश की परेशानी बढ़ा दी है।
*क्या कहा उदय उदय नारायण चौधरी ने*
लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश उपाध्यक्ष और बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने बिहार में शराबबंदी कानून पर पुनर्विचार की बात कही है। उदय नारायण चौधरी ने हालांकि यह कहा कि शराबबंदी कानून ठीक है लेकिन इस कानून के तहत गरीब लोगों को ही निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछड़े, अति पिछड़े, दलित महादलित वर्ग के लोग ही ज्यादातर शराबबंदी कानून के तहत पकड़े जा रहे हैं। इसलिए शराब बंदी कानून की समीक्षा की जानी चाहिए।
*शराबबंदी कानून को लेकर क्या कहा था नीतीश कुमार ने*
बिहार में जब से पूर्ण शराब बंदी कानून लागू हुई है, तभी से नीतीश कुमार पर इस कानून को लेकर कई तरह से हमले किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई बार यह कह चुके हैं कि महात्मा गांधी नशा मुक्त भारत देखना चाहते थे। महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर ही चल रहे हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह भी कहा था कि बिहार में उन्होंने महिलाओं के कहने पर शराब बंदी कानून लागू किया है। मुख्यमंत्री ये भी कह चुके हैं कि बिहार में शराबबंदी की वजह से घरों में खुशहाली देखने को मिल रही है और सड़क दुर्घटनाएं भी कम हो रही है।
*उदय नारायण चौधरी के बयान पर जेडीयू का पलटवार*
राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी की ओर से शराब बंदी कानून पर उठाए गए सवाल पर जदयू नेता का कहना है कि राजद में तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव ही बयान देने के लिए अधिकृत हैं। इसलिए अन्य नेताओं के बयान पर तवज्जो देने की जरूरत नहीं है। जदयू नेता का कहना है कि बिहार में शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद गरीब परिवार के घरों में खुशियां आई है। जो लोग थोड़े से पैसे कमाते थे और उसे शराब में उड़ा देते थे अब उनके घरों में पैसे बच रहे हैं।
*जीतन राम मांझी ने भी की थी कुछ ऐसी ही मांग*
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और महागठबंधन सरकार में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी तो शराबबंदी को लेकर कई बार सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि बड़े लोग रात में शराब पी रहे हैं और गरीब घर के लोग पव्वा भर शराब भी पीता है तो उसे जेल में बंद कर दिया जाता है। हाल ही में जीतन राम मांझी ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के सामने यह कहा था कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शराब बंदी कानून को समाप्त करने के लिए बात करें। इसके अलावा महागठबंधन सरकार में ही शामिल कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने भी शराबबंदी कानून को लेकर कई बार सवाल खड़े कर चुके हैं।
*क्या शराबबंदी रोलबैक कर सकते हैं नीतीश कुमार ?*
भाजपा के पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता मनोज शर्मा भी शराबबंदी कानून पर नीतीश कुमार को घेर चुके हैं। भाजपा के विधायक ने तो यहां तक कहा कि बिहार में शराबबंदी पूर्ण रूप से फेल हो चुकी है। बिहार में शराबबंदी की वजह से पुलिस प्रशासन के साथ माफिया फल-फूल रहे हैं, जो आने वाले समय में बिहार के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। मनोज शर्मा का कहना था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी यह बात भली-भांति जान रहे हैं। मनोज शर्मा ने संभावना जताई कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब धीरे से शराबबंदी को रोलबैक करने के चक्कर में लगे हुए हैं। भाजपा के पूर्व विधायक ने कहा कि नीतीश कुमार एक मौके की तलाश में हैं, जिसमें वह शराबबंदी कानून को रोलबैक कर सकें और इसे लेकर उन पर कोई उंगली भी ना उठा सके।