आखिर क्या है भाजपा की ‘सुरक्षा नीति’ के मायने

जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
16 मार्च 2023

बिहार की मौजूदा राजनीति में तीन चेहरे या इन चेहरों की अगुवाई वाली पार्टियां 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव की लड़ाई में बीजेपी के लिए बैसाखी साबित हो सकती है। ये चेहरे हैं उपेंद्र कुशवाहा, मुकेश साहनी और चिराग पासवान। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी इनके साथ गठजोड़ कर राज्य में नई सियासी इबारत लिखने की कोशिशों में जुटी है और उसके शिल्पकार खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हैं, जो छह महीने में चार बार बिहार का दौरा कर चुके हैं।

केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी इन तीनों ही नेताओं को न केवल सियासी तवज्जो दे रही है बल्कि उनकी सुरक्षा का लेवल भी बढ़ा दिया है। अभी हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने जब नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू छोड़ी और अपनी पार्टी बनाई तो केंद्र सरकार ने उनका सुरक्षा घेरा बढ़ाते हुए वाई प्लस कैटगरी की सुरक्षा दे दी।

इससे पहले विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी)के नेता और राज्य के पूर्व मंत्री मुकेश साहनी को भी वाई प्लस कैटगरी की सुरक्षा फरवरी में दी गई थी। वाई कैटगरी की सुरक्षा पाने से पहले दोनों को राज्य सरकार के स्तर पर सुरक्षा दी जा रही थी।
जनवरी में, जमुई के सांसद और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान के सुरक्षा कवर को वाई-प्लस श्रेणी से जेड कैटगरी में अपग्रेड कर दिया गया था। इसके तहत चार से छह राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) कमांडो सहित सुरक्षा घेरा में 22 जवान शामिल हैं।

*किस कैटगरी में कितने सुरक्षाकर्मी*

वाई-प्लस कैटगरी के तहत, सुरक्षा प्राप्त लोगों को दो से चार एनएसजी कमांडो सहित 11 कर्मियों का सुरक्षा कवर मिलता है। केंद्र ने कहा है कि तीनों को दिया गया सुरक्षा कवर “खुफिया इनपुट” के आकलन के बाद दिया गया है।
सियासी नजरिए से देखें तो अभी तक इन तीनों दलों ने खुलकर यह नहीं कहा है कि आगामी चुनावों में वो बीजेपी के साथ गठबंधन करने जा रहे हैं लेकिन बीजेपी ने डिफेंस पॉलिटिक्स के सहारे तीनों को अपनी ओर आकर्षित करने की सारी योजनाएं सेट कर ली हैं। ये तीनों नेता सीएम नीतीश कुमार के कट्टर आलोचक माने जा रहे हैं।

*किस-किस समुदाय पर बीजेपी की नजर*

दरअसल, जब से लालू और नीतीश ने हाथ मिलाए हैं और महागठबंधन के तहत राज्य में नए सियासी समीकरण गढ़े हैं, तब से बीजेपी नए साथियों के सहारे नए सामाजिक समीकरण बनाने पर फोकस कर रही है। चिराग पासवान जहां अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं और उन्हें पासवानों का वोट मिलता रहा है, वहीं उपेंद्र कुशवाहा पिछड़ी जाति के कोईरी समाज से आते हैं। मुकेश साहनी अति पिछड़ी जाति के मल्लाह समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जिसका गंगा नदी के आस-पास के इलाकों में अच्छा प्रभाव माना जाता है।

*12 फीसदी वोट बैंक पर नजर*

सोनभद्र एक्सप्रेस सर्वे के मुताबिक, इन तीनों समुदायों की बिहार में करीब 12 फीसदी आबादी है। लालू-नीतीश और कांग्रेस समेत पांच अन्य दलों के महागठबंधन बनने से पिछड़ी, अति पिछड़ी, दलित और महादलित समुदायों का बड़ा हिस्सा अब बीजेपी से दूर दिख रहा है, इसलिए बीजेपी इन तीनों नेताओं के सहारे 12 फीसदी वोट को अपने पाले में करना चाह रही है।

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