बिहार में मधुबनी की राजनगर सुरक्षित सीट से जीते बीजेपी के विधायक रामप्रीत पासवान को भी मंत्री बनाया गया है। रामप्रीत ने मैथिली में शपथ ली तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। रामप्रीत ने लगातार दो बार जीत हासिल की है। पिछली बार जदयू और राजद के गठबंधन के बाद भी रामप्रीत ने जीत हासिल की थी। जिले में एकमात्र यही सीट रही जहां भाजपा को जीत का स्वाद मिला था।
रामप्रीत पासवान ने 2015 के चुनाव में यह सीट राजद के कब्जे से छीनी थी। इसलिए, पार्टी ने इस बार भी उन्हें दोबारा यहां से मौका दिया था। इस बार भी वह जीते तो इसका इनाम भी मिला। उनका मुकाबला इस बार महागठबंधन की ओर से राजद प्रत्याशी रामअवतार पासवान से था।
अनुसूचित जाति की बहुलता वाली इस सीट पर दोनों गठबंधनों ने अपने-अपने दांव लगाए थे। इस बीच सजद (डी) की ओर से शिवशंकर पासवान को प्रत्याशी बनाए जाने से मुकाबला रोचक हो गया था। 2015 में रामप्रीत पासवान ने 71614 मत हासिल करके राजद के रामावतार पासवान को पांच हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। 1972 के बाद यह सीट विलोपित हो गई थी। नए परिसीमन के आधार पर राजनगर विधानसभा का गठन कर 2010 से इस सीट पर चुनाव हो रहे हैं। पहले चुनाव में रामप्रीत पासवान को हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद लगातार दो बार जीत मिली है।
शीला मंडल : फुलपरास से पहली बार विधायक बनीं और पहली बार में ही मंत्री भी बन गईं. 2015 में इस सीट से जेडीयू की गुलजार देवी जीती थीं. पार्टी ने इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया तो नाराज होकर उन्होंने निर्दलीय लड़ने का फैसला किया. टिकट मिला शीला मंडल को, और जीत भी. उन्होंने कांग्रेस के कृपानाथ पाठक को करीब 11 हजार वोट से हराया.

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