बिहार प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार ने कहा कि प्रदेश में आबादी के अनुपात में 65 हजार डॉक्टरों की जरूरत है. इतनी संख्या में सरकारी अस्पतालों और निजी क्षेत्र में डॉक्टर उपलब्ध हों तो नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया हाे सकती है.
लेकिन, वर्तमान में सरकारी अस्पतालों में कार्यरत कुल चिकित्सकों की संख्या जोड़ ली जाये तो यह साढ़े छह हजार है. इसी तरह से निजी क्षेत्र में अधिकतम 20 हजार लोग सेवा क्षेत्र में हैं.
उन्होंने कहा कि इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के अनुसार अस्पतालों की संख्या और डॉक्टरों की संख्या में भारी इजाफा करने की जरूरत है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मानकों का पालन किया जाये तो प्रति 1681 व्यक्ति पर एक चिकित्सक की आवश्यकता होती है.इस मानक के अनुसार राज्य की करीब 11 करोड़ की आबादी के मानक के अनुसार 65 हजार 437 डॉक्टरों की आवश्यकता है.
ललन ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा पिछले दिनों उच्च न्यायालय को दी गई जानकारी के अनुसार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों तक के सामान्य स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के तहत जनरल मेडिकल ऑफिसरों के लिए कुल 5777 पद स्वीकृत हैं जिसमें 4053 डॉक्टर पदस्थापित हैं जबकि इसमें 1724 पद रिक्त हैं. राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों के स्वीकृत पद 2775 है जिसमें 782 लोग पदस्थापित हैं जबकि 1993 पद रिक्त हैं.
इसी तरह से राज्य के सरकारी मेडिकल अस्पतालों में कुल 1654 चिकित्सक शिक्षक ही कार्यरत हैं. इसमें 168 प्रोफेसर, 244 एसोसिएट प्रोफेसर, 615 असिस्टेंट प्रोफेसर, 217 ट्यूटर और 410 सीनियर रेजीडेंट हैं.
ललन ने कहा कि सरकार इस महामारी काल मे चिकित्सकों की शीघ्र बहाली करें, ताकि करोना के ईलाज मे और गति लायी जा सके.