जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
15 मार्च 2023

भागलपुर : लोकसभा चुनाव में अब कुछ महीनों का ही वक्त बचा हुआ है, मगर बिहार में भारी राजनीतिक उठापटक तेजी से हो रही है। 2024 के चुनाव में देश भर के विपक्षी दलों को एकजुट करने का संकल्प लेने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की खुद की पार्टी बिखरने लगी है। आलम ये हो गया है कि हर 10 दिन में एक नेता नीतीश का साथ छोड़कर जा रहा है। पहले उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू छोड़कर अलग पार्टी बनाई। उसके बाद पूर्व सांसद मीना सिंह भाजपा में चली गईं। अब शंभूनाथ सिन्हा ने भी जदयू को अलविदा कह दिया। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि नीतीश की पार्टी तिनका-तिनका बिखरती जा रही है तो फिर 2024 में भाजपा के खिलाफ मजबूत मोर्चाबंदी वे कैसे कर पाएंगे?

गौरतलब है कि जदयू में संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष रहे उपेंद्र कुशवाहा ने 20 फरवरी को पार्टी से अलविदा कह दिया था। इससे पहले करीब दो महीने तक उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू नेतृत्व पर कई सवाल उठाए। जदयू छोड़ने के बाद कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक जनता दल (रालोजद) नाम से नई पार्टी बना ली। इसके 10 दिन बाद ही 3 मार्च को आरा से सांसद रह चुकीं मीना सिंह ने भी जदयू को अलविदा कह दिया। जदयू छोड़ने के एक दिन बाद ही उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल से मुलाकात की और हाल ही में वे भारतीय जनता पार्टी में चली गईं।

इसके ठीक 10 दिन बाद 13 मार्च को जदयू के वरिष्ठ नेता शंभूनाथ मिश्रा ने भी पार्टी छोड़ दी। वे जदयू के प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता रह चुके थे। शंभूनाथ मिश्रा ने कहा कि जदयू अपने सिद्धांतों से भटक चुकी है। उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा की रालोजद ज्वॉइन करने के संकेत दिए हैं।

*तिनका-तिनका बिखर रही जदयू,नीतीश के महागठबंधन में जाने पर उठ रहे सवाल*

साल 2023 शुरू होने के बाद से जदयू में उथल-पुथल चल रही है। पार्टी के नेता एक-एक कर नीतीश कुमार को छोड़कर जा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या नीतीश कुमार का एनडीए छोड़कर महागठबंधन में जाने का फैसला सही है? क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा और मीना सिंह से लेकर शंभूनाथ सिन्हा तक, जदयू छोड़ने वाले सभी नेताओं ने नीतीश की राजद से करीबियों पर नाराजगी जताई थी।
श्री कुशवाहा ने नीतीश कुमार द्वारा तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित किए जाने के फैसले को गलत बताया था। मीना सिंह ने भी जदयू के राजद-कांग्रेस के साथ गठबंधन करने पर नाखुशी जाहिर की और नीतीश का साथ छोड़ दिया। अब शंभूनाथ सिन्हा ने भी यही तेवर अपनाते हुए जदयू से इस्तीफा दे दिया है।

*महागठबंधन में महारार, 2024 में मोर्चाबंदी कैसे करेंगे नीतीश?*

सियासी गलियारों में यह चर्चा शुरू हो चुका है कि विपक्षी एकजुटता का संकल्प लेने वाले नीतीश कुमार से खुद की पार्टी नहीं संभल रही है, तो वे 2024 में कैसे भाजपा के खिलाफ मजबूत मोर्चाबंदी कर पाएंगे? नीतीश बिहार में जिस महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं,उसमें शामिल पार्टियों में भी विभिन्न मुद्दों को लेकर तकरार है। राजद लंबे समय से जदयू पर तेजस्वी यादव को सीएम बनाने का दबाव बना रही है। कांग्रेस कैबिनेट में दो और मंत्रियों को शामिल करने की मांग को लेकर मुखर हो रही है।
वहीं,हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के जीतनराम मांझी भी अपने बेटे संतोष सुमन को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर चुके हैं। इसके अलावा सुधाकर सिंह लगातार सीएम नीतीश के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं और जदयू के कहने पर भी राजद ने अब तक उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है।

अब सवाल यह उठ रहा है कि बिहार महागठबंधन में इतना घमासान मचा हुआ है तो नीतीश कुमार 2024 में देश भर के विपक्षी दलों को एक साथ लेकर कैसे चल पाएंगे..? लोकसभा चुनाव का वक्त धीरे-धीरे करीब आता जा रहा है। नीतीश की विपक्षी एकता की मुहिम भी ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है। जदयू और राजद के नेता व कार्यकर्तागण भले ही नीतीश को पीएम कैंडिडेट के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं, मगर देश के अन्य विपक्षी दल अभी एकजुट होने के लिए तैयार नहीं हैं। बहरहाल,नीतीश की यह मुहिम कितना रंग लाती है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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