‘सतभैया’ के माथे पर सवार हो गई भाजपा
जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
9 दिसंबर 2022
भागलपुर : नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव का गठबंधन कुढ़नी में फेल हो गया। इससे पूर्व भी इसी तरह गठबंधन 2015 में भी कुढ़नी में फेल हो गया था। उस समय भी जदयू के मनोज कुशवाहा और भाजपा के केदार गुप्ता आमने-सामने थे। दोनों बार मनोज कुशवाहा हार गये।
कुढ़नी में 3632 वोट से भाजपा ने उपचुनाव जीत ली है। प्रदेश में सात दलों के महागठबंधन बनने के बाद गोपालगंज के बाद लगातार दूसरी बार कुढ़नी में उसे पराजित होना पड़ा है। मोकामा में राजद की जीत अनंत सिंह की व्यक्तिगत जीत थी और वहां भी भाजपा ने अपने वोटों में पिछले चुनाव की तुलना में इजाफा ही किया था। इस सतभैया गठजोड़ पर भाजपा भारी पड़ने लगी है।
अगस्त में भाजपा के साथ जदयू के गठबंधन टूटने के बाद से नीतीश कुमार की लोकप्रियता और प्रभाव में गिरावट आ रही है। यह गिरावट तेजस्वी के क्रेज में भी देखा जा सकता है। कुछ महीने पहले बोचहां उपचुनाव में राजद ने भाजपा-जदयू के संयुक्त उम्मीदवार को पराजित कर दिया था, लेकिन कुढ़नी में नीतीश के साथ आकर भी तेजस्वी जदयू उम्मीदवार को नहीं जीतवा पाये।
इन दो चुनावों का मायने क्या है। इसके अर्थ-अनर्थ तलाशे जाएंगे। लेकिन इतना तय है कि तेजस्वी यादव का एटूजेड फार्मूला पूरी तरह फ्लॉप हो चुका है, वहीं नीतीश कुमार का अतिपिछड़ा भी भाजपा की ओर शिफ्ट हो रहा है। यह चाचा-भतीजा दोनों के लिए खतरे की घंटी है। यादवों का भी तेजस्वी यादव से मोहभंग होने लगा है। पिछले डेढ़-दो महीने में हुए उपचुनाव के परिणाम भाजपा के लिए उत्साहवर्धक रहा है, जबकि महागठबंधन के लिए चेतावनी साबित हुआ है। अब महागठबंधन जीत की गारंटी नहीं है।