*हाईकोर्ट ने दिया था एफआईआर का आदेश,ग्रह और दुर्दिन किसी को नहीं छोड़ता*

जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना, भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
18 अगस्त 2055

भागलपुर : कहते हैं ग्रह और दुर्दिन ने किसी को नहीं बक्सा है, चाहे वह राजा-महाराजा हो या रंक, जब ग्रह या दुर्दिन आते हैं तो वह आसमान में रहने वालों को जमीन पर पटक देता है। ऐसा ही कुछ हाल के दिनों में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सह पूर्व नागरिक उड्यन मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन के साथ हो रहा है। केन्द्र की राजनीति में पूरी मजबूती के साथ पकड़ रखने वाले इस राष्ट्रीय नेता के लिए कुछ भी असंभव या नामुमकिन नहीं था। भागलपुर के सांसद रहे सैयद हुसैन 2014 में मोदी लहर के बावजूद भागलपुर लोकसभा चुनाव क्या हारे, कि दुर्दिन वहीं से उनके पीछे पड़ गई। इसके बाद धीरे-धीरे सैयद हुसैन भाजपा के लिए एक उपयोग करने वाले नाम मात्र के लीडर बनकर रह गए। फिर दुबारा उन्हें सांसद का चुनाव लड़ने का मौका भाजपा ने नहीं दिया। तत्पश्चात बिहार में अपनी मजबूत पकड़ बनाने की नीति के तहत भाजपा ने शाहनवाज सैयद हुसैन को इस्तेमाल किया और उन्हें एमएलसी कोटे से बिहार सरकार में सहयोगी दल की हैंसियत रखने की हैंसियत से उद्योग मंत्री के पद पर बिठा दिया। भाजपा की इस नीति से राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा यह होती रही कि देखो आखिर किस तरह चालाकी से केन्द्र की राजनीति करने वाले शाहनवाज हुसैन को एक ही झटके में एक राज्य की राजनीति में बिठा दिया, लेकिन ग्रह व दुर्दिन ने यहां पर शाहनवाज हुसैन को नहीं छोड़ा। महज 2 साल के अंदर ही एनडीए से खुद को अलग कर नीतीश कुमार ने राजद के साथ सरकार बना ली, जिससे एक बार फिर सैयद हुसैन बेरोजगार होकर भाजपा की कठपुतली बनकर रह गए। अब दुर्दिन व ग्रह की मार देखिये कि सरकार से हटे शाहनवाज हुसैन अभी अपने दर्द को भूला भी नहीं पाए थे कि भाजपा ने 2024 की तैयारी वाली गठित राष्ट्रीय चुनाव समिति से उन्हें बाहर कर दिया और अब इसे संयोग ही कहा जाएगा कि उसी दिन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को शाहनवाज हुसैन के खिलाफ दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर तीन माह में जांच पूरी करने का निर्देश जारी दिया।

मालूम हो कि दिल्ली निवासी एक महिला ने जनवरी 2018 में निचली अदालत में एक याचिका दायर कर सैयद हुसैन के खिलाफ दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज करने का आग्रह किया था। इस दुष्कर्म के मामले में एफआईआर से राहत पाने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता शाहनवाज हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख इसलिए किया है कि बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन को राहत प्रदान करने से इन्कार कर दिया था। अदालत ने पुलिस को शाहनवाज हुसैन के खिलाफ दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर तीन माह में जांच पूरी करने का निर्देश जारी किया हुआ है।

*दिल्ली की महिला ने केस दर्ज कराने के लिए अदालत से लगाई थी गुहार*
दिल्ली की रहने वाली एक महिला ने जनवरी 2018 में निचली अदालत में याचिका दायर कर शाहनवाज हुसैन के खिलाफ दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज करने की गुजारिश की थी। महिला ने आरोप लगाया था कि
शाहनवाज हुसैन ने छत्तरपुर के फार्म हाउस में उसे नशीली दवा खिलाकर उसके साथ न केवल दुष्कर्म किया बल्कि उसे जान से मारने की धमकी भी दी।

विदित हो कि मजिस्ट्रेटी कोर्ट ने 7 जुलाई को शाहनवाज सैयद हुसैन के खिलाफ धारा 376/328/120/506 के तहत एफआईआर दर्ज करने का आदेश देते हुए कहा था कि महिला की शिकायत में संज्ञेय अपराध का मामला है। हालांकि पुलिस ने पेश रिपोर्ट में तर्क रखा कि शाहनवाज सैयद हुसैन के खिलाफ मामला नहीं बनता है लेकिन अदालत ने पुलिस के तर्क को खारिज कर दिया था।
हाई कोर्ट की जज न्यायमूर्ति आशा मेनन ने फैसले में कहा है कि सभी तथ्यों को देखने से स्पष्ट होता है कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने तक पुलिस की ओर से पूरी तरह से अनिच्छा प्रकट की है। अदालत ने कहा कि पुलिस की ओर से निचली अदालत में पेश रिपोर्ट अंतिम रिपोर्ट नहीं थी, जबकि अपराध का संज्ञान लेने के लिए अधिकार प्राप्त मजिस्ट्रेट को अंतिम रिपोर्ट अग्रेषित करने की आवश्यकता है।

न्यायमूर्ति आशा मेनन ने कहा है कि पुलिस अदालत के औपचारिक आदेश के बिना भी संज्ञेय अपराध का खुलासा होने पर जांच के साथ आगे बढ़ सकती है। लेकिन फिर भी एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और इस तरह की जांच के निष्कर्ष पर, पुलिस को धारा 173 सीआरपीसी के तहत एक अंतिम रिपोर्ट जमा करनी होगी। यहां तक कि मजिस्ट्रेट रिपोर्ट को स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं है और फिर भी यह निर्धारित कर सकता है कि संज्ञान लेना है या नहीं और मामले को आगे बढ़ाना है।

अदालत ने शाहनवाज सैयद हुसैन की अपील को खारिज करते हुए कहा कि यदि मजिस्ट्रेट एफआईआर के बिना क्लोजर रिपोर्ट या धारा 176 (3) सीआरपीसी के तहत रिपोर्ट के रूप में मानने का इरादा रखते हैं, तब भी उन्हें नोटिस जारी कर अभियोक्ता को विरोध याचिका दायर करने का अधिकार देने सहित मामले से निपटना पड़ता है।

बहरहाल, सच्चाई तो एक दिन सामने इसलिये आएगी कि काले और घने बादल सुर्य को सदा के लिए छिपा नहीं सकते। लेकिन सैयद शाहनवाज हुसैन पर पड़े इस ग्रह-गोचर और दुर्दिन की मार से अन्य राजनीतिज्ञों को भी सबक लेने की इसलिए जरुरत है कि वे अहम और वहम की राजनीति से बाहर आकर जनहित को सर्वोपरि मानें, अन्यथा ये ग्रह-गोचर व दुर्दिन उन्हें भी घेरकर जमीन पर पटक सकता है।

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