जनपथ न्यूज डेस्क
जितेन्द्र कुमार सिन्हा
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9 नवम्बर 2022
भारतीय रिजर्व बैंक ने केन्द्रीय बैंक खुदरा ग्राहकों के लिए डिजिटल मुद्रा का पायलट परीक्षण शुरू किया है। इससे देश में नई करेंसी ई-रुपया की शुरुआत के साथ ही नये युग का शुरुआत हुआ है। यह शुरुआत देश की बजट में, की गई घोषणा के अनुसार है। इससे ग्राहकों के लिए लेनदेन करना और आसान हो जायेगा और भुगतान के लागत भी घटेगी।
रिजर्व बैंक के अनुसार, “केन्द्रीय बैंक डिजिटल करेंसी” (सीबीडीसी) यानि ई-रुपया में पहले ही दिन हुए लेनदेन में सभी नौ बैंक इससे जुड़े है। इस दौरान डिजिटल करेंसी तुरंत जारी करने और उसी दौरान सौदा निपटाने की प्रक्रिया की जांच की गई। यह योजना का पायलट परीक्षण था।
केन्द्रीय बैंक की डिजिटल मुद्राएँ एक केन्द्रीय बैंक द्वारा जारी क्रिप्टोकरेंसी के समान डिजिटल टोकन होती है। लेकिन यह क्रिप्टोकरेंसी से अलग होती है, क्योंकि इसे केन्द्रीय बैंक जारी करते है और इसका मूल्य उस देश की मुख्य मुद्रा के मूल्य से आंकी जाती है। जबकि क्रिप्टोकरेंसी केन्द्रीय बैंक की ओर से जारी नहीं किया जाता है।
बैंकों की स्थिति पर “केन्द्रीय बैंक डिजिटल करेंसी” (सीबीडीसी) के चलन से, बैंक में जमा के लिए लेनदेन की मांग कम हो जायेगी, इससे उसकी जमाएँ कम होगी। वहीं बैंक जमा राशि खो देगी, तो क्रेडिट बनाने की उनकी क्षमता सीमित हो जायेगी, क्योंकि केन्द्रीय बैंक निजी क्षेत्र को लोन प्रदान नहीं कर सकेगी।
“केन्द्रीय बैंक डिजिटल करेंसी” (सीबीडीसी) से घटेगा बोझ। क्योंकि रुपये को छापने की लागत घटेगी, इंटर बैंक सेटलमेंट न होने से लेनदेन कम लागत में होगा, आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की कम लागत होगी। धन भेजना भी सस्ता होगा। खाड़ी देशों से रहने वाले लोग बिना ज़्यादा शुल्क दिए ही पैसे भेज सकते है। विशेषज्ञों के अनुसार, सीबीडीसी में नगद देते ही इंटर बैंक सेटलमेंट की जरुरत नही रह जायेगी। इससे डिजिटल पेमेंट सिस्टम की तुलना में लेनदेन रियल टाइम और कम लागत में होगी। आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ योगेन्द्र कपूर के अनुसार ई-रुपया से भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी। साथ ही देश का पेमेंट सिस्टम को पारदर्शी बनाने में मदद मिलेगी।
“केन्द्रीय बैंक डिजिटल करेंसी” (सीबीडीसी) टोकन आधारित होगा। यह एक ईमेल आईडी जैसा होगा, पैसे भेजने के लिए पासवर्ड डालना होगा और बिना इंटरनेट काम करेगा। इससे धन भेजने का खर्च घटेगा। विश्व बैंक का अनुमान है कि अभी तक दूसरे देशों में पैसे भेजने पर 7% से अधिक का शुल्क देना पड़ता है। जबकि डिजिटल करेंसी के आने से इस मद में 2% तक की कमी आयेगी।
“केन्द्रीय बैंक डिजिटल करेंसी” (सीबीडीसी) से यह फायदा होगा कि एक केन्द्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा देश की मुख्य मुद्रा का डिजिटल रूप होता है और इसे केन्द्रीय बैंक द्वारा जारी और विनियमित किया जाता है। सीबीडीसी से वित्तीय समावेशन के साथ भुगतान दक्षता बढ़ती है। इसके अलावे आपराधिक गतिविधियां भी रुकेगी। अंतरराष्ट्रीय भुगतान विकल्पों में भी सुधार होगी। संभावित रूप से शुद्ध लेनदेन लागत को “केन्द्रीय बैंक डिजिटल करेंसी” (सीबीडीसी) कम करती है।
01 ली नवम्बर को लागू हुई “केन्द्रीय बैंक डिजिटल करेंसी” (सीबीडीसी) से पहले ही दिन कारोबारियों के लिए थोक खंड में 24 लेनदेन हुए। इसका इस्तेमाल डिजिटल करेंसी का सरकारी बांड खरीदने में किया गया। इन सौदों की कीमत 2.75 अरब रुपये रही है।
अमेरिकी थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल के अनुसार, दुनिया के दस देशों के “केन्द्रीय बैंक डिजिटल करेंसी” (सीबीडीसी) का पूर्ण इस्तेमाल शुरू कर दिया है। “केन्द्रीय बैंक डिजिटल करेंसी” (सीबीडीसी) शुरू करने वालों में बहामास, नाइजीरिया, एंटीगुआ, डॉमिनिका, ग्रेनेडा, माउंट स्ट्रीट, सेंट किट्स, सेंट लूसिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस जैसे देश शामिल है। वही, 109 देश “केन्द्रीय बैंक डिजिटल करेंसी” (सीबीडीसी) लागू करने की तैयारी में है। अटलांटिक काउंसिल के अनुसार, जी-20 देशों के समूह में से 19 देश डिजिटल मुद्रा की दिशा में आगे बढ़ चुके है। बीते 6 महीने में भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस इस दिशा में सबसे बेहतर स्थिति में है। वहीं अमेरिका, ब्रिटेन और मेक्सिको अभी इस पर शोध कर रहे है।
भारतीय रिजर्व बैंक देश में क्रिप्टोकरेंसी की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता के मद्देनजर आसान और सुरक्षित डिजिटल करेंसी लाने की योजना पर काफी पहले से काम कर रहा था। आरबीआई गवर्नर ने कई बार क्रिप्टो को लेकर चिंता जता चुके थे। क्रिप्टो, भारत में 80 फीसदी निवेशक 500 से 2000 रुपये तक लगाने वाले की श्रेणी में है। उन्होंने कहा था ऐसे निवेशको को क्रिप्टो का जोखिम पता नहीं होता है। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, डिजिटल रुपये (खुदरा खंड) का पहला पायलट परीक्षण विशेष उपयोगकर्ता समूहों के बीच चुनिंदा स्थानों में किया जाएगा, जिसमें ग्राहक और कारोबारी शामिल होंगे। इसकी शुरुआत एक महीने के भीतर करने की योजना है।
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से डिजिटल करेंसी पेश करने के बाद सबकी नजरें इसकी फायदा-नुकसान पर टिक गई है। दुनिया भर के देश डिजिटल करेंसी से अर्थव्यवस्था को नई मजबूती देने की तैयारी में लगे हुए है।
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