जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 20 अगस्त ::

भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से पहले और उनके जन्म के पश्चात, उन्हें मारने का प्रयास करने वाले, जितने भी राक्षस आए, जिस भी रूप में आए, वो सब, न सिर्फ असफल हुए, बल्कि उनका अंत हो गया। उक्त बाते खिलखिलाहट संस्था के अध्यक्ष प्रदीप कुमार ने कही।

उन्होंने कहा कि ध्यान देने वाली बात ये है कि उससे पहले, ये शक्तिशाली राक्षस, कभी असफल नहीं हुए थे, कभी भी नहीं, उन्होंने असंख्य अत्याचार किए थे, साधु संतों, तपस्वियों पर, धर्म का पालन करने वाले मानवों पर, किंतु उनका काल ही था, जो उन्हें वो योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप तक खींच लाया ।उनकी सारी मायावी शक्तियां, सारा पराक्रम, सारा अनुभव, भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष समाप्त हो गया, उनका पर्वत जैसा अहंकार उनके अंतिम समय भगवान श्रीकृष्ण की मुस्कान के समक्ष स्वाहा हो गया और भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उनका जब वध हुआ, तो उनकी आत्मा, पुनः श्रीहरि में समाहित हो गई।

प्रदीप कुमार ने कहा कि मित्रों, योगेश्वर कृष्ण, सत्य/धर्म के सारथी भी हैं, सत्य और धर्म के रथ पर जो भी उनके साथ सवार होता है, प्रभु उनको कभी हारने नहीं देते, फिर सामने अधर्म, असत्य और षड्यंत्रों का साथ देने वाले कितने ही मायावी और कितने ही शूरवीर क्यों न हों, जो धर्म और सत्य के साथ नहीं, उनका पतन वो अवश्य करते हैं।

उन्होंने कहा कि नर, नारी, किन्नर, गंधर्व, असुर, देव, दानव, दैत्य, सब पुनः उनमें ही समाहित हो जाएंगे और इस कलियुग में जो स्वयं को भगवान श्रीकृष्ण से ऊपर समझ कर अहंकारी हो गए हैं और कृष्ण भक्तों के विरुद्ध शकुनी जैसे षड्यंत्र रच रहे हैं,
वो दुर्योधन जैसे हठी हों, या पौंड्रक जैसे बहरूपिये, उनकी शक्ति का अहंकार या उनके द्वारा रची गई माया भी, भगवान
श्रीकृष्ण, उनकी शक्तियों और
उनके सहयोगियों समेत स्वाहा कर देंगे, कर्मों का दंड तो मिलेगा ही मिलेगा…। सुदर्शन चक्र तो चलेगा ही चलेगा..ये निश्चित है.!
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