जनपथ न्यूज डेस्क
अलेखाकार: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
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10 November 2022

देश की गंभीर और चिंता जनक स्थिति के प्रति भाजपा असंवेदनशील तथा पुरी तरह बेपरवाह है। नवादा में में पूरे परिवार ने एक साथ आत्महत्या कर ली, छः लोगों ने जान दे दी। क़र्ज़ चुकाने के दबाव की वजह से उन लोगों ने सामूहिक निर्णय के द्वारा आत्महत्या कर ली।
विपक्ष विशेष रूप से भाजपा इसके लिए बिहार सरकार को कठघरे में खड़ा करने की औपचारिकता निभायेगी। दो दिन बाद फिर सबकुछ पूर्ववत हो जाएगा।

अगर यह या इस तरह की घटनाएं सिर्फ़ बिहार में होती, तो बिहार की सरकार को कटघरे में खड़ा किया जाना जायज माना जा सकता था। लेकिन देश भर में ऐसी घटनायें हो रही हैं। कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश से इसी तरह की खबर सामने आई थी।

देश गंभीर चिंताजनक दौर से गुजर रहा है। लोगों के पास काम नहीं है, उपर से महंगाई जान खा रही है। यह स्थिति सिर्फ़ कोविड-19 की ही वजह से नहीं है बल्कि उसके पहले ही नोट बंदी के बाद हमारी अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई थी। करोड़ों की संख्या में सड़कों के किनारे फुटपाथ पर छोटी-छोटी नगदी पूँजी के सहारे परिवार पालने वालों का भविष्य अंधकारमय हो गया। नोटबंदी का घोषित मक़सद तो हासिल करने की बात तो दूर है। आज वह और भी अपने विकृत रूप में हमारे सामने खड़ा है।

जिस तरह और जिस बड़ी संख्या मे आज काला धन निकल रहा है, वह आश्चर्यजनक है। काले धनवालों की सुविधा के लिए दो हज़ार रूपये के नोट का प्रवधान कर दिया गया। आश्चर्य तो यह है कि दो हज़ार का वह नोट भी बाज़ार से ग़ायब हो चुका है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ 2020 में सामूहिक आत्महत्या के 121 मामले सामने आये थे। इनमें मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित इन सामूहिक आत्महत्या की घटनाओं में 272 लोग मरे थे। यह संख्या 2019 की तुलना में 58% ज़्यादा थी, मृतकों की संख्या भी 51 प्रतिशत ज़्यादा थी।

भारत सरकार के गृह मंत्रालय का राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो भी बता रहा है कि युवाओं में भी आत्महत्याओं की संख्या तेज़ी से बढ़ी हुई है। भविष्य के प्रति हताश और निराश युवा बड़ी संख्या में डिप्रेशन में जाते दिख रहे हैं और नई उम्र में आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। नवादा की घटना या उसके पूर्व समस्तीपुर की घटना से बिहार भाजपा के नेता सचमुच चिंतित हैं तो उन्हें अपनी चिंता से प्रधानमंत्री जी और वित्त मंत्री जी को अवगत अवश्य कराना चाहिए। सिर्फ़ नीतीश सरकार को कोस कर विरोध की औपचारिकता निभा देने का अर्थ होगा कि भाजपा देश की गंभीर और चिंता जनक हालत के प्रति बेपरवाह तथा असंवेदनशील है। इसको भाजपा का देश विरोधी चरित्र ही माना जाएगा।

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