आइए जानते है किस रणनीति से सत्ता में फिर आ गई राजद*

जनपथ न्यूज डेस्क, पटना
Reported by: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
10 अगस्त 2022

पटना: बिहार में फिर एकबार सियासी उलटफेर हो चुका है। भाजपा अब विधानसभा में विपक्षी पार्टी बन चुकी है, जबकि महागठबंधन अब सरकार का अंग है। नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बने हैं, जबकि तेजस्वी यादव एकबार फिर से प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बन गए हैं। भाजपा से तकरार के बाद नीतीश कुमार ने जदयू को एनडीए से बाहर कर लिया और राजद व कांग्रेस समेत महागठबंधन के घटक दलों के साथ मिलकर नई सरकार बना ली है। इस पूरे सियासी घमासान में राजद के लिए लालू प्रसाद यादव अंत तक फैसले लेते रहे।

*नीतीश कुमार राजद के साथ आए*
सोमवार ही प्रदेश की सियासत में अचानक उठापटक शुरू हो गयी थी। सियासी दलों के बैठकों से ये संकेत मिलने लगे कि अब बिहार की सियासत में कुछ बड़ा फेरबदल होने वाला है। धीरे-धीरे कयासों के पर्दे हटने लगे और सारा दृश्य सामने दिखने लगा। नीतीश कुमार ने अपना इस्तीफा सौंपा और राजद के साथ मिलकर महागठबंधन की सरकार बनाने का फैसला लिया। इधर राजद की भी तैयारी बेहद सटीक रणनीति के तहत जारी रही।

*राजद की रणनीति*
राजद ने भी अपनी तैयारी बेहद गुप्त तरीके से की। पिछले दिनों जब सियासी भूचाल की आहट सूबे में आने लगी तो इसी बीच राजद ने एक बड़ा फैसला लिया। पार्टी ने अपने सभी प्रवक्ताओं को पद से हटा दिया। अब राजद में तेजस्वी यादव के बयान को ही पार्टी का बयान माना जाएगा, ऐसा फरमान जारी कर दिया गया।

*बयानबाजी पर लगाम*
तेजस्वी यादव व लालू यादव के अलावा किसी का भी बयान उनका निजी माना जाएगा। ये बात पार्टी ने स्पष्ट कर दी यानि किसी भी तरह की बयानबाजी से होने वाले डैमेज को पूर्व में ही सही कर लिया गया।

*लालू यादव की भूमिका* महागठबंधन की सरकार बनने का फैसला हुआ तो तेजस्वी यादव मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने कहा कि पार्टी ने पहले अपने विधायक व एमएलसी संग विचार किया। हमने वही किया जो हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव ने कहा। तेजस्वी बोले कि पहले हमलोगों ने एनडीए के अंदर हो रही गतिविधियों पर नजर रखी और ये इंतजार किया कि नीतीश कुमार क्या फैसला लेते हैं।

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