ओपीडी में 65 की जगह केवल 49 तरह की मिल रही दवा*

जनपथ न्यूज डेस्क
Report: गौतम सुमन गर्जना
Editor: राकेश कुमार
26 मार्च 2023

भागलपुर : जवाहरलाल नेहरू मेडिकल काॅलेज सह मायागंज अस्पताल के ओपीडी में 65 तरह की दवा मरीजाें काे मुफ्त में दी जानी है। लेकिन 49 तरह की दवा ही मिल रही है। बिहार मेडिकल सर्विस काॅरपाेरेशन से यहां दवा की आपूर्ति हाेती है। जाे दवा यहां नहीं है, उसे अस्पताल प्रबंधन ने एक माह पहले ही काॅरपाेरेशन से मांगी है, लेकिन दवा आने में देर हाे रही है। इस कारण मरीजाें काे कई दवा बाहर से खरीदनी पड़ रही है। बच्चाें काे सबसे ज्यादा लिखी जाने वाली एंटीबायाेटिक सेफेक्जिम ताे चार माह से नहीं है। इसे लाेग बाहर से खरीद रहे हैं। शुगर बढ़ने, चक्कर आने व फूड प्वाइजनिंग पर दी जाने वाली दवा के अलावा ओआरएस घाेल भी मरीजों काे बाहर की दुकानाें से खरीदनी पड़ रही है।

सरकार का निर्देश है कि रात में इमरजेंसी में आए मरीजाें और इंडाेर में भर्ती मरीजाें के लिए 150 तरह की दवा अस्पताल में ही मिले ताकि मरीजाें काे बाहर नहीं जाना पड़े, लेकिन वहां भी दवा की कमी है। हालांकि प्रबंधन का कहना है कि वह 120 तरह की दवा मरीजाें काे दे रहा है। कुछ दवा नहीं है, जिसकी खरीद की प्रक्रिया चल रही है। ओपीडी के लिए भी दवा खत्म हाे जाती है ताे आने में समय लगता है। इधर, हालत यह है कि मरीजाें का पांच रुपये के पर्चे पर इलाज जरूर हाे रहा है, लेकिन अधिकतर मरीज पांच साै से हजार रुपये तक की दवा बाहर से खरीद रहे हैं। इस कारण यह भी है कि अस्पताल में तीन दिन की दवा ही मिलती है। उसके बाद दवा के लिए फिर आने के लिए कहा जाता है। अधिकतर मरीजाें के लिए यह संभव नहीं है। इसलिए वह बाहर से दवा खरीद लेते हैं।

*मरीज ने कहा- सिर्फ सिरदर्द की दवा मिली, 700 की बाहर से खरीदी*: जेल राेड की 45 वर्षीय अनिता देवी काे बार-बार चक्कर आने व सांस तेज चलने की परेशानी है। उन्हाेंने ओपीडी में मेडिसिन विभाग में दिखाया ताे बीपी जांचने के बाद सिर दर्द की दवा लेने की सलाह दी। नेत्र विभाग में भी जाने की सलाह दी। दाेनाें विभागाें में दिखाने के बाद सिर्फ सिर दर्द की दवा मिली। बाकी दवा बाहर की दुकान से 700 रुपये में लेनी पड़ी।
आठ वर्षीय साेनू कुमार काे लेकर उसके पिता रंजीत यादव गठाैर गांव से मायागंज अस्पताल आए। यहां मानसिक राेग विभाग में दिखाया ताे कृमि की दवा और मिरगी की वेलपीप सीरप दी गयी। जबकि बाकी दवाइयां बाहर से खरीदने के लिए कहा गया। इसमें 300 रुपये लग गए। बच्चे काे बार-बार बेहाेशी व शरीर में अकड़न हाेने की शिकायत पर अस्पताल में डाॅक्टर से दिखाने परिजन आए थे।

*भर्ती मरीजों को भी है दिक्कत*: इमरजेंसी वार्ड में कहलगांव की 40 वर्षीय ज्याेति देवी भर्ती है। उसे टायफाइड, बुखार, लीवर व हार्ट की बीमारी है। इमरजेंसी में कई दवाइयां ताे दी गयीं पर हार्ट व लीवर के लिए बाहर से 2200 रुपये की महंगी दवाइयां खरीद कर लानी पड़ी। बांका जिला से आयी 35 वर्षीय मिक्की कुमारी काे सिर दर्द व गैस बनने की शिकायत है। रात में अचानक तेज पसीना आना और बड़बड़ाने की आदत है। मानसिक विभाग में इलाज के लिए लाया गया ताे यहां तीन तरह की दवाइयां दी गयी। इसके बाद छह तरह की दवा बाहर की दुकान से खरीदनी पड़ी। इसमें 1550 रुपये खर्च हुए।

पूर्व में भी दिखाने पर दाे हजार की दवा खरीदनी पड़ी थी। मुंगेर के 30 वर्षीय एचआईवी संक्रमित गर्भवती ने गुरुवार की शाम मायागंज अस्पताल में सिजेरियन से एक बच्चे काे जन्म दिया। उसे ताे लगभग दवाइयां अस्पताल से मिल गयी, लेकिन उनके नवजात में संक्रमण न हाे इसके लिए बाहर से करीब 1500 रुपये की दवा खरीद कर मंगवानी पड़ी। बच्चे को जन्म के 6 से 12 घंटे के अंदर जिडोवुडीन नाम की एक दवाई दी जाती है। बांका की 18 वर्षीय गौरी देवी काे शुक्रवार की रात मायागंज में भर्ती कराया गया। डाॅक्टर ने एट्राेपिन इंजेक्शन लिखा। हालांकि उसकी कीमत साढ़े चार रुपए ही है, लेकिन रिश्तेदार पंकज सिंह ने बाहर से खरीदकर लाया।

*अस्पताल में नहीं हैं ये दवाएं*: एट्राेपिन,आई ड्राॅप कार्बाेक्सी,एमिट्रिपटलाइन टैबलेट,एरथ्राेपाेटिन इंजेक्शन, ड्राेटावेरिन इंजेक्शन, ओप्टीन्यूराे इंजेक्शन, टेटनस इम्यूनाेग्लाेबल इंजेक्शन, सेफेक्जिम सीरप, डेराेलेक व ओआरएस घाेल, स्टेम्टी एमडी, एट्राेपिन, थायराेक्सीन साेडियम टैबलेट।

*सभी दवा हमेशा मिले यह संभव नहीं है*: इस बाबत जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉक्टर उदय नारायण सिंह ने बताया कि अस्पताल में दी जानेवाली सभी तरह की दवा हमेशा मिले यह संभव नहीं है, क्याेंकि बिहार मेडिकल सर्विस काॅरपाेरेशन से यहां दवा की आपूर्ति हाेती है। यह क्रम चलते रहता है। यहां से डिमांड भेजते हैं ताे दवाइयां दी जाती हैं। लाेकल स्तर पर खरीद के लिए क्रय समिति की बैठक कर टेंडर प्रक्रिया करनी पड़ती है। अगर जरूरत हाेगी ताे यह भी कराएंगे।

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